जयपुर : सीएम भजनलाल शर्मा को कोर्ट ने विदेश जाने की अनुमति दे दी है। लेकिन, कोर्ट ने तीन शर्तें लगाई हैं। भजनलाल शर्मा को विदेश यात्रा पर रवाना होने से पहले और लौटने के बाद कोर्ट को सूचित करना होगा।
सीएम की ओर से जयपुर की एडीजे-4 अदालत में सोमवार को प्रार्थना पत्र दायर किया गया था। इसमें सीएम भजनलाल की ओर से कहा गया था कि उन्हें 13 से 25 अक्टूबर तक विदेश जाने की अनुमति दी जाए। बुधवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने सीएम को परमिशन दे दी।
दरअसल, दिसंबर में होने वाले राइजिंग राजस्थान इंवेस्टमेंट समिट को लेकर सीएम लंदन जाने वाले हैं। वे वहां इंवेस्टर मीट और रोड शो में शामिल होंगे।
सीएम भजनलाल गोपालगढ़ दंगा मामले में जमानत पर हैं। कोर्ट ने उन्हें दी गई अग्रिम जमानत में यह शर्त लगा रखी है कि जब भी वे विदेश जाएंगे, कोर्ट से इजाजत लेंगे।
विदेश जाने से पहले और आने के बाद कोर्ट को बताना होगा
सीएम के वकील अश्विनी बोहरा ने बताया- कोर्ट ने कहा कि सीएम को विदेश यात्रा पर रवाना होने से पहले और लौटने पर कोर्ट को सूचित करना होगा। इसके साथ ही पिछले विदेश दौरे के खिलाफ कोर्ट में लगे प्रार्थना पत्र पर अगर किसी गवाह के बयान होते हैं तो सीएम के अधिवक्ता को उससे जिरह करनी होगी।
बिना इजाजत की थी दक्षिण कोरिया-जापान की यात्रा
सीएम भजनलाल राइजिंग राजस्थान के तहत निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए 9 से 13 सितंबर तक दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा पर थे। बताया जाता है कि इसके लिए उन्होंने अदालत से पूर्व अनुमति नहीं ली थी।
इसके बाद एडवोकेट सांवरमल चौधरी ने बिना इजाजत विदेश जाने पर सीएम भजनलाल शर्मा की अग्रिम जमानत को रद्द करने के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र दायर किया था। इस पर अदालत ने सीएम और सीबीआई से जवाब मांगा था।
बुधवार को सुनवाई के दौरान वकील सांवरमल चौधरी ने सीएम के प्रार्थना पत्र का विरोध किया। लेकिन, कोर्ट ने उनके विरोध को खारिज कर दिया।
पूर्व मंत्री ने विदेश जाने की शर्त हटाने की रखी मांग साल 2011 में गोपालगढ़ में हुए दंगा मामले में कोर्ट से भजनलाल शर्मा, जाहिदा खान, जमशेद खान, प्रमोद शर्मा, जवाहर सिंह बेढम, केसरी सिंह, गिरधारी तिवारी सहित अन्य आरोपियों को 10 सितंबर 2013 को सशर्त अग्रिम जमानत मिली थी। शर्त थी कि कोर्ट की मंजूरी के बिना देश से बाहर नहीं जाएंगे। जांच में सहयोग करेंगे और गवाहों को डराएंगे-धमकाएंगे नहीं।
अब 4 अक्टूबर 2024 को पूर्व मंत्री जाहिदा खान ने अदालत में प्रार्थना पत्र लगाकर कहा है कि मामले को चलते हुए 11 साल हो गए हैं। लेकिन, अभी तक केवल 60 गवाहों के बयान हुए हैं। मामले में प्रार्थी मुख्य आरोपी नहीं है। 4 दिसंबर 2015 को लगाए गए चार्ज में प्रार्थी पर केवल राजकार्य में बाधा डालने का ही आरोप है, जो जमानत योग्य है।
प्रार्थी ने आज तक एक भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है। वह सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत है और कभी भी विदेश जा सकती है। साथ ही अग्रिम के बाद नियमित जमानत भी मिल चुकी है। इसलिए बिना पूर्वानुमति के भारत से बाहर जाने की शर्त को हटाया जाना न्यायोचित है।