झुंझुनूं में फिल्लौरा टैंक बैटल की 60वीं वर्षगांठ मनाई:पूर्व सैनिकों ने साझा कीं 1965 की यादें, शहीदों को नमन किया
झुंझुनूं में फिल्लौरा टैंक बैटल की 60वीं वर्षगांठ मनाई:पूर्व सैनिकों ने साझा कीं 1965 की यादें, शहीदों को नमन किया

झुंझुनूं : वीरभूमि झुंझुनूं एक बार फिर इतिहास की गवाही देती नजर आई। अवसर था 1965 के भारत–पाक युद्ध की ऐतिहासिक फिल्लौरा टैंक बैटल की 60वीं वर्षगांठ का। रविवार को जिला मुख्यालय स्थित सामुदायिक भवन में हुए इस भव्य आयोजन में शौर्य, बलिदान और गौरव की अद्भुत झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण रहा पूना हॉर्स रेजिमेंट का भव्य मिलन। लगभग 250 पूर्व सैनिक एक साथ मंच पर जुटे। फख्रे हिंद– द पूना हॉर्स के नाम से पहचानी जाने वाली इस रेजिमेंट ने 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ अमिट विजय हासिल की थी। बरसों बाद पुराने साथियों से मिलने की खुशी सैनिकों के चेहरों पर साफ झलक रही थी। उनकी आपसी बातचीत, गले मिलना और एक-दूसरे के साथ पुरानी यादों को साझा करना वातावरण को और भी भावुक बना रहा था।
शहीदों के सम्मान में नमन
आयोजन की शुरुआत शहीदों की स्मृति में मौन रखकर और दीप प्रज्वलन से हुई। मंच पर जब शहीद परिवारों को सम्मानित किया गया, तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। आयोजकों ने घोषणा करते हुए कहा कि आपके बेटे, भाई, पिता ने केवल परिवार का ही नहीं, पूरे राष्ट्र का मान बढ़ाया है। यह सुनते ही पूरा माहौल भावनाओं से भर उठा और कई परिवारजन अपने आंसू रोक न सके।

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के संस्मरण
इस अवसर पर कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने युद्ध से जुड़ी स्मृतियां साझा कीं। लेफ्टिनेंट जनरल राजन बक्शी, मेजर जनरल विजय सिंह, ब्रिगेडियर के.एस. राठौर, कर्नल अजय सिंह और रिसालदार मेजर ऑनरी लेफ्टिनेंट भंवर सिंह मंच पर उपस्थित रहे। अमर सिंह पूर्व सैनिक ने कहा– आज 60 साल बाद भी हमें गर्व है कि हम उस ऐतिहासिक युद्ध का हिस्सा रहे। दूसरे ने भावुक होकर कहा– फिल्लौरा केवल एक स्थान नहीं, यह हमारी आत्मा का हिस्सा है। सैन्य अधिकारियों ने याद दिलाया कि यह विजय केवल एक लड़ाई की जीत नहीं थी, बल्कि पूरे राष्ट्र के आत्मविश्वास का प्रतीक बनी थी।
राजस्थान की वीरभूमि का गौरव
वक्ताओं ने झुंझुनूं सहित, सीकर और नागौर जैसे जिलों की वीर परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भूमि सदैव रणबांकुरे पैदा करती रही है। यहां की मिट्टी में बलिदान, साहस और राष्ट्रभक्ति रची-बसी है। यही कारण है कि झुंझुनूं जैसे जिलों से आज भी बड़ी संख्या में युवा सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं।
भविष्य की पीढ़ियों के लिए संदेश
लेफ्टिनेंट जनरल राजन बक्शी ने अपने उद्बोधन में कहा– सैनिक का जीवन केवल वर्दी पहनने तक सीमित नहीं है। यह जीवन भर का संकल्प है– राष्ट्र के लिए जीना और राष्ट्र के लिए मरना। आने वाली पीढ़ियों को भी इसी भावना को आत्मसात करना होगा। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे सैनिकों की त्याग और अनुशासन की जीवनशैली से प्रेरणा लें और देश की सेवा में अपना योगदान दें।
फिल्लौरा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बता दें कि 1965 का भारत–पाक युद्ध टैंकों की भीषण भिड़ंत के लिए इतिहास में दर्ज है। फिल्लौरा की जंग में भारतीय सेना की पूना हॉर्स रेजिमेंट ने पाकिस्तान के मजबूत टैंक बेड़ों को धूल चटाई थी। यह युद्ध भारतीय सेना की साहसिक रणनीति और सैनिकों के अदम्य साहस का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण यह लड़ाई आज भी सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।