ट्रेक्टर ड्राइवर से मारपीट का मामला, पुलिस ने शुरू की जांच
पुलिस बोली - मारपीट हुई है, सवाल ये - की गिरफ्तारी क्यों नहीं?

पचेरी कलां : थाना इलाके के मेघपुर में ईंट भट्टे पर दो ट्रेक्टर चालकों को बंधक बनाकर की गई बेरहमी से मारपीट के मामले में पुलिस ने जांच तो शुरू कर दी और पुलिस यह भी मान रही है कि मारपीट हुई है। लेकिन फिर भी अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
डीएसपी बोले-मारपीट तो हुई है, लेकिन क्यों की, यह स्पष्ट नहीं
इस मामले की जांच कर रहे बुहाना डीएसपी नोपाराम भाकर से जब मीडिया रिपोर्टर से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मारपीट हुई है। लेकिन मटके को छुने को लेकर मारपीट हुई है। यह पुष्टि नहीं हो पाई। लेकिन सवाल यह है कि जब बेरहमी से मारपीट हुई है। तो फिर पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने में देरी क्यों बरत रही है।

बहरहाल, मामला दर्ज होने के बाद मंगलवार को डीएसपी नोपाराम भाकर ने मौके पर पहुंचे और नक्शा वगैरह बनाकर कानूनी प्रक्रिया को पूरी की। आपको बता दें कि पचेरी कलां थाने में सीकर जिले के खंडेला थाना इलाके के कोटड़ी निवासी चिमनलाल मेघवाल ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि वह बलदेव मीणा के ट्रेक्टर पर ड्राइवरी करता है। जो पचेरी कलां थाना इलाके के मेघपुर में विनोद यादव के ईंट भट्टे से ईंट ले जाता है। 18 जनवरी को शाम छह बजे जब वह ईंट लेने पहुंचा तो उसने ईंट ट्रेक्टर में डलवा ली और बाद में विनोद यादव के मुनीम को हिसाब के पैसे भी दे दिए। जब वह मटके का पानी पीने गया तो पीछे से विनोद यादव आया और पहले उसके लात मारी। इसके बाद विनोद यादव, उसका मुनीम, ड्राइवर व एक अन्य व्यक्ति जो शराब के नशे में धुत्त थे। उसे अपनी गाड़ी से अज्ञात जगह ले गए। जहां पर रातभर उन्होंने मारपीट की। मारपीट के दौरान उन्होंने पीड़ित चिमनलाल के फोन से ट्रेक्टर मालिक बलदेव मीणा को फोन करवाकर एक लाख 12 हजार रूपए मांगे। पैसे ना देने पर ऐसे ही मारपीट करने की धमकी दी। फोन के दरमियान भी बलदेव को डराने के लिए आरोपियों ने बेरहमी के साथ चिमनलाल के साथ मारपीट जारी रखी। सुबह जैसे तैसे आरोपियों के चंगुल से भागकर चिमनलाल ने अपने मालिक बलदेव को फोन किया और अपनी जान बचाई।

