झुंझुनूं की राष्ट्रीय लोक अदालत में लगी न्याय की टेबल:जज बोले- ज्यादा से ज्यादा इसका लाभ उठाएं, आपसी सहमति से सुलझेंगे मामले
झुंझुनूं की राष्ट्रीय लोक अदालत में लगी न्याय की टेबल:जज बोले- ज्यादा से ज्यादा इसका लाभ उठाएं, आपसी सहमति से सुलझेंगे मामले

झुंझुनूं : झुंझुनूं में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य आम जनता को त्वरित, सस्ता और सौहार्दपूर्ण न्याय उपलब्ध कराना था। इस राष्ट्रीय लोक अदालत की कमान पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश अजय गोदारा ने संभाली है। जिलेभर में कुल 11 बेंचों का गठन किया गया था, जिनके माध्यम से 15,000 से अधिक मामलों को लिस्ट किया गया है। जिला मुख्यालय पर चार बेंचों की कार्यवाही चल रही थी, जहां बड़ी संख्या में पक्षकार अपने विवादों का समाधान कराने पहुंचे।
इस दौरान लंबित मामलों के साथ-साथ प्री-लिटिगेशन प्रकरण भी शामिल किए गए, जिनमें बिजली-पानी के बकाया बिल, बैंक रिकवरी, पारिवारिक विवाद, भूमि विवाद, मोटर दुर्घटना क्लेम और आपराधिक कंपाउंडेबल केस जैसे मामले प्रमुख थे।

न्याय की टेबल पहल से मिली मदद
उपभोक्ता प्रतितोष आयोग, झुंझुनूं के अध्यक्ष मनोज मील ने बताया कि लोक अदालत से पहले आयोग ने “न्याय की टेबल” नामक अभियान चलाया था। इस पहल के तहत, पक्षकारों के बीच संवाद स्थापित करके कई विवादों को सुलझाया गया था, जिससे लोक अदालत में समाधान की प्रक्रिया और भी तेज हो गई। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब पक्षकार आपसी सहमति से किसी नतीजे पर पहुंचते हैं, तो अवॉर्ड पारित करने की प्रक्रिया सरल हो जाती है।
आपसी सहमति से सुधरे रिश्ते और मिले समाधान
लोक अदालत में आए पक्षकारों ने इस व्यवस्था की सराहना की। कई पारिवारिक विवादों में, जहां रिश्ते तलाक की कगार पर थे, वहाँ समझाइश से सुलह हो गई और रिश्ते सुधरे। इसी तरह, बैंकों और उनके उपभोक्ताओं के बीच के विवादों का भी समाधान हुआ, जिससे दोनों पक्षों ने राहत महसूस की।
जज बोले- ऐसे मंचों का अधिक से अधिक लाभ उठाएं
न्यायाधीश अजय गोदारा ने कहा कि लोक अदालत को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिला है। उन्होंने आम जनता से अपील की कि वे अपने विवादों को सुलझाने के लिए ऐसे मंचों का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। यह साफ हुआ है कि लोग लंबी और खर्चीली कानूनी प्रक्रियाओं से बचना चाहते हैं, और आपसी सहमति से मामले सुलझाना न केवल उन्हें राहत देता है, बल्कि अदालतों का बोझ भी कम करता है।

न्यायपालिका और जनता के बीच का विश्वास और मजबूत हुआ है, और लोगों को त्वरित न्याय की एक नई राह मिली है। यह पहल आमजन के लिए न्याय तक पहुँच को सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल साबित हुई है।