[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

बीकानेर में महिला कॉन्स्टेबल की डेंगू से मौत:20 दिन से अस्पताल में चल रहा था इलाज; रिजर्व फोर्स में तैनात थी


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
टॉप न्यूज़बीकानेरराजस्थानराज्य

बीकानेर में महिला कॉन्स्टेबल की डेंगू से मौत:20 दिन से अस्पताल में चल रहा था इलाज; रिजर्व फोर्स में तैनात थी

बीकानेर में महिला कॉन्स्टेबल की डेंगू से मौत:20 दिन से अस्पताल में चल रहा था इलाज; रिजर्व फोर्स में तैनात थी

बीकानेर : बीकानेर में डेंगू से एक महिला पुलिसकर्मी की मौत हो गई। महिला कॉन्स्टेबल पुलिस लाइन में तैनात थी और पिछले 20 दिनों से डेंगू से बीमार थी।

रिजर्व फोर्स में तैनात थी

जानकारी के अनुसार, 26 साल की सीता सिद्ध बीकानेर के ही बम्बलू गांव की रहने वाली थी। वह पुलिस लाइन में रिजर्व फोर्स में तैनात थी। सीता को 20 दिन पहले बुखार आया था। डॉक्टर को दिखाने के बाद सामान्य इलाज चल रहा था। इसके बावजूद भी तबीयत में कोई सुधार नहीं आया था। इसके बाद उन्हें पीबीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया। हफ्ते भर से उनका बीकानेर के PBM में इलाज चल रहा था। लेकिन, स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं होने पर रविवार को उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनके शव का पोस्टमॉर्टम करवाया गया। इसके बाद रविवार को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया।

PBM में आ रहे डेंगू के मामले

जानकारी के अनुसार, बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में इस बार डेंगू के 1000 से ज्यादा रोगी आ चुके हैं। पीबीएम में आने वाले रोगी बीकानेर के अलावा चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और अनूपगढ़ के हैं।

डेंगू फीवर क्या है और यह कितना खतरनाक है?

डेंगू एक वायरल इन्फेक्शन है, जो ऐडीस मच्छर के काटने से फैलता है। ऐडीस मच्छर काले रंग का स्पॉटेड मच्छर होता है। डेंगू का वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले प्लेटलेट्स को प्रभावित करता है, जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। डेंगू मच्छर आर्टिफिशियल लाइट में ज्यादा एक्टिव होते हैं।

डेंगू बुखार के लक्षण क्या हैं?

डेंगू के बुखार को ब्रेक बोन फीवर भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें तेज बुखार के साथ मसल्स, सिर और जोड़ों में तेज दर्द होता है। कई मामलों में यह देखा जाता है कि 2 से 3 दिन बुखार रहने पर हाथ, पैर, पीठ या सीने पर लाल चकत्ते भी आने लगते हैं, जिनमें खुजली भी होती है।

कभी-कभी बहुत सीवियर डेंगू भी होता है। जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम या डेंगू हेमरेजिक फीवर कहा जाता है। यह स्थिति काफी खतरनाक साबित हो सकती है। इसमें प्लेटलेट्स और वाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम होने लगती है। साथ ही नाक, मसूढ़ों या मल से खून आने लगता है। ऐसी स्थिति में तत्काल इलाज न मिलने पर पीड़ित की मौत भी हो सकती है।

डेंगू के इलाज में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

डेंगू के वायरस को खत्म के लिए कोई भी पर्टिकुलर दवा नहीं है। इसलिए खुद से कोई अनावश्यक दवा नहीं लेनी चाहिए। डेंगू के लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवा खाएं। डेंगू के इलाज के दौरान प्लेटलेट्स की नियमित मॉनिटरिंग करना सबसे जरूरी है, क्योंकि डेंगू फीवर में खून में से प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। प्लेटलेट्स की संख्या ज्यादा कम होने से शरीर में रक्तस्त्राव हो सकता है। इसलिए डेंगू के मरीज की CBC जांच जरूर कराएं।

 

Related Articles