सोशल मीडिया पर फर्जी चिकित्सा, अश्लील स्वास्थ्य परामर्श तथा आयुर्वेद की गिरती साख के संदर्भ में आयुर्वेदाचार्यों ने छेड़ा आंदोलन – प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक पहुँचा रहे ज्ञापन
क्या देश की धरोहर आयुर्वेद विज्ञान संकट में है? यदि नहीं, तो फिर वास्तविक आयुर्वेदाचार्य क्यों व्यवस्था से संघर्ष करने को विवश हैं?

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : आबिद खान गुड्डू
झुंझुनूं : आयुर्वेद भारत की पहचान और गौरव है। किंतु जब कुछ लोग धनलालसा में इसे कलंकित करने लगें, तो इसकी रक्षा का दायित्व सबसे पहले उन आयुर्वेदाचार्यों पर आता है, जिन्होंने इसे माँ मानकर सेवा का व्रत लिया है।
बीते दिनों से राजस्थान के डॉ. सतवीर गोदारा, डॉ. बुलकेश मूंड, हरियाणा की डॉ. अंजली राहड़, दिल्ली की डॉ. सागरिका चौधरी सहित देशभर के हजारों आयुर्वेदाचार्य औऱ आयुर्वेद सेवक सोशल मीडिया पर सक्रिय तथाकथित फर्जी चिकित्सकों और बिना प्रमाणपत्र वाले व्यक्तियों द्वारा दी जा रही भ्रामक स्वास्थ्य सलाह तथा झूठे आयुर्वेदिक उपचारों के प्रचार-प्रसार के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं।
इनका कहना है कि फर्जी वीडियो बनाकर अनुचित स्वास्थ्य जानकारी फैलाई जा रही है। बिना कानूनी मान्यता के लोग चिकित्सीय परामर्श दे रहे हैं और सरकार के नियमों की खुलेआम अवहेलना हो रही है। इसके कारण आयुर्वेद की विश्वसनीयता पर आघात हो रहा है। औषधियों का भ्रामक प्रचार किया जा रहा है तथा फर्जी नुस्खों के नाम पर रोगियों को ठगा जा रहा है।
साथ ही यह भी बताया गया कि आयुर्वेदिक औषधि बनाने वाली कई कंपनियाँ, जो औषधि नियंत्रक विभाग से अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) लेकर प्रत्यक्ष बिक्री (डायरेक्ट सेलिंग) के नाम पर काम कर रही हैं, वे अप्रशिक्षित व्यक्तियों से दवाएँ रोगियों तक पहुँचा रही हैं। जबकि दवाओं पर स्पष्ट लिखा होता है कि इन्हें केवल चिकित्सक की देखरेख में लिया जाए। इसके बावजूद बिना डिग्रीधारी लोग इन्हें ऊँचे मुनाफ़े पर बेच रहे हैं।
अभियान की प्रमुख माँगें:
- सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य परामर्श देने वालों के लिए अनिवार्य प्रमाणन प्रणाली लागू की जाए।
- फर्जी चिकित्सक तथा अश्लील स्वास्थ्य प्रसारकों (इन्फ्लुएंसर) के विरुद्ध त्वरित न्याय हेतु आयुष त्वरित साइबर शिकायत तंत्र (Fast-Track AYUSH Cyber Complaint System) बनाया जाए।
- जिन व्यक्तियों के पास RMP, BAMS, MD (Ayurveda) अथवा मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है, उन्हें किसी भी रूप में स्वास्थ्य संबंधी सामग्री या उपचार संबंधी कार्य से पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाए।
- जनता को जागरूक करने के लिए आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय डिजिटल अभियान चलाए -“सच्चा इलाज, सच्चे वैद्य से।”
अभियानकर्ताओं का कहना है कि यह आंदोलन विरोध मात्र नहीं है, बल्कि जनस्वास्थ्य और आयुर्वेद की गरिमा की रक्षा का प्रयास है। यह आयुष मंत्रालय और सरकार से ठोस व कठोर निर्णय लेने का अनुरोध है, ताकि पंजीकृत आयुर्वेदाचार्यों का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।