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डॉ. मूलचंद को राजस्थान सरकार का संस्कृत साधना पुरस्कार:संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रसार में रहा उल्लेखनीय योगदान


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डॉ. मूलचंद को राजस्थान सरकार का संस्कृत साधना पुरस्कार:संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रसार में रहा उल्लेखनीय योगदान

डॉ. मूलचंद को राजस्थान सरकार का संस्कृत साधना पुरस्कार:संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रसार में रहा उल्लेखनीय योगदान

चूरू : चूरू के गवर्नमेंट लोहिया कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. मूलचंद को राजस्थान सरकार की ओर से संस्कृत साधना पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें संस्कृत भाषा और संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और प्रचार-प्रसार में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जा रहा है।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में जयपुर में आयोजित चयन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। राज्य स्तर पर केवल दो विद्वानों का चयन हुआ है। इनमें चूरू के डॉ. मूलचंद और जयपुर के प्रो. वाईएस रमेश शामिल हैं। पुरस्कार के अंतर्गत उन्हें 51 हजार रुपए की सम्मान राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।

डॉ. मूलचंद लंबे समय से संस्कृत भाषा और शिक्षा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने इसे सिर्फ पढ़ाने तक सीमित नहीं रखा है। बल्कि समाज और जीवन से जोड़ने का काम किया है। उनका मानना है कि संस्कृत सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि जीवन का संस्कार है। इसे जन-जन तक पहुंचाना ही उनका उद्देश्य रहा है। डॉ. मूलचंद ने अब तक तीन बड़ी शोध परियोजनाएं पूरी की हैं। इन परियोजनाओं पर यूजीसी की स्वीकृति मिली थी। उनके 40 से ज्यादा शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से 22 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए हैं। वे 16 अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भाग ले चुके हैं। इन मंचों पर उन्होंने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया है।

संस्कृत के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें अब तक 11 राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। साथ ही एक अंतरराष्ट्रीय सम्मान नेपाल से भी प्राप्त हुआ है। डॉ. मूलचंद ने कहा कि यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है। उन्होंने संस्कृत को हमेशा दिल से जिया है और उनकी कोशिश रही है कि यह भाषा सिर्फ विद्वानों तक न रहे। उनकी इस उपलब्धि पर जिलेभर में खुशी का माहौल है। शिक्षा जगत, छात्र वर्ग और संस्कृत प्रेमियों ने उन्हें ढेरों शुभकामनाएं दी हैं। इसे चूरू जिले की एक बड़ी उपलब्धि बताया गया है।

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