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झुंझुनूं के 9स्कूलों में हिंदी-अंग्रेजी में एक साथ पढ़ाई:दोनों माध्यमों के विकल्प से ग्रामीण बच्चों को मिली राहत, मातृभाषा में शिक्षा से बढ़ेगा आत्मविश्वास


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झुंझुनूं के 9स्कूलों में हिंदी-अंग्रेजी में एक साथ पढ़ाई:दोनों माध्यमों के विकल्प से ग्रामीण बच्चों को मिली राहत, मातृभाषा में शिक्षा से बढ़ेगा आत्मविश्वास

झुंझुनूं के 9स्कूलों में हिंदी-अंग्रेजी में एक साथ पढ़ाई:दोनों माध्यमों के विकल्प से ग्रामीण बच्चों को मिली राहत, मातृभाषा में शिक्षा से बढ़ेगा आत्मविश्वास

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले के 9 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई का विकल्प भी उपलब्ध होगा। पूरे प्रदेश के 98 विद्यालयों को इस योजना में शामिल किया गया है। जिले के जिन विद्यालयों को इस योजना में चयनित किया गया है, उनमें छावश्री, किठाना, बजावा रावतका, घरड़ाना खुर्द, इंडाली, कासनी, महपालवास, कलाखरी और बलौदा शामिल हैं। अब इन विद्यालयों में विद्यार्थी अपनी पसंद के अनुसार हिंदी या अंग्रेजी माध्यम चुनकर पढ़ाई कर सकेंगे।

फिलहाल अंग्रेजी माध्यम शिक्षक ही लेंगे कक्षाएं

शुरुआती चरण में हिंदी माध्यम की पढ़ाई के लिए अलग से शिक्षक नहीं लगाए जाएंगे। मौजूदा अंग्रेजी माध्यम शिक्षक ही हिंदी माध्यम की कक्षाओं का संचालन करेंगे। विभाग का कहना है कि विद्यार्थियों की संख्या और आवश्यकता के अनुसार आगे चलकर हिंदी माध्यम शिक्षकों की नियुक्ति पर विचार किया जाएगा।

अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी उमेद सिंह महला ने बताया कि प्रदेशभर के 98 विद्यालयों में यह सुविधा शुरू की जा रही है। झुंझुनूं जिले के 9 स्कूलों को भी इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय विद्यार्थियों और अभिभावकों को विकल्प देगा, जिससे शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार होगा।

ग्रामीण विद्यार्थियों को बड़ी राहत

झुंझुनूं जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक हिंदी माध्यम के उच्च माध्यमिक विद्यालय उपलब्ध नहीं थे। अभिभावकों को मजबूरी में बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना पड़ता था। कई विद्यार्थी भाषा की कठिनाई के कारण पढ़ाई छोड़ देते थे या कमजोर प्रदर्शन करते थे। अब हिंदी माध्यम उपलब्ध होने से वे आसानी से शिक्षा जारी रख सकेंगे।

मातृभाषा में शिक्षा से मजबूत आत्मविश्वास

विशेषज्ञों का मानना है कि मातृभाषा में पढ़ाई से बच्चों की समझ बढ़ती है और उनका आत्मविश्वास भी मजबूत होता है। हिंदी माध्यम उपलब्ध होने से ग्रामीण बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।

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