भाजपा में शामिल हुईं ज्योति खंडेलवाल:3माह से दिल्ली के चक्कर काट रही थीं ज्योति, कागजी को टिकट मिला तो 3 दिन बाद अरुण सिंह से मिलीं, हाथ छोड़ फूल थामा
भाजपा में शामिल हुईं ज्योति खंडेलवाल:3माह से दिल्ली के चक्कर काट रही थीं ज्योति, कागजी को टिकट मिला तो 3 दिन बाद अरुण सिंह से मिलीं, हाथ छोड़ फूल थामा

जयपुर : आखिर अचानक क्या हुआ कि 20 साल पुराना हाथ का साथ छूट गया और फूल थाम लिया गया। 2009 में सीधी चुनी गई कांग्रेस की पहली महिला मेयर ज्योति खंडेलवाल ने क्यों आखिर भाजपा जॉइन की, यह सवाल हर किसी की जुबां पर था। सूत्रों की मानें तो अपने क्षेत्र किशनपोल से टिकट के लिए ज्योति तीन माह से दिल्ली के चक्कर काट रही थीं। पति शरद खंडेलवाल के साथ वे राहुल गांधी और सोनिया गांधी से भी मिलीं। ज्योति आश्वस्त थीं कि इस बार विधानसभा का टिकट जरूर मिलेगी। केंद्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक में सिंगल नामों पर हंगामे और राहुल गांधी की नाराजगी के बाद वे और आश्वस्त हो गईं।
दो दिन बाद 21 अक्टूबर को पहली सूची आई तो किशनपोल और हवामहल के टिकट जारी नहीं किए गए। ज्योति खंडेलवाल ने सभी सर्वे का हवाला देते हुए कांग्रेस प्रभारी और सह प्रभारी को किशनपोल व हवामहल से अपनी मजबूत स्थिति के बारे में बताया। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें 2013 और 2018 में भी आश्वासन दिया गया था। दिल्ली से टिकट का आश्वासन लेकर वे जयपुर लौटीं मगर 22 अक्टूबर को जारी कांग्रेस की दूसरी सूची में किशनपोल से अमीन कागजी को टिकट मिलने से ज्योति को झटका लगा। इसके बाद भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और सचिन पायलट से मुलाकात कर अपनी बात रखी। वहां भी बात नहीं बनी। हवामहल सीट से महेश जोशी का ही नाम आगे बढ़ता दिख रहा था। ऐसे में दिल्ली में वैश्य समाज के एक प्रतिनिधि के माध्यम से खंडेलवाल ने भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह से मुलाकात की। तीन दिन पहले ही ज्योति ने तय कर लिया था कि भाजपा में ही जाएंगी। बता दें कि ज्योति 2004 में पहली बार पार्षद बनीं। 2009 में मेयर के पद पर सीधी चुनी गईं। 2019 में जयपुर शहर लोकसभा सीट से सांसदी का चुनाव लड़ा और हार गईं।
‘कांग्रेस लगातार उपेक्षा कर रही थी’
Q. यूं अचानक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के पीछे क्या विशेष कारण रहा ?
A. कांग्रेस में लगातार देखने में आ रहा था कि निष्ठावान कार्यकर्ताओं की पार्टी उपेक्षा कर रही थी।
Q. आपके लिए तो पहले ही प्रचारित किया हुआ है कि आप किसी के खिलाफ भी मोर्चा खोल देती हैं, आपने तो पिछले कार्यकाल में गहलोत की शिकायत भी सोनिया गांधी से कर दी थी, क्या इसकी सजा मिली है?
A. कांग्रेस में पिछले लंबे समय से चल रहा है कि व्यक्ति विशेष जो गलत या सही हो, उसे आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा था।
Q. आपका नाम तो कांग्रेस के हवामहल से दूसरे नंबर पर चल रहा था, फिर अचानक कांग्रेस से मोहभंग क्याें?
A. कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा था। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के सामने यह सबकुछ हो रहा है, इसके बाद भी वह समझौता करने की स्थिति में है।
Q. आपका यह कहना है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश के नेताओं के आगे कमजोर पड़ रहा है?
A. बिलकुल ऐसा ही है, केंद्रीय आलाकमान का खुलकर विरोध करने वाले और सोनिया गांधी की बात तक नहीं मानने वालों को मनमर्जी से टिकट देना, यही तो साबित कर रहा है। गहलोत खेमे ने जमकर खिलाफत की सोनिया गांधी की बात तक नहीं मानी, उसके बाद भी उनके चहेतों को टिकट दिए जा रहे हैं।
Q. क्या भाजपा ने किशनपोल विधानसभा से टिकट देने का वादा किया है?
A. ऐसी फिलहाल कोई बात नहीं हुई है, भाजपा को मजबूत करने की कोशिश करेंगे, जो भी पार्टी जिम्मेदारी देगी वो मंजूर है।