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एयर एक्सरसाइज से स्वदेशी हथियारों को मिला वैश्विक मंच:भारत रक्षा पार्ट्स के निर्यात का 50 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका को बेच रहा, अब अफ्रीका पर नजर


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एयर एक्सरसाइज से स्वदेशी हथियारों को मिला वैश्विक मंच:भारत रक्षा पार्ट्स के निर्यात का 50 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका को बेच रहा, अब अफ्रीका पर नजर

एयर एक्सरसाइज से स्वदेशी हथियारों को मिला वैश्विक मंच:भारत रक्षा पार्ट्स के निर्यात का 50 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका को बेच रहा, अब अफ्रीका पर नजर

जोधपुर : भारत की रक्षा उत्पाद के निर्यात की नीति में बदलाव के बाद बीते एक दशक में निर्यात में 30 गुना बढ़ोतरी की है। ‘मेक फोर वर्ल्ड’ अभियान के तहत स्वदेशी हथियार और रक्षा उत्पाद के निर्यात का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। यहां तक दुनिया का टॉप निर्यातक देश अमेरिका को भी टाटा जैसी कंपनियां पार्ट्स निर्यात कर रही हैं। भारतीय रक्षा पार्ट्स का सबसे बड़ा आयातक अमेरिका है, ये भारत के कुल रक्षा निर्यात का 50% हिस्सेदार है।

अब भारत की नजर अफ्रीकी महाद्वीप और साउथ ईस्ट एशिया के छोटे देशों पर है। अभी मिस्र भारत से स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस और ध्रुव हेलिकॉप्टर खरीदने का इच्छुक है। इस लिस्ट में मलेशिया जैसे देश पहले ही शामिल हैं। इसके लिए हाल ही में मिस्र के सैन्य डेलिगेशन ने बेंगलुरु में एचएएल की विजिट की है। इसका खुलासा जोधपुर में आयोजित भारतीय डिफेंस एविएशन प्रदर्शनी-2 में पहुंचे एचएएल के टॉप अफसरों ने किया हैं। जैसे फिलिपींस को ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम बेचा है। उसी तरह वियतनाम जैसे छोटे देश भारत से कई सामान खरीदने के इच्छुक हैं।

लॉकहिड मार्टिन भारत में लगाएंगी प्लांट

भारत में प्लांट लगाने की इच्छुक अमेरिका की अग्रणी कंपनियां शामिल हैं। भारत रक्षा पार्ट्स के निर्यात का 50% हिस्सा अमेरिका को बेच रहा, अब अफ्रीका पर नजर, मिस्र भी तेजस खरीदेगा टाटा के साथ पहले बोइंग हैदराबाद में प्लांट लगा चुका है। अब लॉकहिड मार्टिन भी सी 130 जे हरक्युलिस का मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरऑल फेसेलिटिज (एमआरओ) प्लांट लगाएगा। साल 2016 में, बोइंग और टाटा ने हैदराबाद में टाटा बोइंग एयरोस्पेस लिमिटेड संयुक्त उद्यम स्थापित किया। इसमें बोइंग के AH-64 अपाचे हेलीकॉप्टर के लिए एयरो-स्ट्रक्चर तैयार हो रहे है। जिसमें फ्यूजलेज, सेकेंडरी स्ट्रक्चर और वर्टिकल स्पर बॉक्स शामिल हैं। अब तक 200 से अधिक अपाचे फ्यूज़लेज की आपूर्ति यहां से की जा चुकी है।

कंपनी के 737 हवाई जहाजों के लिए अन्य वस्तुओं के अलावा अपाचे के लिए 1,500 से अधिक बॉक्स आपूर्ति किए हैं। अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहिड मार्टिन भी टाटा के साथ हैदराबाद में उत्पादन को आगे बढ़ा रही है। अपने सी-130 जे परिवहन विमान के लिए 200 से अधिक एम्पेनेज का निर्माण किया है। ये कंपनी पूरे विश्व में सी-130 श्रेणी के विमानों के एम्पेनेज के लिए एकमात्र आपूर्तिकता है। लड़ाकू पंखों का उत्पादन अब भारत में भी किया जाता है।

रक्षा निर्यात एक नजर में

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में 21 हजार करोड़ रुपए का निर्यात किया, ये बीते वित्तीय वर्ष से 32 % ज्यादा
  • गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपए का कारोबार किया, जो वित्त वर्ष 2022-23 के 15,920 करोड़ से 32.5 प्रतिशत ज्यादा
  • वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में रक्षा निर्यात में 78 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई
  • गत अप्रैल-जून में रक्षा निर्यात एक साल पहले की अवधि में 3,885 करोड़ से बढ़कर 6,915 करोड़ हो गया
  • साल 2025 तक रक्षा क्षेत्र में में 1.75 लाख करोड़ का निर्यात करने की मोदी सरकार की तैयारी है।

पहली तिमाही में 6,915 कराेड़ के हथियारों का निर्यात, ये गत वर्ष से 78% अधिक

  • भारत जमीनी लड़ाई के हथियार, मिसाइल, एयरो स्पेस, गुड्स सर्विस और पार्ट्स बेचने की तैयारी में है।
  • इनमें फील्ड गन, टैंक का सामान, आर्मर्ड वाहन, छोटे हथियार, रॉकेट लांचर, जैसे पिनाका मल्टी बैरल सिस्टम, इलेक्ट्रोनिक वारफेयर का सामान, राडार, छोटे व मध्यम ड्रोन या यूएवी, ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम जैसे हथियार का निर्यात की तैयारी है।
  • सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां गोला-बारूद, छोटे हथियारों में स्नाइपर राइफल, बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बख्तरबंद वाहन, हल्के टॉरपीडो, सिमुलेटर, ड्रोन और तेज हमला करने वाले जहाज शामिल हैं।
  • जोधपुर की कंपनी हल्का बुलेट प्रुफ जैकेट व हेलमेट का निर्यात एक एशिया के देश को कर रही है।
  • म्यांमार फ्यूज और गोला-बारूद खरीद रहा है। आर्मेनिया ने ऑर्टिलरी गन, एयर डिफेंस सिस्टमर के लिए डील की है।
  • सूरत की कंपनी ने भी कुछ समय पहले इजराइल से छोटे ड्रोन बेचने के लिए डील फाइनल की है।

भारत ने कई देशों में रक्षा अटैची नियुक्त किए

अफ्रीका को बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर विभिन्न प्रकार के हथियारों की आवश्यकता है। ऐसे में अफ्रीकी देशों द्वारा भारत से रक्षा उत्पादों का आयात दोनों पक्षों के लिए पारस्परिक हित का सौदा है। भारत इसे लेकर कितना गंभीर है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत ने चार अफ्रीकी देशों के अपने दूतावास में पहली बार डिफेंस अटेंश भेजने का निर्णय किया है।

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