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जयपुर में 23-23 लाख में बिकीं किडनी:बांग्लादेश में 50 मजदूरों से 2-2 लाख में खरीदीं; डोनर-रिसीवर एक-दूसरे को जानते तक नहीं


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जयपुर में 23-23 लाख में बिकीं किडनी:बांग्लादेश में 50 मजदूरों से 2-2 लाख में खरीदीं; डोनर-रिसीवर एक-दूसरे को जानते तक नहीं

जयपुर में 23-23 लाख में बिकीं किडनी:बांग्लादेश में 50 मजदूरों से 2-2 लाख में खरीदीं; डोनर-रिसीवर एक-दूसरे को जानते तक नहीं

जयपुर : जयपुर के निजी अस्पतालों में फर्जी एनओसी से किडनी ट्रांसप्लांट का हम सबसे बड़ा खुलासा कर रहा है। दलाल मो. मुर्तजा अंसारी बांग्लादेश के मजदूर-मैकेनिकों को 7 माह से जयपुर भेज रहा था।

वह दो-दो लाख रुपए में किडनी का सौदा करता, जिन्हें जयपुर में 23-23 लाख रुपए बेचा जाता था। जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में बांग्लादेश के 50 से ज्यादा लोगों की किडनी बदली गई। एक अन्य निजी अस्पताल ईएचसीसी की कहानी भी ऐसी ही है। यह जानकारी दो डोनर और एक रिसीवर ने दी है।

डोनर मो. आजाद हुसैन और मेहंदी हसन ने हमारे मीडिया कर्मी को बताया हम तो मजदूरी करते हैं। मुर्तजा ने 2 लाख रुपए देने को बोला था, गरीब हैं इसलिए किडनी दे दी। किडनी किसको दी हमें नहीं पता।

दूतावास में भी केवल नाम, पता और जाने की जगह के बारे में ही पूछा। जयपुर में भी हमसे न तो अस्पताल ने कुछ पूछा और न ही किसी कमेटी ने।

एक-दूसरे को जानते तक नहीं

हैरानी तो यह है कि इनमें से एक भी केस में डोनर व रिसीवर रिश्तेदार होना तो दूर, एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। इसकी पुष्टि 4 अप्रैल को गुरुग्राम में हरियाणा पुलिस की गिरफ्त में आए बांग्लादेश के 3 किडनी रिसीवर ने की है।

इधर, रिसीवर नूरुल इस्लाम ने बताया कि भारत आने पर डोनर रिश्तेदार नहीं थे, फिर भी कोई परेशानी नहीं हुई। सभी कागजात मुस्तफा ने ही तैयार कराए, हमसे 30 लाख टका (23 लाख रुपए) लिए।

फिर किसी ने कुछ नहीं पूछा। हरियाणा पुलिस की जांच में भी सामने आया है कि मुर्तजा कई महीनों से गुरुग्राम के बाबिल गेस्ट हाउस में बांग्लादेशियों के लिए कमरे बुक करवा रहा था।

मुर्तजा हमें बांग्ला भाषा में ही बात करने की सलाह देता था। मुर्तजा मूल रूप से रांची के पास के गांव मांडर का रहने वाला है। वह गारंटी लेता था कि भारत आने के बाद न तो कोई कुछ पूछेगा और न ही कोई पकड़ेगा। हुआ भी यही। बिना पूछताछ के एनओसी मिली, ट्रांसप्लांट भी हो गया।

मुर्तजा झारखंड का रहने वाला है और अब कई राज्यों की पुलिस को उसकी तलाश है।
मुर्तजा झारखंड का रहने वाला है और अब कई राज्यों की पुलिस को उसकी तलाश है।

मैं परेशान था इसलिए तैयार हो गया – डोनर

मैं 24 साल का हूं और मोबाइल मैकेनिक का काम करता हूं। कर्ज होने की वजह से कई महीनों से परेशान था। फेसबुक पर मुर्तजा ने जल्दी पैसे कमाने की पोस्ट डाली तो उससे संपर्क किया। बात होने पर उसने बताया कि तुम तो जवान हो, एक किडनी पर भी जिंदा रह सकते हो, दूसरी बेच दो। इसके 2 लाख रुपए मिलेंगे। मैं परेशान था इसलिए तैयार हो गया। उसने आधी रकम पहले दे दी, बाकी बाद में मिलनी थी।’

