NCRT BOOKS : गांधी के हत्यारों के बारे में जानना क्यों ज़रूरी है ?
आज तो गांधी के हत्यारों की पहचान और उनके राजनीतिक विचार को जानना और भी ज़रूरी है क्योंकि अब उसी विचार को मानने वाले भारत में सत्ता में हैं। गांधी की पूजा करते हुए विनायक सावरकर को आदर्श के रूप में प्रतिष्ठित नहीं किया जा सकता। गोडसे के गुरु सावरकर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिन्दू महासभा से उसके रिश्ते को समझे बिना गांधी की हत्या की राजनीति को समझना मुश्किल है।

“प्रश्न गांधी के योगदान का नहीं, उनकी हत्या का है। हत्या के प्रसंग में जिसकी हत्या की गई, वह जितना महत्त्वपूर्ण है, उससे अधिक हत्या करने वाला और हत्या का कारण महत्वपूर्ण है। जिस व्यक्ति को भारत का प्रतीक माना जाता है उसे मुल्क को आज़ादी मिलते ही क्यों मार डाला गया? क्या हत्यारे की पहचान बताना ज़रूरी नहीं?
गांधी से क्रोध का एक कारण अस्पृश्यता के खिलाफ उनका संघर्ष था। दलितों को उनका वाजिब धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक हक़ दिलाने की उनकी मुहिम ने तथाकथित उच्च जाति के एक हिस्से को हिंसक रूप से गांधी के ख़िलाफ़ कर दिया था। पुणे में ऐसे ही लोगों ने गांधी की हत्या का प्रयास किया था और उसके पहले उनकी ट्रेन उड़ाने की साज़िश भी की गई थी। गांधी की हत्या के पीछे उनका हाथ था जो अंग्रेजों के जाने के बाद भारत में पेशवाई की वापसी चाहते थे।
गोडसे की जाति का उल्लेख अप्रासंगिक नहीं है। उसके धर्म का उल्लेख भी ज़रूरी है। यह इसलिए कि गांधी से मतभेद मुसलमान समुदाय के एक हिस्से का भी था और डॉक्टर अंबेडकर जैसे लोगों का भी। लेकिन उनमें से किसी ने गांधी की हत्या करके उनको रास्ते से हटाने के बारे में नहीं सोचा। यह साज़िश तो पेशवाई की वापसी चाहने वाले ब्राह्मणवादी और हिंदुत्ववादियों के एक तबके ने ही की। इस तथ्य को जाने बिना गांधी के राजनीतिक अर्थ को समझना कठिनहै।