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झुंझुनूं-बुहाना/माजरी : शहीद पिता को 3 साल की बेटी ने किया सलाम:शव को देखती रही बच्ची, सिक्किम में शहीद हुए जवानों का अंतिम संस्कार


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झुंझुनूं-बुहाना/माजरी : शहीद पिता को 3 साल की बेटी ने किया सलाम:शव को देखती रही बच्ची, सिक्किम में शहीद हुए जवानों का अंतिम संस्कार

शहीद पिता को 3 साल की बेटी ने किया सलाम:शव को देखती रही बच्ची, सिक्किम में शहीद हुए जवानों का अंतिम संस्कार

झुंझुनूं-बुहाना/माजरी : सिक्किम के जेमा में शुक्रवार को आर्मी का ट्रक खाई में गिर गया। इसमें राजस्थान के तीन जवान शहीद हो गए। इनमें जैसलमेर के जोगा गांव के रहने वाले सूबेदार गुमान सिंह सोलंकी, जोधपुर के सुखाराम और झुंझुनूं के मनोज कुमार यादव हैं। तीनों का आज अंतिम संस्कार किया गया।

शहीद मनोज यादव की पार्थिव देह देर रात झुंझुनूं के पचेरी कलां थाने पहुंची। यहां से रविवार सुबह शहीद के गांव माजरी के लिए तिरंगा यात्रा निकाली गई। तिरंगा यात्रा सुबह 11.45 बजे गांव पहुंची। जहां बड़ी तादाद में लोग शहीद के अंतिम दर्शन करने पहुंचे। जैसे ही मनोज का शव उनके गांव पहुंचा, पत्नी रो-रोकर बेसुध हो गई, वहीं उनकी 3 साल की बेटी शव को एक टक देखती रही। बेटी को जैसे ही पिता के शव के पास लेकर गए, उसने सलाम किया।

जैसलमेर के गुमान सिंह की पार्थिव देह भी उनके गांव जोगा लाई गई। वे छुट्‌टी मनाकर पांच दिन पहले ही ड्यूटी पर लौटे थे।

सिक्किम हादसे में शहीद हुए मनोज कुमार की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव माजरी पहुंची तो अंतिम दर्शन करने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा था। पार्थिव देह आज सुबह 11.45 बजे गांव पहुंची थी।
सिक्किम हादसे में शहीद हुए मनोज कुमार की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव माजरी पहुंची तो अंतिम दर्शन करने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा था। पार्थिव देह आज सुबह 11.45 बजे गांव पहुंची थी।
झुंझुनूं के माजरी गांव के शहीद मनोज कुमार की पत्नी ज्योति यादव (बाएं) और बेटी अवनी। ज्योति का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था।
झुंझुनूं के माजरी गांव के शहीद मनोज कुमार की पत्नी ज्योति यादव (बाएं) और बेटी अवनी। ज्योति का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था।
मनोज यादव का माजरी गांव में अंतिम संस्कार किया गया। बड़े भाई प्रमोद ने उन्हें मुखाग्नि दी।
मनोज यादव का माजरी गांव में अंतिम संस्कार किया गया। बड़े भाई प्रमोद ने उन्हें मुखाग्नि दी।
झुंझुनूं के माजरी गांव स्थित शहीद मनोज कुमार के पिता जगदीश यादव को सांत्वना देते हुए।
झुंझुनूं के माजरी गांव स्थित शहीद मनोज कुमार के पिता जगदीश यादव को सांत्वना देते हुए।
शहीद मनोज कुमार की पार्थिव देह के साथ तिरंगा यात्रा निकाली गई थी।
शहीद मनोज कुमार की पार्थिव देह के साथ तिरंगा यात्रा निकाली गई थी।

100 से अधिक युवा तैयारियों में जुटे थे
शहीद मनोज यादव के सम्मान में तिरंगा यात्रा की तैयारी शुक्रवार शाम से ही की जा रही थी। गांव के युवा इसकी तैयारी में जुटे थे। ये सभी बाइक पर तिरंगा थामे सबसे आगे चले थे। यात्रा में छह डीजे शामिल किए गए थे। जिन पर देशभक्ति के गीत गूंजे। इन सब के बीच लोग शहीद मनोज यादव अमर रहे के जयकारे लगा रहे थे।

बड़ी संख्या में लोग शहीद मनोज कुमार की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे थे।
बड़ी संख्या में लोग शहीद मनोज कुमार की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे थे।

मनोज कुमार महज 27 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गए। शहीद के दोस्त संदीप कुमार ने बताया कि मनोज में सेना के प्रति जुनून था। रोज सुबह चार बजे उठकर दौड़ने जाता था। जब खुद का चयन हो गया तो गांव के दूसरे लड़कों को भी प्रेरित किया और उनकी मदद भी करता था। आज पूरा गांव शोक में डूबा है, लेकिन अपने लाडले की शहादत पर गांव को गर्व भी है।

