[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

प्रजातांत्रिक व्यवस्था से चुने हुए जन प्रतिनिधि को हटाकर चुनाव‌ नहीं जीते जाते


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

प्रजातांत्रिक व्यवस्था से चुने हुए जन प्रतिनिधि को हटाकर चुनाव‌ नहीं जीते जाते

प्रजातांत्रिक व्यवस्था से चुने हुए जन प्रतिनिधि को हटाकर चुनाव‌ नहीं जीते जाते

झुंझुनूं में विधायक बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने से उपचुनाव होने है । भाजपा ने इस सीट को अपनी नाक का सवाल बना लिया जिसका उदाहरण है कि मंत्रियों के ताबड़तोड़ दौरे झुंझुनूं में हो रहे हैं । अभी हाल ही में मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने झुंझुनूं नगर परिषद को लेकर एक टिप्पणी की थी व सभापति को एक दो दिन का मेहमान बताया था । विदित हो झुंझुनूं सभापति राजस्थान में रिकार्ड मतों से जीतकर सभापति बनी थी और उस समय भाजपा पार्षदों पर भी‌ क्रास वोटिंग के आरोप लगे थे । सभापति पर अपने पद के दुरूपयोग को लेकर उनको नोटिस भेजकर ज़बाब मांगा था । इसको लेकर सभापति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उच्चतम न्यायालय से सटे की बात कही और आरोपों को निराधार बताते हुए राजनीतिक द्वेष के चलते उन पर कार्यवाही हो रही है ।

अब सवाल उठता है कि क्या अवैध निर्माण में सभापति का ही हाथ होता है क्या आयुक्त की कोई भूमिका नहीं होती है ? विदित हो झुंझुनूं में अवैध निर्माण व ऐतिहासिक हवेलियों को जमींदोज के आरोप आयुक्त पर लगते रहे हैं । इसको लेकर भाजपा के एक नेता ने सार्वजनिक तौर पर बयान भी दिया था । झुन्झुनू जागृति मंच ने भी आयुक्त की कार्यशैली को लेकर मंत्री झाबर सिंह खर्रा को ज्ञापन सौंपा था । क्या उन आरोपों को लेकर उनकी जांच नहीं होनी चाहिए थी ? विदित हो आयुक्त का पुराना कार्यकाल का रिकार्ड देखें तो संदेह के घेरे में रहा है । भाजपा की सरकार के आते ही आयुक्त को किस नेता की डिजायर पर लाया गया । आखिर ऐसे अधिकारी को झुन्झुनू में लाना उस नेता का क्या निजी स्वार्थ रहा है । राजस्थान सरकार के आदेश के अनुसार ट्रेप अधिकारी को फिल्ड पोस्टिंग नहीं दी जा सकती है । लेकिन जिले में पिलानी नगरपालिका में ईओ भी इसी तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बावजूद उनको पिलानी पद स्थापित किया गया । आगामी उपचुनाव को देखते हुए भाजपा सरकार की कार्यशैली की झुंझुनूं में आम चर्चा का विषय बनी हुई है ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

Related Articles