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पाकिस्तान सरकार की चादर लेकर अजमेर पहुंचे जायरीन:बोले- हिंदुस्तान-पाकिस्तान एक हो, दुआ करेंगे, ख्वाजा साहब की शान में गीत गाए


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पाकिस्तान सरकार की चादर लेकर अजमेर पहुंचे जायरीन:बोले- हिंदुस्तान-पाकिस्तान एक हो, दुआ करेंगे, ख्वाजा साहब की शान में गीत गाए

पाकिस्तान सरकार की चादर लेकर अजमेर पहुंचे जायरीन:बोले- हिंदुस्तान-पाकिस्तान एक हो, दुआ करेंगे, ख्वाजा साहब की शान में गीत गाए

मेरे ख्वाजा पिया..बुलवा लिया। माशाअल्लाह, दोनों देशों के ताल्लुकात बहुत अच्छे हैं। दुआ करेंगे कि हिंदुस्तान पाकिस्तान एक हो जाएं।

यह कहना है पाकिस्तान से अजमेर पहुंचे जायरीन का। सोमवार को वाघा बॉर्डर (अमृतसर, पंजाब) से भारतीय सीमा में 89 जायरीनों ने प्रवेश किया था। अमृतसर से यह दल विशेष ट्रेन से सोमवार रात 2:56 बजे अजमेर पहुंचा। इनके साथ पाकिस्तान एंबेसी के 2 अधिकारी भी मौजूद हैं।

अजमेर में ख्वाजा साहब का 813वां उर्स चल रहा है। इसमें शिरकत करने और पाकिस्तान सरकार की ओर से चादर पेश करने के लिए जायरीनों का दल आया है। पाकिस्तानी जायरीन ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती गरीब नवाज के लिए स्पेशल तोहफे भी लेकर आए हैं। इनमें पाकिस्तान की मशहूर मिठाइयां और खास फूलों के गुलदस्ते शामिल हैं।

अजमेर रेलवे स्टेशन पर जायरीन के दल को ट्रेन से उतार कर जांच के लिए ले जाते जीआरपी के जवान।
अजमेर रेलवे स्टेशन पर जायरीन के दल को ट्रेन से उतार कर जांच के लिए ले जाते जीआरपी के जवान।

ख्वाजा की नगरी पहुंचने पर शुक्रिया अदा किया

पाकिस्तानी जायरीन जब अजमेर रेलवे स्टेशन पर उतरे तो इनमें से कुछ ने दुआ के लिए हाथ उठाए और ख्वाजा की नगरी पहुंचने पर शुक्रिया अदा किया। एक सदस्य ने ‘मेरे ख्वााजा पिया, दर पर बुलवा लिया ‘ गीत गाया। दल के लगभग सभी सदस्य चादर लाए हैं। यह चादर गरीब नवाज की मजार पर पेश की जाएगी।

ट्रेन से उतरे एक जायरीन ने ख्वाजा साहब की शान में गीत गाए।
ट्रेन से उतरे एक जायरीन ने ख्वाजा साहब की शान में गीत गाए।

ख्वाजा साहब के दर पर दुआ करेंगे

पाकिस्तान से आए सैयद अब्दुल वहाब कादरी (जायरीन) ने कहा- हम ख्वाजा साहब की सरजमीं पर आ गए। आपका देश तरक्की करे। ख्वाजा साहब के दर पर दुआ करेंगे कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान एक हो जाएं।

एक जायरीन ने कहा- माशाअल्लाह दोनों देशों के बीच बहुत अच्छे ताल्लुकात हैं। ये और बेहतर बने, इसके लिए दुआ करेंगे।

अजमेर GRP CO रामअवतार ने बताया- पाकिस्तानी जायरीन का जत्था अजमेर पहुंचा है। जत्थे में 2 अधिकारियों समेत 91 जायरीन हैं। स्टेशन पर कड़ी सुरक्षा के बीच सभी को रिसीव कर सेंट्रल गर्ल्स स्कूल (अजमेर) भेजा गया। यहीं पर इनके ठहरने की व्यवस्था की गई है।

अमृतसर से अजमेर आने वाली इस विशेष ट्रेन में सामान्य पैसेंजर भी होते हैं। जायरीन के लिए खास बोगियां अलॉट होती हैं। उन बोगियों में सामान्य पैसेंजर की एंट्री नहीं होती है।

