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जयपुर में मुस्लिम परिवार 68 साल से बना रहा रावण:डेढ़ महीने तक मंदिर में रहते हैं, मथुरा से आती है कारीगरों की पूरी टीम


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जयपुर में मुस्लिम परिवार 68 साल से बना रहा रावण:डेढ़ महीने तक मंदिर में रहते हैं, मथुरा से आती है कारीगरों की पूरी टीम

जयपुर में मुस्लिम परिवार 68 साल से बना रहा रावण:डेढ़ महीने तक मंदिर में रहते हैं, मथुरा से आती है कारीगरों की पूरी टीम

जयपुर : आज विजयदशमी का पर्व है। जयपुर में यह पर्व सामाजिक सौहार्द और हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल साबित हो रहा है। जयपुर में आदर्श नगर स्थित दशहरा मैदान में आजादी के बाद 68 सालों से चली आ रही परंपरा मुस्लिम परिवार पांच पीढ़ी से लगातार निभा रहा है। यह मुस्लिम परिवार हर वर्ष जयपुर के आदर्श नगर स्थित श्री राम मंदिर के दशहरे के लिए रावण बनाने का काम करता है।

मुस्लिम परिवार की पांचवी पीढ़ी बना रही रावण का पुतला

अब इस परिवार की पांचवीं पीढ़ी रावण बनाने का काम कर रही है। वहीं, परिवार के अगली पीढ़ी भी इस काम को सीख रही है। इस परिवार के मुखिया चांद भाई (40 साल) का कहना है कि जब तक परिवार का वंश चलेगा। दशहरे के लिए रावण हमारा परिवार ही बनाएगा। विजयदशमी पर रावण और कुंभकरण के विशाल पुतले तैयार करने के लिए हर साल मथुरा से लगभग 20 कारीगर जयपुर के आदर्श नगर स्थित श्री राम मंदिर के लिए रावण बनाने का काम करते हैं।

आदर्श नगर, राजापार्क में रावण का पुतला बनाने वाले मुख्य कारीगर चांद भाई।
आदर्श नगर, राजापार्क में रावण का पुतला बनाने वाले मुख्य कारीगर चांद भाई।

68 साल पहले पहली पीढ़ी ने बनाया था 20 फुट का रावण

चांद भाई ने बताया- आदर्श नगर श्री राम मंदिर उपन्यास ने 68 साल पहले रहे दशहरा मेला शुरू किया था। तब से मंदिर के पहले नवरात्र से रामायण का मंचन और उसके बाद दशहरे के दिन रावण का दहन किया जा रहा है। पहली बार दशहरे पर 20 फुट का रावण जलाया गया था, जो उनकी पहली पीढ़ी ने तैयार किया था। पड़दादा नवी बक्स आतिशबाज ने इसकी शुरुआत की थी। पड़दादा के साथ दादा, ताऊ, चाचा, पिताजी आए थे। पहली बार 20 फुट का रावण बनाया गया था। उसका मेहनताना 250 रुपए मिला था और इनाम के तौर पर 10 रुपए अलग से मिले थे। हमारे काम को देखते हुए मंदिर कमेटी ने उन्हें हर साल रावण बनाने के लिए कहा था। तब से लगातार हमारे परिवार के लोग यह रावण बनाने के लिए आ रहे हैं।

पुतला को अंतिम रूप देते हुए मुस्लिम कारीगर।
पुतला को अंतिम रूप देते हुए मुस्लिम कारीगर।

हर साल रावण की ऊंचाई बढ़ाई जाती रही, खर्च भी अधिक होने लगा

उन्होंने बताया- यह सिलसिला लगातार जारी है, रावण बनाने के लिए पिताजी के बाद बड़े भाई और फिर अब हम आने लगे हैं। साथ ही अब हमारे बेटे और पोते आ रहे हैं। अगली पीढ़ी को भी काम सीखा रहे। ताकि यह परंपरा आगे भी निभाते रहें। उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी के बाद दशहरे से डेढ़ महीने पहले से ही रावण बनाने का काम उनके परिवार के द्वारा शुरू कर दिया जाता है।

चांद भाई ने बताया- हर साल रावण की ऊंचाई बढ़ाई जाती रही है। इस वजह से खर्च भी अधिक होने लगा है। रावण बनाने वाले कारीगर राजा खान ने बताया कि इस बार भी रावण की ऊंचाई 105 फिट है। इसके अलावा कुंभकरण और मेघनाथ का एक-एक पुतला भी बनाया बनाया गया है। इनकी ऊंचाई रावण से कम होती है। ऊंचाई अधिक होने के चलते रावण को क्रेन की मदद से खड़ा किया जाएगा।

पुतलों के निर्माण में 1000 बांस, 200 किलो मूंज बाण

चांद भाई ने बताया- इस बार 105 फीट का रावण व 90 फीट का कुंभकरण का पुतला बनाया है। पुतलों के निर्माण में 1000 बांस, 200 किलो मूंज बाण, 200 किलो सण, 20 किलो धागा, 500 किलो मैदा, 1000 मीटर कपड़ा, 200 किलो रद्दी कागज, 400 किलो खाकी कागज, 30 किलों अलग-अलग रंग, और करीब 4 हजार सजावटी रंगीन पन्नियाें का उपयोग हुआ है।

पहली बार दशहरे पर 20 फुट का रावण जलाया गया था जो कि चांद भाई की पहली पीढ़ी ने तैयार किया था।
पहली बार दशहरे पर 20 फुट का रावण जलाया गया था जो कि चांद भाई की पहली पीढ़ी ने तैयार किया था।

खास रहेगा रावण का मुकुट सात दशक के सफर में पुतलों के साथ मुकुट का आकार भी बढ़ा है। इस बार विशेष राजशाही मुकुट बनाया गया है, जो 25 फीट ऊंचा है। मुकुट में कारीगरी कर चमकीली रंगीन फरियां लगाई गई हैं। हीरे-मोती एवं रत्नों की तरह दिखाई देंगी।

पुतला बनाते समय पवित्रता का ध्यान रखा जाता है

श्री राम मंदिर समिति आदर्श नगर उपाध्यक्ष राजीव मनचंदा ने बताया कि कुछ लोग यहां नवजात बच्चे को आशीर्वाद दिलाने के लिए रावण की पूजा करने आते हैं। वहीं, नव विवाहित जोड़े भी पूजा करने आते है। इस वजह से रावण का पुतला बनाते समय पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। पुतला निर्माण में जो भी सामग्री इस्तेमाल की जाती है वह करी साफ सुथरी होती है। कुछ भी पुराना सामान इस्तेमाल नहीं किया जाता।

राजा खान ने बताया कि जब तक मंदिर में रहते हैं मांस मदिरा से दूर रहते हैं।
राजा खान ने बताया कि जब तक मंदिर में रहते हैं मांस मदिरा से दूर रहते हैं।

मंदिर परिसर में रहता है मुस्लिम परिवार

राजा खान ने बताया कि रावण बनाने के लिए एक महीने पहले ही उनका परिवार मथुरा से जयपुर आता है। एक महीने तक राम मंदिर परिसर में रहता है। हम सब डेढ़ महीने तक शुद्ध हिंदू की तरह रहते हैं। मंदिर में सादा भोजन करते हैं। पूजा के समय पूजा में शामिल होते हैं। यहां तक कि जब रामायण शुरू होती है तब से रात में रामायण देखते हैं। हर साल रामायण देखकर रामायण के श्लोक तक सभी को करीब करीब याद हो गए हैं। जब तक मंदिर में रहते हैं मांस मदिरा से दूर रहते हैं।

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