उत्तर प्रदेश-नागपुर : नागपुर में 2 दिन पहले ही क्यों ख़त्म हो गयी बागेश्वर धाम धीरेन्द्र महाराज की ‘कथा’ ?
कथा के नाम पर चल रहे दिव्य दरबार को लेकर महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय व विशेष सहायक विभाग के अंतर्गत जादू टोना विरोधी कानून के अंतर्गत बनायीं गयी अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने राम कथा के नाम पर जादू टोने और अंधश्रद्धा फ़ैलाने का आरोप लगाया है। समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा कि, "दिव्य दरबार' और 'प्रेत दरबार' की आड़ में जादू टोना को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही देव-धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने, धोखाधड़ी और शोषण भी किया जा रहा है।"

उत्तर प्रदेश-नागपुर : इन दिनों नागपुर के रेशमबाग में चल रही राम कथा की चर्चा जोरो पर है ,यहाँ दिव्य दरबार में शामिल होने और कथा को सुनने के लिए लोग दूर दूर से पहुंच रहे है ,इस कथा में सबसे अधिक भीड़ मध्यप्रदेश से आने वाले लोगों की है ,कथा का प्रचार- प्रसार इस तरह किया गया की लोग बागेश्वर धाम के महाराज धीरेन्द्र शास्त्री के दर्शन करने और कथा सुनने हजारों की संख्या में आ रहे है। ये कथा की शुरुवात 5 जनवरी को हुई और इसका समापन 13 जनवरी को होना था ,लेकिन आज ही इस कथा का अंतिम दिन है और आज ही ये कथा समाप्त हो जाएगी।

पुलिस पर राजनीतिक दबाव
श्याम मानव ने कहा, “बाबा के कार्यक्रम का आयोजन करने वाले सभी राजनीतिक लोग थे। कई बड़े बड़े नेता इस कार्यक्रम में पहुंचे। वहीं बाबा भी काफी बड़े थे। उनके अनुयायी भी बड़े हैं। इसी कारण लगता है कि, पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर कोई दवाब होगा।” उन्होंने कहा, “बाबा से लेकर जितने भी लोग इस कार्यक्रम से जुड़े थे सभी पर जादू टोना और अंधश्रद्धा निर्मूलन के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।”
पुलिस को दिए सभी सबूत
समिति अध्यक्ष ने कहा, “इस पाखंड को लेकर उन उन्होंने पुलिस के पास लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी इस दौरान साबुत भी मुहैया कराया था, लेकिन इसके बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।” उन्होंने आगे कहा, “अब गेंद उनके पाले में हैं। अब देखना यह होगा की पुलिस इस पर क्या निर्णय लेती है।”
आप को बता दे की नागपुर के रेशमबाग मैदान में चल रही बागेश्वर महाराज की राम कथा में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित भारतीय जनता पार्टी के कई विधायक और बड़े नेता बागेश्वर महाराज के दरबार में अपना माथा टेकने पहुंचे थे लेकिन अब इस तरह से 2 दिन पहले कथा ख़त्म होने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे है की वाकई में अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति द्वारा शिकायत की वजह से ये कथा को 2 दिन पहले ख़त्म कर दिया गया ? और अगर ऐसा नहीं है तो फिर पोस्टर में 11 के समापन की जगह 13 को समापन क्यों लिखा ? जबकि यहाँ कई राज्यों और जिलों से भक्त कथा सुनने और महाराज के दर्शन करने आते है, ऐसे में 12 जनवरी और 13 जनवरी को आने वाले भक्त अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है।