मेहंदी हसन, जॉइपुर हाट, बांग्लादेश

गरीब हूं, किडनी बेच दी, किसे लगी पता नहीं – डोनर

मैं 30 साल का हूं और मजदूरी करता हूं। फेसबुक पर मुर्तजा से संपर्क हुआ। बातचीत हुई तो बताया कि किडनी बेचने के लिए 2 लाख रुपए मिलेंगे। भारत में किडनी निकलेगी। आधे पैसे पहले और आधे बाद में मिलेंगे। आर्थिक स्थिति खराब थी इसलिए तैयार हो गया। कागज मुर्तजा ने ही तैयार करवाए। यहां आने के बाद जयपुर में ऑपरेशन होने का बताया। किडनी किसे लगेगी, यह मुझे किसी ने नहीं बताया।’

मो. आजाद हुसैन, सिराजगंज, बांग्लादेश

जयपुर में बिना जोखिम आधे खर्च में ट्रांसप्लांट – रिसीवर

मेरी 31 साल उम्र में किडनी खराब हो गई। बांग्लादेश में भी रिश्तेदार की ही किडनी लग सकती है। डोनर नहीं था तो वहां दलाल ने 60 लाख टका मांगे। मुर्तजा ने 30 लाख टका में सौदा करा दिया। डोनर भी वही लाया। मुझे भरोसा दिलाने के लिए उसने यह भी बताया कि जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में 7 माह में 50 किडनी बदली गई हैं। फिर उसी ने दस्तावेज तैयार कराए और जयपुर में सर्जरी को भेजा। डे-केयर के लिए गुरुग्राम गेस्ट हाउस भेज दिया।’

मो. अहसानुल, बंदरबन, चटगांव, बांग्लादेश

मुर्तजा की पुलिस को तलाश

डोनर मेहंदी हसन ने कहा कि दूतावास में उनसे केवल नाम, पता, जाने की जगह के बारे में पूछा गया था। मुर्तजा 3 अप्रैल तक गुरुग्राम के गेस्ट हाउस में ही था। अब फरार चल रहा है। हरियाणा पुलिस उसकी तलाश भी कर रही है। किडनी रिसीवर मोहम्मद अहसानुल ने कहा कि बांग्लादेश में डोनर नहीं होने पर स्थानीय दलाल ट्रांसप्लांट के 60 लाख टका (करीब 46 लाख रुपए) मांगते हैं।

जबकि मुर्तजा ने बताया कि भारत में यही काम 30 लाख टका (करीब 23 लाख रुपए) में हो जाता है। तीनों रिसीवर का परिवार व्यापार करता है, जबकि डोनर मेहंदी हसन मोबाइल मैकेनिक व सैयद आकिब महमूद मजदूर है। दोनों डोनर फेसबुक के जरिए मुर्तजा के संपर्क में आए।

भारत बुलाकर बोला- कोलकाता में फाइल रिजेक्ट हो जाती, जयपुर में ही काम होगा

किडनी की खरीद-फरोख्त की भनक नहीं लगे इसलिए मुर्तजा अंसारी डोनर को ट्रांसप्लांट के दूसरे दिन व रिसीवर को चौथे दिन जयपुर से गुरुग्राम के गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर देता था। जबकि ट्रांसप्लांट जैसी बड़ी सर्जरी में कम से कम 7 दिन की पोस्ट ऑपरेटिव केयर अस्पताल में ही होनी चाहिए। रिसीवर नूरुल इस्लाम ने बताया कि गेस्ट हाउस आया तो दर्द बहुत था।

ज्यादा बढ़ा तो मुर्तजा ने ड्रिप-इंजेक्शन लगवाए। बाद में पुलिस ने हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। किडनी बदलवाने वाले आकिब महमूद ने बताया कि दूरी कम और भाषा बांग्ला होने की वजह से मुर्तजा से कोलकाता में ट्रांसप्लांट के लिए कहा था। उसने हां भी कर दी थी, लेकिन दिल्ली आने को कहा।

वहां पहुंचने पर बताया कि एनओसी जयपुर में ही मिली है इसलिए वहीं चलना पड़ेगा, कोलकाता में फाइल लगाते तो रिजेक्ट हो जाती। जयपुर के अस्पताल में सुविधा भी बताई थी और बिना किसी दिक्कत के जल्दी ही डिस्चार्ज कराने की बात भी मुर्तजा कहता था।

ये है पूरा मामला

दरअसल, 31 मार्च की रात को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जयपुर एसएमएस अस्पताल में रुपए लेकर अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) की फर्जी एनओसी देने वाले को गिरफ्तार किया था। एसीबी टीम ने रात 1.30 बजे कार्रवाई करते हुए फर्जी एनओसी देने वाले सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और ईएचसीसी अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर अनिल जोशी को लेनदेन करते रंगे हाथ पकड़ा।

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