जैसलमेर में भी शहीद के घर पसरा मातम
हादसे में जैसलमेर के जोगा गांव के निवासी सूबेदार गुमान सिंह भी शहीद हो गए थे। गुमान सिंह की पार्थिव देह रविवार को गांव पहुंची। इस दौरान बेटी शव को देख बिलख पड़ी। आसपास मौजूद परिवार के लोगों ने संभाला। शहीद का सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। बड़े बेटे प्रह्लाद सिंह ने मुखाग्नि दी।

शुक्रवार को सिक्किम में हुए हादसे में जैसलमेर के जोगा गांव के सूबेदार गुमान सिंह सोलंकी समेत 16 जवान शहीद हो गए थे।
शुक्रवार को सिक्किम में हुए हादसे में जैसलमेर के जोगा गांव के सूबेदार गुमान सिंह सोलंकी समेत 16 जवान शहीद हो गए थे।

गांव वालों ने बताया- सूबेदार गुमान सिंह के पांच बच्चे हैं। 3 लड़कियों और 2 लड़कों में प्रह्लाद सिंह सबसे बड़ा लड़का है। प्रह्लाद सिंह को गुमान सिंह भारतीय सेना में ऑफिसर बनाने की चाहत रखते थे। प्रह्लाद सिंह नागौर जिले के कुचामन में 11वीं क्लास में पढ़ रहा है।

शनिवार सुबह से ही सूबेदार गुमान सिंह के घर लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था। लोगों ने परिवारवालों को ढांढस बंधाया।
शनिवार सुबह से ही सूबेदार गुमान सिंह के घर लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था। लोगों ने परिवारवालों को ढांढस बंधाया।

10 महीने बाद रिटायर होने वाले थे गुमान सिंह
सूबेदार गुमान सिंह 5 दिन पहले जैसलमेर में छुट्‌टी मनाकर ड्यूटी पर लौटे थे। किसान पिता के बेटे गुमान सिंह ने 27 साल पहले भारतीय सेना जॉइन की थी। अगले 10 महीनों में ही वे सेना से रिटायर होने वाले थे। हाल ही में आंध्र प्रदेश से उनको सिक्किम भेजा गया था।

सूबेदार गुमान सिंह का जैसलमेर के जोगा गांव में अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े बेटे प्रह्लाद सिंह ने मुखाग्नि दी।
सूबेदार गुमान सिंह का जैसलमेर के जोगा गांव में अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े बेटे प्रह्लाद सिंह ने मुखाग्नि दी।

गुमान सिंह के 2 बड़े भाई भी हैं, जिनमें एक अमर सिंह फौज से ही रिटायर हैं। सूबेदार गुमान सिंह ने अपनी 27 साल की नौकरी में श्रीनगर व लेह लद्दाख समेत भारत में कई जगह सेवाएं दी हैं।

जोधपुर के सांवतकुआं गांव के सुखाराम भी शहीद
जोधपुर जिले की बावड़ी तहसील के गांव सांवतकुआं के सैनिक सुखाराम तरड़ भी इस हादसे में शहीद हो गए। शहीद के पिता धोकलराम का 8 महीने पहले ही निधन हो गया था। पिता धोकलराम भी सेना में रह चुके थे। सुखाराम 4 भाई बहनों में दूसरे नंबर के थे। सुखाराम 6 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। पांच साल पहले शादी हुई थी। सुखाराम का ससुराल बावड़ी क्षेत्र के ही नेतड़ा में घेवरराम जाखड़ में है। पत्नी अपने मायके गई हुई थी, कल सुबह ही वापस ससुराल लाया गया था।

सुखाराम ने बर्फीले क्षेत्रों में भी ड्यूटी की थी। वे अपनी मां से बहुत प्यार करते थे। ड्यूटी पर जाने से पहले मां के साथ की एक तस्वीर।
सुखाराम ने बर्फीले क्षेत्रों में भी ड्यूटी की थी। वे अपनी मां से बहुत प्यार करते थे। ड्यूटी पर जाने से पहले मां के साथ की एक तस्वीर।

सुखाराम की पार्थिव देह आज घर पहुंची। सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले पार्थिव देह शनिवार को रात 10 बजे जोधपुर पहुंचा था। रविवार सुबह 7 बजे परिवार पार्थिव देह लेने जोधपुर पहुंचे थे।

कारों के काफीले के साथ गांव लाई गई शहीद सुखाराम की पार्थिव देह।
कारों के काफीले के साथ गांव लाई गई शहीद सुखाराम की पार्थिव देह।
सांवतकुआं गांव में शहीद के घर पहुंची पार्थिव देह।
सांवतकुआं गांव में शहीद के घर पहुंची पार्थिव देह।
सुखाराम तरड़ का गांव सांवतकुआं में अंतिम संस्कार किया गया।
सुखाराम तरड़ का गांव सांवतकुआं में अंतिम संस्कार किया गया।

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