पाकिस्तानी जायरीन सैयद अब्दुल वहाब कादरी ने कहा- दुआ करेंगे दोनों देश एक हों।
पाकिस्तानी जायरीन सैयद अब्दुल वहाब कादरी ने कहा- दुआ करेंगे दोनों देश एक हों।

जत्था आने से पहले रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा इंतजाम परखा

पाकिस्तान से आए जायरीन की सुरक्षा को लेकर प्रशासन, पुलिस महकमा, जीआरपी और सुरक्षा एजेंसी हाई अलर्ट रहे। ट्रेन आने से पहले CID, GRP ने अजमेर रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा इंतजाम की जांच की। रेलवे स्टेशन के चारों तरफ हथियारबंद जवान, कमांडो, CID और भारी पुलिस बल तैनात रहा।

काउंटिंग और चेकिंग के बाद सभी जायरीन को रोडवेज बसों के जरिए कड़ी सुरक्षा में अजमेर के चूड़ी बाजार स्थित सेंट्रल गर्ल्स स्कूल भेजा गया।

अजमेर से 10 जनवरी को लौटेंगे, 11 जनवरी को अटारी पहुंचेंगे

पाकिस्तानी जत्थे के लौटने के समय में बदलाव किया गया है। ये जायरीन पहले 10 जनवरी को अटारी बॉर्डर पहुंचने वाले थे। अब एक दिन की देरी होने के कारण ये 11 जनवरी को अटारी पहुंचेंगे। अजमेर से इन्हें लेकर स्पेशल ट्रेन 10 जनवरी दोपहर 3.30 बजे रवाना होगी।

पाकिस्तान से आए जायरीन गरीब नवाज के लिए विशेष तोहफे लेकर अजमेर पहुंचे।
पाकिस्तान से आए जायरीन गरीब नवाज के लिए विशेष तोहफे लेकर अजमेर पहुंचे।

पाकिस्तान में निकलती है लॉटरी

पाकिस्तान से अजमेर उर्स में आने के लिए पाकिस्तान सरकार लॉटरी निकालती है। ऐसे में हर साल अलग-अलग जायरीन आते हैं। इनकी लिस्ट भारत सरकार को भेजी जाती है। भारत सरकार की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह कितने जायरीन को आने की परमिशन देती है।

इस साल पहली बार है जब सबसे कम जायरीन का जत्था अजमेर आया है। ये जायरीन खुद के खर्चे पर यात्रा करते हैं। हर बार इन्हें अजमेर के चूड़ी बाजार में ठहराया जाता है। यहां जायरीन के लिए सारी व्यवस्थाएं अजमेर जिला प्रशासन करता है।

पाकिस्तान सरकार की चादर पेश करने के लिए पाकिस्तानी जायरीन के साथ मिलकर जिला प्रशासन एक तारीख तय करता है। उस तारीख पर ये जायरीन जुलूस के रूप में दरगाह पहुंचते हैं और नाचते गाते चादर पेश करने की रस्म निभाते हैं।

50 साल से पाकिस्तान से अजमेर आ रहे जायरीन

पाकिस्तान से जायरीन का जत्था 50 साल से ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में शिरकत करने अजमेर आ रहा है। 14 सितंबर 1974 को भारत-पाकिस्तान के बीच धार्मिक वीजा को लेकर समझौता हुआ था। ऐसे में दोनों देशों के लोग एक दूसरे मुल्क में धार्मिक यात्राएं करते रहते हैं।

इन 50 साल में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के समय, जवान का सिर काटकर ले जाने की घटना, सीमा पर तनाव और कोरोना काल के कारण अब तक 4 बार ऐसे हालात बने कि पाकिस्तान से जायरीन का जत्था नहीं आया।

जत्थे की सुरक्षा के लिए प्रशासन, पुलिस महकमा, जीआरपी और अन्य सुरक्षा एजेंसी हाई अलर्ट पर रहे।
जत्थे की सुरक्षा के लिए प्रशासन, पुलिस महकमा, जीआरपी और अन्य सुरक्षा एजेंसी हाई अलर्ट पर रहे।

