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पिलानी के बदनगढ़ के सरकारी स्कूल का भवन जर्जर:मौत के साये में पढ़ने को मजबूर, नए भवन का बजट अभी तक नहीं मिला


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पिलानी के बदनगढ़ के सरकारी स्कूल का भवन जर्जर:मौत के साये में पढ़ने को मजबूर, नए भवन का बजट अभी तक नहीं मिला

पिलानी के बदनगढ़ के सरकारी स्कूल का भवन जर्जर:मौत के साये में पढ़ने को मजबूर, नए भवन का बजट अभी तक नहीं मिला

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : निरंजन सैन

पिलानी : राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा हर साल शिक्षा में सुधार के लिए कई योजनाओं की घोषणा की जाती है, लेकिन स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। पिलानी ब्लॉक स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बदनगढ़ इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहां छात्र-छात्राएं अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

विद्यालय की स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी और इसका भवन अब कई दशक पुराना हो चुका है। भवन की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें हैं, प्लास्टर जगह-जगह से उखड़ चुका है और बरसात के मौसम में छत से पानी टपकता रहता है। सीलन और नमी के कारण कक्षाओं में पढ़ाई कराना मुश्किल हो जाता है।

विद्यालय की प्रिंसिपल मधु शर्मा ने बताया- भवन की स्थिति बेहद जर्जर हो चुकी है और बारिश के दौरान इसके कभी भी गिरने की आशंका बनी रहती है। उन्होंने कई बार भवन की मरम्मत और नए भवन के निर्माण की मांग की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

चार कमरे गिराए, बाकी भी खस्ता हाल

ग्रामीणों के अनुसार, पिछले शिक्षा सत्र में एसडीएमसी (स्कूल डेवलपमेंट एंड मॉनिटरिंग कमेटी) की बैठक में प्रस्ताव पारित कर अत्यंत जर्जर हो चुके चार कक्षों को गिरा दिया गया था। शेष बचे छह कमरों में से दो की स्थिति भी खतरनाक बनी हुई है, जहां बच्चों को पढ़ाना जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में स्कूल प्रशासन को बरामदों और टिन शेड के नीचे कक्षाएं संचालित करनी पड़ रही हैं।

12वीं तक है विद्यालय, नामांकन बढ़ाने में आ रही दिक्कत

प्रिंसिपल मधु शर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 में विद्यालय को 12वीं कक्षा तक क्रमोन्नत किया गया था। वर्तमान में विद्यालय में कुल 130 विद्यार्थियों का नामांकन है। उन्होंने कहा कि विद्यालय की स्थिति बेहतर हो तो नामांकन और बढ़ाया जा सकता है, लेकिन भवन की जर्जर हालत के कारण अभिभावकों को बच्चों को यहां पढ़ाने के लिए समझाना कठिन हो जाता है।

उन्होंने बताया कि नए भवन के लिए भूमि का आवंटन हो चुका है और वहाँ दो कमरे भी बन चुके हैं, लेकिन 12वीं तक की पढ़ाई के लिए केवल दो कमरों वाला भवन पर्याप्त नहीं है।

एसडीएमसी नहीं भेज रही नया प्रस्ताव

एसडीएमसी सदस्यों ने बताया कि चार कमरों को गिराने के बाद नये कक्षों के निर्माण के लिए प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजा गया था, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। यदि शेष जर्जर कमरों को भी गिरा दिया गया तो विद्यालय में पढ़ाई के लिए स्थान ही नहीं बचेगा। इसी कारण एसडीएमसी अब बाकी कमरों को गिराने का प्रस्ताव भेजने से बच रही है।

सीबीईओ ने कहा- वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार रहे हैं

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (सीबीईओ) सुमन चौधरी ने बताया कि विद्यालय की जर्जर स्थिति की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। साथ ही, नए भवन के निर्माण के लिए बजट की मांग भी की गई है। जब तक बजट स्वीकृत नहीं होता, तब तक वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर विचार किया जा रहा है।

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