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अजीब सिर-चेहरे वाली बच्ची पैदा हुई:परिवार में 30 साल पहले हुआ था ऐसा ही बच्चा; डॉक्टर बोले- जेनेटिक डिसऑर्डर


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अजीब सिर-चेहरे वाली बच्ची पैदा हुई:परिवार में 30 साल पहले हुआ था ऐसा ही बच्चा; डॉक्टर बोले- जेनेटिक डिसऑर्डर

अजीब सिर-चेहरे वाली बच्ची पैदा हुई:परिवार में 30 साल पहले हुआ था ऐसा ही बच्चा; डॉक्टर बोले- जेनेटिक डिसऑर्डर

भीलवाड़ा : भीलवाड़ा में अजीब से सिर-चेहरे वाली बच्ची पैदा हुआ तो पूरा परिवार सहम गया। मां नवजात बेटी का चेहरा देखकर डर गई। बच्ची का सिर शरीर की तुलना में बड़ा,आंखें-नाक मुंह सब विकृत हैं। डॉक्टर का कहना है कि जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण इस तरह के बेबी होते हैं। ऐसे बच्चों के बचने की संभावना बहुत कम होती है। मामला जिले के जहाजपुर के कीर मोहल्ला का है।

बच्ची को देख सहमा परिवार…

बच्ची को देख परिवार के लोग सहम गए। डॉक्टर कहते हैं जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण ऐसा होता है।
बच्ची को देख परिवार के लोग सहम गए। डॉक्टर कहते हैं जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण ऐसा होता है।

पहली बेटी पूरी तरह स्वस्थ, यह दूसरी संतान

जानकारी के अनुसार जहाजपुर के कीर मोहल्ला में रहने वाले अर्जुन लाल (26) की पत्नी पिंकी (25) को शुक्रवार को यह बच्ची हुई। पिंकी की पहली संतान 2 साल की बेटी पूरी तरह स्वस्थ है। जहाजपुर के महिला वार्ड में भर्ती पिंकी ने बेटी को जन्म दिया तो परिवार में उत्साह था। लेकिन देखने के बाद सभी सहम गए। अर्जुन लाल जहाजपुर में खेती करते हैं और फल का ठेला लगाते हैं।

पिंकी की सास कैलाशी ने बताया- 30 साल पहले मुझे भी ऐसा ही बच्चा हुआ था। लेकिन वह ज्यादा देर जी नहीं पाया था। अब मेरे सबसे छोटे बेटे (अर्जुन) को इस तरह का बच्चा हुआ है। यह आज (शुक्रवार) को हुआ। अर्जुन की बेटी स्वस्थ है। पहले से पता होता कि ऐसा बच्चा होने वाला है तो कुछ इलाज कराते लेकिन कैसा बच्चा होने वाला है यह कैसे पता चले?

जहाजपुर हॉस्पिटल में पिंकी की सास कैलाशी और परिवार के अन्य लोग।
जहाजपुर हॉस्पिटल में पिंकी की सास कैलाशी और परिवार के अन्य लोग।

डॉक्टर बोले- रेयर कंडीशन, जेनेटिक डिसऑर्डर है

जहाजपुर हॉस्पिटल के डॉक्टर रोहिताश मीणा ने बताया- ये रेयर कंडीशन है। इस तरह की संतान जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण होती है। इसे कोलोडियल वे भी कहते हैं। इसमें बच्चे को मल्टीपल समस्याएं होती हैं। इस बच्चे की स्किन सूखी है। आखें विकसित नहीं हुई हैं। हार्ट में भी दिक्कत हो सकती है। ऐसे बच्चों के बचने की संभावना बहुत कम होती है।

100 में से 10 फीसदी बच्चे ही बच पाते हैं। ये भी ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह पाते। ऐसे बच्चों को फीडिंग की दिक्कत आने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियां होती हैं।

बच्ची को देख परिवार के लोग सहम गए।
बच्ची को देख परिवार के लोग सहम गए।
अस्पताल में भर्ती बच्ची की मां पिंकी।
अस्पताल में भर्ती बच्ची की मां पिंकी।

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