झुंझुनूं : अच्छी तनख्वाह व प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी का झांसा देकर संयुक्त अरब अमीरात (दुबई) भेजे गए शेखावाटी के कुछ युवा वहां फंस गए हैं। उनको बताए अनुसार न पगार मिली और न ही काम व कंपनी। वहां फंसे कामगारों ने वीडियो भेजकर वतन वापसी की गुहार लगाई है। सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले के कामगारों को संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी में पिछले महीने भेजा गया था।
सादुलपुर निवासी मोहम्मद नयूम ने बताया कि सुनील नामक एजेंट ने जयपुर की मैनपावर ट्रैवल्स के माध्यम से उन्हें यहां भेजा था। केएसबी कंपनी में इंटरव्यू कराया गया था, लेकिन वीजा अल इब्राहिम का निकाला गया। संयुक्त अरब अमीरात में यहां टेमको कंपनी में लाकर छोड़ दिया गया। इंटरव्यू के दौरान बताई गई पगार नहीं दी जा रही है। 16-16 घंटे काम कराया जा रहा है। झुंझुनूं के राकेश कुमार ने बताया कि एजेंट सुनील ने स्टील फिक्सर व स्टोरकीपर की 200 वेकेंसी बताई थी। सीकर में इंटरव्यू कराया गया था। उसे स्टोर कीपर का सहायक लगाने की बात कही थी। 1100 प्लस 200 दरहम पगार बताई गई थी।
लेकिन यहां आकर उन्हें महज 700 दिरहम पगार के एग्रीमेंट पर ही हस्ताक्षर करा लिए। इसी तरह सीकर के मुकेश मीणा ने बताया कि अच्छी सैलरी व फैसिलिटी लेकर युवाओं को इंडिया से दुबई लाया गया। जिस कंपनी का नाम लिया गया न तो वह कंपनी और ना ही इतनी सैलरी। 16 घंटे तक काम लिया जा रहा है। एजेंट से बातचीत की तो कहा कि मेरा भेजने का काम है। वह अब कुछ नहीं कर सकता।
चारणवास (चूरू) निवासी अशोक कुमार ने कहा कि एजेंट ने यहां लाकर फंसा दिया है। मशहूर कंपनी का नाम लेकर छोटे ठेकेदार के पास भेज दिया। हम लोग फंस चुके है। न खाने की व्यवस्था है और नहीं मेडिकल की सुविधा। पगार भी बताए अनुसार नहीं दी गई। इस कारण वे लोग फंसे हुए हैं। काफी तादाद में शेखावाटी के लोग खाड़ी देशों में मजदूरी करने जाते है। कम पढ़े लिखे ये लोग वहां बिल्डिंग, लाइन, गाड़ी चलाने, बिल्डिंग केयर टेकर, मेशन, मजदूर, लांड्री, सफाईकर्मी व घरों में खेती व पशुपालन का काम करते हैं।
अच्छी कंपनी व मोटी तनख्वाह का लालच दिखाकर एजेंट इन्हें अपने चंगुल में फंसा लेते हैं। यहां बताए अनुसार काम नहीं मिलता। जितनी पगार बताई जाती है उतना एग्रीमेंट नहीं होता। 70 से 1 लाख रुपए तक कर्जा लेकर गया मजदूर वहां फंस जाता है। वह आना चाहता तो कंपनी के लोग उसे वापसी के लिए वहां की 5-6 हजार रियाल व दिरहम मांगते हैं। इसलिए फंसा हुआ मजदूर कम पगार पर काम करने को मजबूर हो जाता है। शेखावाटी से विदेश जाने के प्रति लोगों में बड़ा क्रेज है। कुछ लोग तो संघर्ष करके वहां स्थापित हो जाते हैं, लेकिन अधिकांश लोग वहां फंस जाते हैं। शेखावाटी से अधिकांश लोग सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कतर, मस्कत जाते हैं।
शेखावाटी से हर साल एक लाख से ज्यादा युवा पासपोर्ट बनाते हैं। अकेले सऊदी अरब में 26 लाख से अधिक भारतीय हैं। इनमें आधे मजदूर राजस्थान से हैं। इसी तरह इस साल मार्च में शेखावाटी के 15 के युवाओं के साथ भी इसी तरह धोखाधड़ी हुई। 12-15 घंटे काम कराया गया। ठेकेदार ने धमकाया। वीडियो भेजकर मदद की गुहार लगाई तब उन्हें राहत मिली। वहां फंसे इन लोगों ने बताया कि एजेंट ने प्रत्येक व्यक्ति से 70 हजार रुपए लेकर भेजा था। बताए अनुसार एग्रीमेंट नहीं किया। 1300 की बजाय 700 दिरहम पगार लगाई गई है। 16 घंटे काम लिया जा रहा है।
जब वापसी के लिए कहा तो 6 हजार दिरहम (1.50 लाख) रुपए मांगे जा रहे हैं। कर्ज लेकर गए हम लोग इतनी रकम कहां से मंगवाकर दे। वीडियो भेजकर मदद की गुहार : अबूधाबी में फंसे इन कामगारों ने वीडियो भेजकर मदद की गुहार की है। राकेश कुमार ने बताया कि एजेंट को जब इस बारे में कहा तो उसने कहा कि मेरा काम भेजने का है। मुकेश कुमार ने कहा कि एक दिन नहीं जाने पर 200 दिरहम काट रहे हैं।