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आत्मा से परमात्मा के मिलन का नाम है महारास- प्रभुशरण तिवाड़ी


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आत्मा से परमात्मा के मिलन का नाम है महारास- प्रभुशरण तिवाड़ी

आत्मा से परमात्मा के मिलन का नाम है महारास- प्रभुशरण तिवाड़ी

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : रतन कुमावत

बबाई : उपतहसील के बबाई के वार्ड न० 8 मैं चल रही भागवत कथा के छठे दिन की कथा में कथाव्यास वाणी भूषण प्रभुशरण तिवाड़ी ने गोपी विरह अक्रूर मथुरागमन की लीला का कंस वध का वर्णन किया। उन्होंने उद्धव चरित्र द्वारा उन्होंने भक्ति योग के ऊपर गोपियों के अप्रतिम प्रेम के आगे उद्धव का विवश होना और भगवान श्री कृष्ण की महारास लीला का तात्विक विवेचन किया भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणी जी के विवाह की लीला का वर्णनं किया। जो परमात्मा के प्रति आतुर भाव से उन्हें भजता है श्री हरि उन्हें अपना बना लेते है।

कथा से पूर्व मुख्य यजमान विजेंद्र सुरोंलिया सपत्नी निर्मला देवी द्वारा आचार्य नरेश जोशी एवं सियाराम शास्त्री के सानिध्य में व्यासपीठ और भागवत भगवान का पूजनं किया। भागवत कथा में मोहिनी देवी सुरोलिया, शांति देवी, संतोष देवी, सरपंच मैना देवी, पूर्व सरपंच संगीता सुरोलिया,पूरणमल सुरोलिया, राजेन्द्र प्रसाद सुरोलिया, जितेंद्र कुमार सुरोलिया, अशोक कुमार सुरोलिया,सवाईमाधोपुर से संत रामकुमारदास महाराज, पूरघोडा बड़ा मंदिर से बाबा गोपालदास, बावड़ी मंदिर से बाबा विनोद दास, करणी महाविद्यालय नंगली से प्राचार्य संदीप जांगिड़, डा०प्रदीप सुरोलिया, पंडित मनोज पंडित बंशिया, पंडित हेमन्त भारद्वाज, महेंद्र तिवाडी , प्रहलाद मिश्रा, अनील बोछवाल,रोहिताश कुमावत, किरोड़ी लाल मित्तल

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