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श्रीराम कथा का पांचवां दिन, धर्मदास महाराज ने किया राम-जनक मिलन प्रसंग का वर्णन


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श्रीराम कथा का पांचवां दिन, धर्मदास महाराज ने किया राम-जनक मिलन प्रसंग का वर्णन

श्रीराम कथा का पांचवां दिन, धर्मदास महाराज ने किया राम-जनक मिलन प्रसंग का वर्णन

जनमानस शेखावाटी संवाददाता :  रविन्द्र पारीक

नवलगढ़ : सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और धार्मिक जागरण के उद्देश्य से मुरारका मैरिज गार्डन में चल रही श्रीराम कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान धर्मदास महाराज ने भगवान श्रीराम के जीवन प्रसंगों का वर्णन किया। महाराज श्री ने बताया कि भगवान श्रीराम और लक्ष्मण ने विश्वामित्र जी के साथ अहिल्या उद्धार और ताड़का वध करने के बाद उनके आश्रम में पहुंचकर सेवा की। दूसरे दिन वे अपने गुरु के साथ गंगा तट पर पहुंचे, जहां गुरु विश्वामित्र जी ने गंगा मैया की महिमा बताई।

इसके बाद भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जनकपुरी पहुंचे। वहां के चौकीदार ने जनक जी को सूचना दी कि दो दिव्य राजकुमार विश्वामित्र जी के साथ आए हैं, जिनका तेज अतुलनीय है। जनक जी ने आकर गुरुदेव के चरण स्पर्श किए और भगवान श्रीराम के दिव्य स्वरूप को देखकर कहा कि यह तो स्वयं ब्रह्मा के समान प्रतीत हो रहे हैं।

महाराज श्री ने बताया कि जनक जी की प्रतिज्ञा के अनुसार जो वीर भगवान शिव के धनुष को तोड़ेगा, वही सीता जी का वरण करेगा। गुरु विश्वामित्र के आदेश से भगवान श्रीराम ने धनुष भंग किया और सीता जी ने वरमाला पहनाकर अपना जीवन भगवान श्रीराम को समर्पित किया।

महाराज श्री ने कहा कि “संतों के पास तो राम नाम है, लूट सके तो लूट – अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट।” उन्होंने तुलसीदास जी के दोहे का उल्लेख करते हुए कहा – “जग में सुंदर दो ही नाम, राम कहो या श्याम।” इस अवसर पर मुख्य यजमान राजू कोलसियावाला ने पत्नी सहित पूजन किया। पंडित दयाराम शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चार से विधि-विधानपूर्वक पूजन करवाया।

कार्यक्रम में नगर पालिका पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र सैनी फूलवाला, राकेश सरण, मुरली मनोहर चौबदार, राम मोहन सेकसरिया, पवन शर्मा, बनवारीलाल, ललित पहलवान, एडवोकेट चंद्रकांत शर्मा, महेश सैनी, प्रो. गिरधारीलाल, विश्वनाथ शर्मा, कैलाश डोकवाल, अर्जुनलाल सैनी, गणेश शर्मा, राजकुमारी देवी, गायत्री देवी, संतोष मुरारका सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। महाराज श्री ने बताया कि रविवार को कथा में भगवान श्रीराम जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया जाएगा।

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