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गहलोत बोले-भजनलाल ने पार्टी के दबाव में मौका खो दिया:मंत्री सरकार के फैसले के बचाव नहीं कर सकते, इसलिए रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को आगे किया


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गहलोत बोले-भजनलाल ने पार्टी के दबाव में मौका खो दिया:मंत्री सरकार के फैसले के बचाव नहीं कर सकते, इसलिए रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को आगे किया

गहलोत बोले-भजनलाल ने पार्टी के दबाव में मौका खो दिया:मंत्री सरकार के फैसले के बचाव नहीं कर सकते, इसलिए रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को आगे किया

जयपुर : कांग्रेस राज में बने 9 नए जिले खत्म करने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। आम लोग सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करने लगे हैं तो राजनीतिक विरोध भी होने लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिले खत्म करने के फैसले पर भजनलाल सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- हमने पूरी तैयारी के बाद नए जिले बनाए थे। भजनलाल शर्मा ने अपनी पार्टी के दबाव में एक मौका खो दिया है। गहलोत ने भैरोसिंह शेखावत के समय बने जिलों का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय कौनसा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप था। अशोक गहलोत ने रविवार को सिविल लाइंस स्थित अपने सरकारी आवास पर मीडिया से बात करते हुए कहा- मंत्री सरकार के फैसले का बचाव नहीं कर सकते, इसलिए रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को आगे किया है।

पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सिविल लाइंस आवास पर मीडिया से बात की।
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सिविल लाइंस आवास पर मीडिया से बात की।

भैरों सिंह ने जब जिले बनाए तब कौनसा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया था

अशोक गहलोत ने कहा- छोटे जिलों में सरकारी योजनाओं को अच्छे से लागू किया जा सकता था। पिछले एक साल में सरकार का काम नहीं कर पाने का परसेप्शन बन गया है। प्रदेश के साथ ही बाहर भी लोग पूछ रहे हैं कि सरकार काम क्यों नही कर पा रही है। गहलोत ने कहा- इनको पहली बार विधायक बनने पर ही मुख्यमंत्री बना दिया गया। हमने भी कहा- इन्हें काम करने का मौका मिलना चाहिए, इसलिए भी हम कम बोलते थे। बीजेपी वाले बताएं कि जब भैरों सिंह शेखावत ने जिले बनाए थे। तब उन्होंने कौनसा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया था। उन्होंने कहा- देश मे कहीं भी जिला बनाने से पहले कलेक्टर ऑफिस और एसपी ऑफिस नहीं खोले गए। जिले की घोषणा करने के बाद ही सभी अधिकारी लगाए जाते हैं। पहले किराए पर बिल्डिंग ली जाती है और उसके बाद नया भवन तैयार होता है।

गहलोत बोले- कमेटी के चेयरमैन, बीजेपी जॉइन कर चुके हैं

पूर्व सीएम गहलोत ने कहा कि कई पड़ोसी राज्य जैसे- गुजरात, मध्य प्रदेश जो हमसे छोटे हैं, लेकिन वहां जिलों की संख्या ज्यादा है। एमपी में 51 जिले थे, जिसके बाद दो और जिले बना दिए गए।

गहलोत ने कहा- जिलों पर फैसला लेने में एक साल लगा दिया। अगर हमनें इतना ही गलत फैसला लिया था तो इन्हें आते ही जिले खत्म करने चाहिए थे। गहलोत ने जिलों की कमेटी के चेयरमैन पर भी आरोप लगाते हुए कहा- वह तो बीजेपी जॉइन कर चुका है। इसका मतलब यह है कि जो बीजेपी पार्टी ने तय किया, उस अधिकारी के माध्यम से वो करवाया गया है।

गहलोत बोले- आज मैंने सुना कि कुछ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने भी कहा कि हमारा फैसला व्यवहारिक नहीं था। पता नहीं उन्हें किस बात का डर है। हो सकता है कोई लोभ-लालच रहा हो। अभी भी सरकार में कई पद खाली है। कुछ इच्छा शायद रह गई होगी। हमने भी कई चांस दिए हैं, इन अधिकारियों को। डीबी गुप्ता है उन्होंने कमेंट किया हैं। वे मुख्य सचिव रहे हैं, हमने उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त बनाया। इनके मंत्री इस स्थिति में नहीं थे कि वो सरकार के निर्णय का बचाव कर सके। पब्लिक में रिएक्शन नहीं हो, इससे बचने के लिए आपने रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को आगे किया।

गहलोत बोले- मंत्रियों में खींचतान है

गहलोत ने कहा- यह खींचतान वाली सरकार है। इसमें मंत्रियों में खींचतान है। किरोड़ीलाल मीणा इसका सबसे सटीक उदाहरण है। किरोड़ीलाल ने तो हिम्मत करके इस्तीफा दे दिया। इन्होंने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। बिना किरोड़ी इनकी सरकार नहीं चल सकती है।

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