स्कूल भवन के लोकार्पण पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने:पूर्व सीएम गहलोत के कार्यक्रम में उद्घाटन निर्धारित; सरकार ने कहा- शिक्षामंत्री करेंगे
स्कूल भवन के लोकार्पण पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने:पूर्व सीएम गहलोत के कार्यक्रम में उद्घाटन निर्धारित; सरकार ने कहा- शिक्षामंत्री करेंगे

जोधपुर : जोधपुर के पहाड़गंज द्वितीय, वार्ड 75 स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल के नवनिर्मित भवन के लोकार्पण को लेकर राजस्थान की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा सरकार और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर टकराव की स्थिति बनती नजर आ रही है, जिससे प्रदेश की सियासत में हलचल मच गई है।
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंगलवार रात को जोधपुर पहुंचे। इससे पहले उनके पांच दिवसीय कार्यक्रम सामने आया। इसमें गहलोत की ओर से पहाड़गंज स्थित स्कूल के उद्घाटन का कार्यक्रम भी निर्धारित है। रात को सरकारी प्रेसनोट सामने आया, जिसमें उसी स्कूल का उद्घाटन शिक्षा मंत्री के जोधपुर दौरे के दौरान तय होने की जानकारी दी गई। इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छिड़ गई।
गहलोत के दौरे के साथ शुरू हुआ विवाद
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि भाजपा सरकार बनने के बाद यह उनका जोधपुर में अब तक का सबसे लंबा प्रवास है। गहलोत के पांच दिवसीय दौरे का ब्यौरा मंगलवार सुबह 10:52 बजे मीडिया से साझा किया गया, जिसमें 27 जून को शाम 5:30 बजे पहाड़गंज द्वितीय स्थित स्कूल भवन के लोकार्पण कार्यक्रम की जानकारी दी गई थी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार यह वही स्कूल है, जिसके निर्माण की अनुशंसा और फंड स्वीकृति खुद गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में की थी।

सरकारी प्रेसनोट से बढ़ी तल्खी
मंगलवार देर रात 9:09 बजे सरकार की ओर से जारी प्रेसनोट ने माहौल को और गर्मा दिया। इसमें कहा गया कि भवन का विधिवत उद्घाटन शिक्षा मंत्री मदन दिलावर करेंगे और तारीख मंत्री के प्रवास के अनुसार तय होगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के हवाले से जारी इस प्रेसनोट में स्पष्ट किया गया कि यह भवन समग्र शिक्षा अभियान के तहत बनाया गया है। इसके उद्घाटन की तारीख शिक्षा मंत्री के जोधपुर दौरा तय होने पर निर्धारित की जाएगी। यानी कि पूर्व मुख्यमंत्री को इसके उद्घाटन का अधिकार नहीं है।
कांग्रेस का दावा, भाजपा का इनकार
सूत्रों के अनुसार, चूंकि यह भवन गहलोत के विधायक कोटे से नहीं बना, इसलिए सरकार उन्हें उद्घाटन का अधिकार नहीं देना चाहती। कांग्रेस का तर्क है कि जब भवन का फंड और अनुशंसा गहलोत सरकार की है, तो पूर्व मुख्यमंत्री को उद्घाटन से रोकना राजनीतिक दुर्भावना है। वहीं, भाजपा का कहना है कि नियमों के अनुसार, सरकारी भवनों का लोकार्पण वर्तमान सरकार के मंत्री ही करेंगे।
राजनीतिक गलियारों में नई बहस
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में विधानसभा में भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार देखी गई है। कांग्रेस इसे भाजपा की “राजनीतिक असुरक्षा’ बता रही है, जबकि भाजपा इसे सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा मान रही है। गहलोत पहले भी भाजपा सरकार पर आरोप लगा चुके हैं कि वे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों का श्रेय खुद लेना चाहती है।

जोधपुर में गहलोत की मौजूदगी के मायने
गौरतलब है कि गहलोत का जोधपुर से गहरा नाता है और वे यहां से कई बार विधायक रह चुके हैं। भाजपा सरकार बनने के बाद पहली बार उनका इतना लंबा दौरा, वह भी अपने ही कार्यकाल में स्वीकृत स्कूल भवन के लोकार्पण के मौके पर, राजनीतिक संदेशों से खाली नहीं है। कांग्रेस इसे गहलोत के जनाधार और उनकी विकास योजनाओं की स्वीकार्यता से जोड़ रही है, वहीं भाजपा इसे सरकारी मर्यादा और अधिकार क्षेत्र का मामला बता रही है।
क्या बोले सियासी जानकार?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद भाजपा-कांग्रेस के बीच सिर्फ एक स्कूल भवन के उद्घाटन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सत्ता परिवर्तन के बाद पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं का श्रेय किसे मिले, इस पर बड़ी बहस की शुरुआत है। इससे पहले भी भाजपा ने कांग्रेस सरकार के फैसलों को पलटने या उन्हें अपने नाम करने की कोशिश की है, जिस पर गहलोत लगातार सवाल उठाते रहे हैं।
क्या होगी आगे की रणनीति?
फिलहाल, न तो सरकार और न ही गहलोत की ओर से इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बयान आया है। लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस इस विवाद को जनता के बीच ले जाकर भाजपा सरकार पर पूर्ववर्ती योजनाओं का श्रेय छीनने का आरोप तेज कर सकती है। वहीं, भाजपा अपने मंत्री के हाथों उद्घाटन को सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा बताकर कांग्रेस के आरोपों को खारिज करेगी।