साथी चालक परमेश्वर शर्मा ने बताया था
जब चिमनलाल को पीटने लगे तो मैंने पूछा क्यों मार रहे हो? भट्ट्टा मालिक विनोद यादव ने कहा-इसने मटका गंदा कर दिया। मैंने कहा कि मटका छूने से खराब हो गया तो वह एक के बदले पांच लाकर दे देगा। तब भट्टा मालिक यह कहते हुए उसे भी पीटने लगा कि तू करोड़पति है क्या… जो दूसरा मटका लाकर दे देगा।
भट्टे पर खाना बनाने वाले और मुनीम एससी के
पुलिस ने बताया कि ईंट भट्टे पर खाना बनाने वाला युवक व मुनीम खुद एससी वर्ग के हैं। यहां पर अधिकांश कार्य करने वाले मजदूर भी एससी के हैं। यहां पर खाना बनाने वाला अनिल कुमार व मुनीम कैलाश खुद एस सी वर्ग से आते हैं। यहां पर एक ही स्टैंड पर पानी के तीन मटके रखे हुए हैं। अलग से कोई मटकी नहीं पाई गई है। सभी इनमें पानी पीते हैं।
तीनों पीड़ित, मुनीम व खाना बनाने वाले एक ही कमरे में सोए
पुलिस ने बताया कि पीड़ित चिमनलाल मेघवाल, खाना बनाने वाला अनिल व मुनीम रात के समय ईंट भट्टे के पास बने एक ही कमरे में रात के समय सोए हुए थे। कमरे में तीन अलग-अलग चारपाई हैं। इन चारपाइयों पर तीनों सोए हैं।
रुपए मांगने का ऑडियो भी हुआ था वायरल
युवक से रुपए मांगने के मामले में दो ऑडियो भी वायरल हुए थे। सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो में चिमनलाल की चीख पुकार के अलावा आरोपियों की ओर से गाली-गलौच और रुपए लाने की धमकी की आवाजें आ रही हैं।
डीएसपी बोले, एक्स्ट्रा ईंटों को लेकर था विवाद
मीडिया रिपोर्टर से बातचीत में मामले के जांच अधिकारी बुहाना डीएसपी नोपाराम भाकर ने बताया कि अब तक की जांच में यह साफ हो पाया है कि मारपीट हुई है। मंगलवार को दूसरा ट्रेक्टर ड्राइवर भी आया है। जिसने बयान दिए है कि उसके साथ भी मारपीट हुई है। लेकिन मटकी को छुने को लेकर मारपीट हुई। यह बात साफ नहीं हुई है। अब तक जांच में ट्रेक्टर में एक्स्ट्रा ईंटें भरने को लेकर विवाद की बात सामने आई है। वहीं रूपयों के लेन—देन को लेकर मारपीट की गई है। अनुसंधान पूरा होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।
देर रात दो को किया डिटेन…
वहीं देर रात पुलिस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार दो जनों को पुलिस ने डिटेन किया हैं और दोनों अभियुक्त से डीएसपी नेपाराम भाकर व उनकी टीम पूछताछ कर रही हैं। पुलिस द्वारा डिटेन किए व्यक्ति में एक रेवाड़ी निवासी बलराज व दूसरा भालोठ निवासी संदीप कुमार हैं। वही मुख्य नामजद आरोपी विनोद यादव पुलिस की पकड़ से दूर हैं।
इधर, गहलोत ने दी सीएम को नसीहत
राजस्थान की भाजपा सरकार के शासन में दलितों के खिलाफ अत्याचार तेजी से बढ़े हैं। कुछ दिन पूर्व ही बाड़मेर में दलित की पेड़ से बांधकर मारपीट की वीडियो वायरल हुई थी और अब झुंझुनूं में पानी के मटके को छूने पर दलित के साथ बंधक बनाकर मारपीट की गई।
ऐसा भी देखा जा रहा है कि राजस्थान पुलिस भी ऐसे गंभीर मामलों पर कार्रवाई करने की बजाय राजनीतिक बचाव में लगती है और पीड़ितों के ऊपर ही दोष आरोपित करने का प्रयास करती है। क्या किसी भी व्यक्ति से की गई मारपीट पर पुलिस द्वारा बहानेबाजी करना जायज है? क्या दोषियों की गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए थी?
प्रदेश में भाजपा की सरकार आए अब एक वर्ष हो गया है और इनके कार्यकाल में दलितों पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं जिससे दलित समुदाय में आक्रोश पैदा होता जा रहा है। समय रहते ही सरकार को चेत जाना चाहिए वर्ना प्रदेश की स्थिति और बिगड़ती चली जाएगी।
जिस प्रकार मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तमाम विभागों की समीक्षा बैठकें करते हैं उसी प्रकार उनको इस एक वर्ष में दलितों के साथ हुए अपराधों एवं उन पर हुई कार्रवाई की स्थिति पर एक समीक्षा बैठक करनी चाहिए जिससे दलितों को न्याय मिलने की एक उम्मीद जाग सके।
पायलट बोले, भाजपा राज में दलित-पिछड़ों पर बढ़ा अत्याचार
सचिन पायलट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मंगलवार को बयान जारी कर कहा, झुंझुनूं के मेघपुर में पानी के मटके को छूने को लेकर दलित व्यक्ति को बेरहमी से पीटने एवं वसूली की घटना पूर्ण रूप से अमानवीय है, जिसकी मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं।
भाजपा राज में दलित प्रताड़ित
सचिन पायलट ने कहा कि हर प्रकार के भेदभाव एवं असमानता को मिटाकर लोगों को एकता, समानता और सद्भाव के सूत्र में बांधना है, यही बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के आदर्श हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार के शासन में हो रही इस प्रकार की घटनाएं उन आदर्शों और संवैधानिक मूल्यों को आहत करती हैं। केंद्र एवं राज्य की भाजपा सरकार के राज में दलितों, पिछड़ों एवं गरीबों पर अत्याचार किया जा रहा है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, यह बेहद शर्मनाक है।
टीकाराम जूली बोले, समतामूलक समाज के सपने को भाजपा ने किया तार-तार
टीकाराम जूली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मंगलवार को बयान जारी कर कहा, “राजस्थान में भाजपा सरकार के शासनकाल में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, और मेघपुर की घटना इस विफल सरकार की असंवेदनशीलता और जातिवादी मानसिकता का कड़वा उदाहरण है। एक दलित युवक को पानी के मटके को छूने की वजह से बर्बरता से पीटा गया, पूरी रात बंधक बनाकर रखा गया और फिरौती वसूलने के बाद छोड़ा गया। यह घटना न केवल दलित समाज के सम्मान और अधिकारों पर हमला है, बल्कि यह भाजपा सरकार की दलित विरोधी नीतियों को भी उजागर करती है।
बाबा साहब अंबेडकर ने जिस समतामूलक समाज और संविधान का सपना देखा था, उसे राजस्थान की भाजपा सरकार ने तार-तार कर दिया है। बाबा साहब ने हमें समानता, न्याय और भाईचारे का मार्ग दिखाया था, लेकिन आज यह सरकार इन मूल्यों की खुलेआम अवहेलना कर रही है। दलितों को सिर्फ उनकी जाति के आधार पर अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है, और सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है।
यह सरकार केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने में लगी है और दलितों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करने में पूरी तरह नाकाम रही है। भाजपा सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह संविधान और दलित समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लेती।
मैं भाजपा सरकार से पूछता हूं कि क्या यही राम राज्य है, जिसका वे वादा करते हैं? क्या बाबा साहब अंबेडकर का संविधान इस तरह के अन्याय और अत्याचार की इजाजत देता है? यह सरकार संविधान के मूल्यों और दलित समाज के आत्मसम्मान को कुचलने का प्रयास कर रही है।
इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए, मैं मांग करता हूं कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो और पीड़ित परिवार को न्याय मिले।