झुंझुनूं रोडवेज डिपो में 89 लाख का वेतन घोटाला:उच्च-स्तरीय जांच टीम सक्रिय, 17 कर्मियों के दस्तावेज जब्त
झुंझुनूं रोडवेज डिपो में 89 लाख का वेतन घोटाला:उच्च-स्तरीय जांच टीम सक्रिय, 17 कर्मियों के दस्तावेज जब्त

झुंझुनूं : राजस्थान रोडवेज के झुंझुनूं डिपो में एक बड़े वेतन घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। जिसमें 89 लाख रुपए से अधिक का गबन होने का अनुमान है। इस मामले की जांच के लिए रोडवेज मुख्यालय द्वारा गठित एक उच्च-स्तरीय टीम ने 11 घंटे तक गहन पड़ताल की। जिसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए और 17 कर्मचारियों के रिकॉर्ड खंगाले गए।
राजस्थान रोडवेज के झुंझुनूं डिपो में वेतन से संबंधित एक बड़े वित्तीय घोटाले की जांच जारी है। एक उच्च-स्तरीय जांच समिति ने डिपो में लगभग ग्यारह घंटे तक रिकॉर्ड खंगाले और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने कब्जे में लिए।
यह लगभग दो महीने में दूसरी बार है जब जांच टीम ने इतने लंबे समय तक पूछताछ और दस्तावेजों का निरीक्षण किया है।
सूत्रों के अनुसार, मई 2024 में इस घोटाले की शिकायत जयपुर स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में दर्ज की गई थी, जिसके बाद ACB ने रोडवेज मुख्यालय को इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी।
जांच टीम ने खंगाले हाजिरी और वेतन भुगतान से जुड़े दस्तावेज
मुख्यालय द्वारा गठित उच्च-स्तरीय जांच समिति, जिसमें संभागीय प्रबंधक अवधेश शर्मा और सहायक संभागीय प्रबंधक उमेश नागर शामिल थे। जांच टीम ने कर्मचारियों की उपस्थिति से संबंधित रजिस्टर, वेतन भुगतान रजिस्टर, ड्यूटी चार्ट, छुट्टी रिकॉर्ड और अन्य प्रशासनिक फाइलों की बारीकी से जांच की।
गहन विश्लेषण के लिए इन सभी दस्तावेजों को टीम ने अपने कब्जे में ले लिया है। इसके अतिरिक्त, जिन कर्मचारियों पर संदेह जताया गया है, उनसे सीधे पूछताछ भी की गई।
14 कर्मचारियों पर बिना ड्यूटी वेतन उठाने का आरोप, 17 के दस्तावेज जब्त
जांच के दौरान यह सामने आया कि झुंझुनूं रोडवेज डिपो में कार्यरत 14 कर्मचारियों पर लंबे समय से बिना ड्यूटी पर आए वेतन उठाने के गंभीर आरोप हैं। इनमें एक कनिष्ठ लिपिक, एक वरिष्ठ सहायक, दो चालक और 10 परिचालक शामिल हैं।
आरोपों के अनुसार इन कर्मचारियों ने फर्जी हाजिरी दिखाकर अथवा किसी की मिलीभगत से वेतन निकाला। जांच टीम ने कुल 17 कर्मचारियों के रिकॉर्ड जब्त किए हैं। जिनमें उनकी हाजिरी रिपोर्ट, वेतन स्लिप, प्रमोशन और स्थानांतरण रिकॉर्ड जैसी जानकारियां शामिल हैं।
संभागीय प्रबंधक अवधेश शर्मा ने बताया कि दस्तावेजों की गहनता से जांच की जा रही है ताकि सभी तथ्यों को उजागर किया जा सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जांच के दौरान संदिग्ध कर्मचारियों की संख्या घट या बढ़ सकती है।
पूर्व में भी लगे थे आरोप
झुंझुनूं डिपो के मुख्य प्रबंधक गणेश शर्मा चार साल में दूसरी बार इस पद पर नियुक्त हुए हैं। उन्होंने फरवरी 2024 में दोबारा कार्यभार संभाला था। उनके दोबारा कार्यभार संभालने के कुछ ही समय बाद यह शिकायत दर्ज की गई। इससे पहले भी इसी डिपो में कर्मचारियों पर फर्जी हाजिरी और वेतन गबन के आरोप लगे थे, परंतु तब जांच अधूरी रह गई थी।
जांच के घेरे में अहम सवाल
- बिना ड्यूटी पर आए कर्मचारी महीनों तक वेतन कैसे उठा रहे थे?
- क्या इसमें डिपो प्रशासन की भी मिलीभगत थी?
- क्या यह एक सुनियोजित साजिश थी या महज लापरवाही का नतीजा?
- क्या पहले भी इसी तरह के मामले दबा दिए गए थे?
इन सभी सवालों का जवाब अब जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगा, जो जल्द ही मुख्यालय को सौंपी जाएगी। जांच टीम का मानना है कि यह घोटाला केवल 14 या 17 कर्मचारियों तक सीमित नहीं हो सकता और इसमें अन्य प्रशासनिक अधिकारी या क्लर्क भी शामिल हो सकते हैं। यदि ऐसा पाया जाता है, तो जांच की परिधि को और अधिक विस्तृत किया जाएगा।