खुलेआम लूट का मामला:निजी स्कूल संचालक थोप रहे महंगी किताबें, विभाग मौन
खुलेआम लूट का मामला:निजी स्कूल संचालक थोप रहे महंगी किताबें, विभाग मौन

झुंझुनूं : जिले के निजी स्कूलों में किताबों के नाम पर अभिभावकों की जेब पर हर साल हजारों का डाका डाला जा रहा है। स्कूल संचालक मनमर्जी से पब्लिशर चुनते हैं और उन्हीं की किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर करते हैं। शिक्षा विभाग इन पर कार्रवाई करने के बजाय तमाशबीन बना बैठा है।
शिक्षा का अधिकार कानून जहां एक ओर बच्चों को समान और किफायती शिक्षा की गारंटी देता है, वहीं दूसरी ओर निजी स्कूल संचालक इस कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। जिले के अधिकांश निजी स्कूलों में कक्षा पहली से पांचवी तक के बच्चों के लिए महंगी और गैर-मान्यता प्राप्त पब्लिशरों की किताबें थोप दी जाती हैं।
स्थिति यह है कि एक अभिभावक को एक बच्चे के लिए लगभग 7000 से 10,000 रुपए की किताबें खरीदनी पड़ रही हैं, जो कई सरकारी या राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की किताबों से कई गुना महंगी हैं। 20 से 30 पेज की किताबों का मूल्य किताबों पर 400 से 500 रुपये अंकित है। किताबें स्कूल से, स्कूल के तय दुकान या स्टॉल से ही खरीदने का दबाव बनाया जाता है।शिक्षा विभाग इस अवैध मुनाफाखोरी पर चुप है।
सरकार को चाहिए कि- हर स्कूल को एनसीईआरटी/राज्य बोर्ड की किताबें लागू करने के आदेश दे।
- किताबों की सूची सत्र शुरू होने से पहले पर सार्वजनिक की जाए।
- किसी एक दुकान से खरीदने की बाध्यता पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाए।
- अभिभावक शिकायत तंत्र को सक्रिय और प्रभावी बनाया जाए।