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सीकर में रात को कड़कड़ाती ठंड में बैठे रहे स्टूडेंट्स:बोले- यूनिवर्सिटी के अंदर सोने नहीं दिया, बाहर से जबरदस्ती उठाने की कोशिश हुई


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सीकर में रात को कड़कड़ाती ठंड में बैठे रहे स्टूडेंट्स:बोले- यूनिवर्सिटी के अंदर सोने नहीं दिया, बाहर से जबरदस्ती उठाने की कोशिश हुई

सीकर में रात को कड़कड़ाती ठंड में बैठे रहे स्टूडेंट्स:बोले- यूनिवर्सिटी के अंदर सोने नहीं दिया, बाहर से जबरदस्ती उठाने की कोशिश हुई

सीकर : पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी यूनिवर्सिटी (सीकर) में फीस बढ़ोतरी के विरोध में एसएफआई के अनिश्चितकालीन धरने का आज तीसरा दिन है। शुक्रवार देर रात को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने स्टूडेंट्स को धरने से उठाने का जबरदस्ती प्रयास किया। लेकिन स्टूडेंट्स खुले आसमान के नीचे बैठकर ठिठुरते रहे और धरना जारी रहा।

एसएफआई के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश डूडी ने बताया- यूनिवर्सिटी प्रशासन प्रोफेशनल कोर्स का हवाला देकर हजारों छात्रों से डबल फीस वसूल कर रहा है जिससे छात्र परेशान हैं। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा प्रोफेशनल कोर्स के नाम पर एमबीए, एमसीए, बीबीए, बीसीए, एलएलएम व एमएससी बायोटेक की फीस में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। यूनिवर्सिटी में गरीब, मजदूर व किसानों के बच्चे पढ़ते हैं जो भारी भरकम फीस देने में असमर्थ है। इसलिए इन कोर्सेस की फीस कम की जाए।

यूनिवर्सिटी में धरने पर बैठे स्टूडेंट्स।
यूनिवर्सिटी में धरने पर बैठे स्टूडेंट्स।

आरोप- प्रशासन ने दुर्व्यवहार किया

आरोप है कि सिक्योरिटी ने उन्हें कैम्पस के अंदर भी नहीं सोने दिया और उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। रात को पुलिस भी मौके पर पहुंची और स्टूडेंट्स से समझाइश की गई लेकिन वह नहीं माने। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब तक यूनिवर्सिटी का तानाशाह वीसी उनकी मांगें नहीं मान लेता तब तक वे धरने पर बैठे रहेंगे।

सिक्योरिटी गार्ड स्टूडेंट्स को धरने से उठाने का प्रयास करते हुए।
सिक्योरिटी गार्ड स्टूडेंट्स को धरने से उठाने का प्रयास करते हुए।

आर्ट्स कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष राजू बिजारणियां ने कहा- एसएफआई यूनिवर्सिटी की धमकियों से डरने वाली नहीं है। छात्र हितों के लिए हम ठंड व बारिश में ही नहीं सड़कों पर बैठ जाएंगे, लाठियां खाएंगे। लेकिन प्रशासन से अपनी मांगे मनवाकर ही रहेंगे। यूनिवर्सिटी प्रशासन को फीस कम करनी ही होगी। अगर जल्द ही एमबीए, एमसीए, बीबीए, बीसीए, एलएलएम व एमएससी बायोटेक की फीस कम नहीं की तो यह आंदोलन उग्र रूप लेगा और छात्र आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।

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