सिर्फ अजमेर शहर का दिया जाता है वीजा

उर्स में आने वाले पाकिस्तानी जायरीन को सिर्फ अजमेर शहर का वीजा दिया जाता है। इन्हें शहर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती। यह वीजा का उल्लंघन माना जाता है। भारतीय खुफिया एजेंसियां और पुलिस इन पर निगरानी रखती है। जियारत के बाद ये जायरीन अजमेर के बाजारों में जमकर खरीदारी भी करते हैं।

जायरीन को अजमेर में पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गर्ल्स स्कूल में ठहराया गया है। ठहरने और जियारत करने संबंधी व्यवस्थाओं के लिए अजमेर विकास प्राधिकरण के उपायुक्त भरतराज गुर्जर को सम्पर्क अधिकारी नियुक्त किया गया है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एजाज अहमद को अतिरिक्त सम्पर्क अधिकारी एवं तहसीलदार ओम सिंह लखावत को सहायक सम्पर्क अधिकारी नियुक्त किया गया है।

पाकिस्तानी जायरीन के अजमेर आगमन से निर्धारित 24 घंटे की अवधि में सभी जायरीन के सी-फॉर्म ऑनलाइन सबमिट करने के लिए एनआईसी के संयुक्त निदेशक तेजा सिंह रावत को प्रभारी एवं भू-अभिलेख निरीक्षक राजवीर सिंह राजस्व अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान का सहायक प्रभारी नियुक्त किया गया है।

दरगाह में कुल के छींटे लगाए : उर्स के मौके पर हाजरी देने आए हजारों जायरीन ने दरगाह में कुल के छींटे लगाए. जायरीन ने 8 बजे बाद दरगाह की दीवारों को गुलाब जल और केवड़े से धोना शुरू कर कर दिया. कुल के छींटे लगाने के लिए दरगाह में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. दरगाह ही नहीं दरगाह के आसपास एक किलोमीटर तक तमाम रास्ते और गालियां जायरीन से खचाखच भरी रही. देर रात तक जायरीन का दरगाह को धोने का सिलसिला जारी रहा. वहीं, मंगलवार को छठी के दिन की दोपहर तक कुल के छींटे देने का क्रम जारी रहेगा. वहीं, दरगाह के खादिम भी छठी पर कुल की रस्म अदा करेंगे।

पाकिस्तानी जायरीन का जत्था पंहुचा अजमेर

खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि

 उर्स के पांचवे दिन रात आठ बजे बाद से दरगाह में जायरीन केवड़ा और गुलाब जल से दरगाह खुद धोने लगते हैं. हालांकि, यह रस्म छठी के दिन निभाई जाती है, लेकिन कई जायरीन को वापस लौटना होता है. ऐसे में वे रात आठ बजे बाद छठी मानकर दरगाह में कुल के छींटे देने लगते हैं. उर्स 6 दिन मनाया जाता है. छठी के दिन दरगाह में छोटे कुल की रस्म निभाई जाती है. इसके साथ ही उर्स संपन्न हो जाता है. छठी के दिन सुबह साल में चार मर्तबा खुलने वाला जन्नती दरवाजा भी बंद कर दिया जाएगा।

दरगाह में उमड़ा आस्था का सैलाब : उर्स के मौके पर कुल के छींटे लगाने के लिए दरगाह में हजारों की संख्या में जायरीन पंहुचे. दरगाह बाजार, नला बाजार, अंदर कोट, पन्नी ग्राम चौक में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग लगाई गई. दरगाह के महफिल खाने में दरगाह दीवान की सदारत में होने वाली पारंपरिक महफिल में भी बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे. देर रात तक महफिल में सूफियाना कलाम और पारंपरिक कव्वालियां शाही कव्वालों की ओर से पेश की गई. मंगलवार को छठी की रस्म के बाद ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स सम्पन्न हो जाएगा. दरगाह के खादिम कुल की रस्म अदा करेंगे. उर्स की आखरी रस्म के तौर पर बड़े कुल की रस्म होती है. खादिम समुदाय के लोग दरगाह में बड़े कुल की रस्म को निभाते हैं. बड़े कुल की रस्म के दौरान खादिम एक दूसरे की दस्तारबंदी करते हैं।

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