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ब्रेन डेड महिला ने 4 लोगों को दी नई जिंदगी:किडनी, हार्ट का जयपुर में ट्रांसप्लांट किया, लिवर जोधपुर भेजा


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ब्रेन डेड महिला ने 4 लोगों को दी नई जिंदगी:किडनी, हार्ट का जयपुर में ट्रांसप्लांट किया, लिवर जोधपुर भेजा

ब्रेन डेड महिला ने 4 लोगों को दी नई जिंदगी:किडनी, हार्ट का जयपुर में ट्रांसप्लांट किया, लिवर जोधपुर भेजा

अलवर : अलवर की महिला ने ब्रेन डेड होने के बाद 4 लोगों की जिंदगी बचाई। डॉक्टर्स की सलाह पर ब्रेन डेड महिला के परिजनों ने उसके अंगों को दान करने का फैसला किया, जिन्हें सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में भर्ती तीन मरीजों को लगाया गया, जबकि लिवर जोधपुर एम्स भेजा गया। एसएमएस हॉस्पिटल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट के नोडल ऑफिसर डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया- सुमित्रा सिंह (43) पत्नी धनसिंह निवासी अलवर पिछले कुछ समय से जयपुर में दिल्ली रोड स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती थी। वे आज ब्रेनडेड हो गई। ब्रेन डेड घोषित करने के बाद डॉक्टरों ने परिजनों से समझाइश की और महिला के अंग किसी जरूरतमंद को दान करने के लिए कहा। समझाइश के बाद परिजनों ने सहमति दे दी, जिसके बाद ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया शुरू की गई।

ब्रेनडेड महिला के अंगों को लेकर रवाना होते हुए मेडिकल टीम।
ब्रेनडेड महिला के अंगों को लेकर रवाना होते हुए मेडिकल टीम।

हार्ट और किडनी जयपुर में ट्रांसप्लांट, लिवर जोधपुर भेजा

डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया- महिला की दोनों किडनी और हार्ट को जयपुर के सवाई मान​सिंह हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के लगाया गया। नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी टीम ने एक किडनी हॉस्पिटल में भर्ती महिला (37) निवासी जोधपुर को लगाई।

दूसरी किडनी पुरुष मरीज (37) निवासी जयपुर को लगाई गई। वहीं हॉर्ट CTVS टीम ने 43 साल के पुरुष के लगाया गया। हार्ट का ट्रांसप्लांट CTVS टीम के डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. रामगोपाल यादव, डॉ. देवी प्रसाद सैनी और डॉ. आनंदी सिंह के साथ उनकी टीम ने किया।

मेडिकल टीम के साथ ब्रेन डेड महिला के परिजन।
मेडिकल टीम के साथ ब्रेन डेड महिला के परिजन।

भारत में ऑर्गन डोनेशन, जानें क्या है कानून…

ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट साल 1994 में पास हुआ था। यह कानून जीवन बचाने के लिए मानव अंगों के सर्जिकल रिमूवल, ट्रांसप्लांटेशन और उसके रख-रखाव के नियमों को सुनिश्चित करता है। साथ ही इस कानून में मानव अंगों की तस्करी रोकने के लिए भी कठोर प्रावधान हैं।

इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति का ब्रेन स्टेम डेड होना मृत्यु का प्रमाण है। इसके बाद परिवार की सहमति से उसके शरीर के अंग और टिशूज डोनेट, ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इस कानून से जुड़ी रेगुलेटरी और एडवाइजरी बॉडी है, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करती है।

इस कानून के मुताबिक लिविंग ऑर्गन डोनेशन की स्थिति में डोनर डायरेक्ट ब्लड रिलेशन का ही हो सकता है। पैसे लेकर ऑर्गन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए यह प्रावधान किया गया है।

कैसे कर सकते हैं अंगदान

दो तरीकों से अंगदान करते हैं। जीवित रहते हुए और मृत्यु के बाद। जीवित रहते हुए लिवर, किडनी जैसे अंग डोनेट किए जा सकते हैं, लेकिन रिसीवर आपके परिवार का नजदीकी व्यक्ति जैसे माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन या कोई डायरेक्ट रिलेटिव ही हो सकता है।

मृत्यु के बाद ऑर्गन डोनेशन के भी दो तरीके हैं। आप चाहें तो अपनी बॉडी किसी आधिकारिक मेडिकल संस्थान को दान कर सकते हैं। ऐसा न होने की स्थिति में मृत्यु के बाद उस व्यक्ति के करीबी लोग बॉडी डोनेट करने का फैसला ले सकते हैं।

 

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