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आदिवासी मीणा सेवा संस्थान का पति-पत्नी के खिलाफ तुगलकी फरमान:लेटरपेड पर लिखा-पत्नी अयोग्य, घर नहीं बसा सकती; पीड़िता बोली-संस्था फर्जी, समाज को तोड़ रही


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आदिवासी मीणा सेवा संस्थान का पति-पत्नी के खिलाफ तुगलकी फरमान:लेटरपेड पर लिखा-पत्नी अयोग्य, घर नहीं बसा सकती; पीड़िता बोली-संस्था फर्जी, समाज को तोड़ रही

आदिवासी मीणा सेवा संस्थान का पति-पत्नी के खिलाफ तुगलकी फरमान:लेटरपेड पर लिखा-पत्नी अयोग्य, घर नहीं बसा सकती; पीड़िता बोली-संस्था फर्जी, समाज को तोड़ रही

झुंझुनूं : आदिवासी मीणा सेवा संस्थान ने पति-पत्नी के रिश्ते को लेकर एक तुगलकी फरमान दिया है। संस्थान ने अपने लेटरपेड पर लिखा- महिला अपने पति के साथ रहने योग्य नहीं है। वो अपने पति के साथ घर नहीं बसा सकती। इसलिए संस्थान आदेश देती है कि वह अपने पति से अलग रहे।

फरमान के बाद महिला ने संस्था के जिलाध्यक्ष और मुख्य महासचिव के खिलाफ कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। पीड़िता ने संस्था को गिरोह बताया है। रिपोर्ट में पीड़िता ने कहा- वह अपने डॉक्टर पति के साथ घर बसाना चाहती है, लेकिन संस्थान के जिलाध्यक्ष और मुख्य महासचिव उसका परिवार उजाड़ना चाहते है।

थानधिकारी पवन चौबे ने बताया- एक महिला अनिशा कांवत ने 3 अगस्त को रिपोर्ट दी। उसमें बताया- उसके वैवाहिक जीवन में पति से मनमुटाव चल रहा है। वीरेंद्र मीणा ने आदिवासी मीणा सेवा संस्थान, झुंझुनं नाम से एक फर्जी संस्थान बना रखा है। संस्थान के लेटरपेड पर आदेश जारी किया कि वो (महिला) अपना वैवाहिक जीवन पति के साथ नहीं चला सकती है। संस्थान के फैसले को एकतरफा बताया है। मामले की जांच शुरू कर दी है।

संस्थान पर पैसे लेकर फरमान जारी करने का आरोप
रिपोर्ट में पीड़िता ने बताया- 2 जून 2024 को संस्थान के लेटर के आधार पर बैठक में गई थी और पक्ष रखा था कि पति के साथ घर बसाना चाहती हूं। उसके बाद भी आदिवासी मीणा सेवा संस्थान ने आदेश जारी किया।

संस्थान के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र मीणा व मुख्य महासचिव रामनिवास मीणा ने षड़यंत्र रचा है। 7 जुलाई को उसकी गैर हाजिरी में लेटरपेड पर ससुराल वालों को लिखकर दे दिया कि मैं अपने पति के साथ घर बसाने में असमर्थ हूं।

लिखा- संस्था के नाम से गिरोह बना रखा है
महिला ने रिपोर्ट में लिखा- वीरेंद्र और रामनिवास ने एक पर्ची गिरोह बना रखा है। आदिवासी मीणा सेवा संस्थान, झुंझुनूं के नाम से एक संस्था रजिस्ट्रेशन नंबर सीओओपी/2022/ जेजेएन/200963 रजिस्टर्ड करवा रखी है। जो इनकी स्वयं की मनमर्जी की संस्था है। यह संस्था झुंझुनूं में आदिवासी समाज की तरफ से रजिस्टर्ड संस्था नहीं है, न हीं इसके सदस्य निर्वाचित है।

यह संस्था पैसे लेकर तुगलकी फरमान जारी कर समाज को तोड़ने का काम करती है। संस्था पदाधिकारियों ने ससुराल वालों के पक्ष में पैसे लेकर एकतरफा फैसला दिया और द्वेष की भावना से निष्पक्ष फैसला नहीं किया।

महिला ने कहा- ससुराल बीकानेर में, फिर आदेश झुंझुनूं से कैसे?
महिला का आरोप है कि फैसले से पहले उसका पक्ष नहीं सुना गया। मनमर्जी से पैसे लेकर ससुराल वालों के पक्ष में एकतरफा फैसला सुनाया। संस्थान के निर्णय के आधार पर ससुराल वाले उसे टॉर्चर कर रहे है।
कोर्ट में आकर तलाक लेने का दबाव बना रहे है। महिला ने बताया- उसका मामला मीणा समाज बीकानेर के क्षेत्राधिकार में आता है। झुंझुनूं जिले से उनके मामले का किसी प्रकार का संबंध नहीं है।
इसके बाद भी संस्थान के जिलाध्यक्ष व मुख्य महासचिव ने षड़यंत्र रचकर उसका वैवाहिक जीवन खराब कर दिया। महिला ने रिपोर्ट देकर दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

अध्यक्ष बोले- मीना समाज के मामलों पर कर सकते है निर्णय
आदिवासी सेवा संस्था के अध्यक्ष वीरेंद्र मीना ने कहा- हमारे समाज की आदिवासी संस्था है। मीना समाज के मामलों को लेकर निर्णय करने का अधिकार होता है। महिला के ससुर ने संस्था में जनवरी 2024 में अपील की थी। इसके बाद महिला को बुलाया गया। उसकी सुनी गई, उससे समझाइस की। लेकिन वह नहीं मानी। उसको 7 जुलाई को संस्था में आने का फिर से टाइम दिया गया।

मीना ने कहा- वह नहीं आई, उसको कॉल किए। उसने बीकानेर में जाकर हंगामा किया। यह झगड़ालू प्रवृत्ति है। महिला किसी की नहीं सुनती है। इसके बाद हमने निर्णय दिया की यह घर बसाने में सक्षम नहीं है। संस्था में ऐसे मामले आते है, हम समाज के लोग बैठकर ऐसे मामलों को निपटाते है। इसका पति बीकानेर रहता है। वह डेंटिस्ट है। इसके ससुर भी डॉक्टर है। महिला अब राजगढ़ अलवर रहती है।

ससुर बोले- कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा
महिला के ससुर डॉक्टर जीएल मीना ने बताया- हमारा बीकानेर कोर्ट में मामला चल रहा है। यह(अनिशा कांवत) तारीख पर नहीं आती है। अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट की हियरिंग पर आए और जो भी कोर्ट का फैसला होगा वह हमारे सर्व मान्य होगा। हमें हमारी संस्था के पास ऐसे मामले को उठाना पड़ता है। उसके बाद ही हम कोर्ट में जाते हैं। कोर्ट में मामला चल रहा है, इन्हें बीकानेर कोर्ट में हियरिंग अटेंड करनी चाहिए।

बता दें कि प्रार्थी अनिशा कांवत की सरकारी डॉक्टर दीपक मीणा से 2019 में शादी हुई थी। फिलहाल पति परिवार के साथ बीकानेर में रहते है। दंपति के तीन साल का एक बच्चा भी है।

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