मित्रता दिवस विशेष : क्या इस बार मित्रता दिवस को ऐसे मनाएंगे आप? हिमांशु सिंह
एक छोटा सा काम और भी किया जा सकता है, जो भी आपके चुनिंदा मित्र हैं, उनकी अच्छाइयों की, उनकी खूबियों की एक सूची बना सकते हैं। वो सूची मित्रों से शेयर कीजिए, उन्हें यह अहसास दिलवाईए कि वे कितने अच्छे और कितने महत्वपूर्ण है।

“मैं तुझको देता रहूँ, जो कुछ मुझसे होय।
तू मुझको कुछ दे कभी, यह आस ना होय।।”
मित्रता के बारे में मैं सोच रहा था, तो बस यही दिमाग में आया, जो ऊपर लिखा। मित्रता क्या है. मित्रता क्यों हो, जीवन में उसका क्या महत्व है? मित्रता दिवस पर ऐसा क्या करें कि मन को लगे कि हां! हमने मित्रता दिवस मनाया है. यही सब सोचते-सोचते लगा कि मित्रता को शब्दों में बांधने की भूल करना ठीक नहीं है। यह तो मन का वो राग है, संगीत है, जो खुले आसमान में उड़ता है। जहां कोई भय नहीं है, ठगे जाने का भय, धोखा खाने का भय इन भयबंधुओं से कोसो दूर है, मित्रता। मित्रता में हमें यह भय नहीं होता कि हमारे साथ कुछ बुरा या कुछ गलत होगा। महाभारत में कर्ण और दुर्योधन की मित्रता भी एक उदाहरण है, जहां कर्ण ने केवल मित्रता के लिए अपने भाईयों से युद्ध किया, तो श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के पकवानों को त्याग कर विदुर के घर साग खाया और विदुर की पत्नी उनकी मित्रता-प्रेम में डूबकर केले की बजाय, केले के छिलके खिलाने लगी, तो वे सहर्ष खाने लगे। वहीं त्रेतायुग में भी श्रीराम ने सुग्रीव और विभीषण के साथ मित्रता की, तो उन्हें राजा बना दिया। कुल मित्रता जीवन का एकमात्र ऐसा रिश्ता है, जो तमाम तरह की औपचारिकताओं से मुक्त है। यदि आपके जीवन में आपके मन की बात आपसे पहले समझने वाला कोई मित्र है, तो वाकई आप बेहद खुशनसीब इंसान है। यदि नहीं है, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है, आप खुद ऐसे मित्र किसी के लिए बन जाईए। बनकर देखिए, बहुत सुकून मिलेगा।
हिमांशु सिंह, जिला जनसंपर्क अधिकारी, झुंझुनूं
इस मित्रता दिवस की एक काम और कीजिएगा, जिन-जिन दोस्तों से आप नाराज है, या जो दोस्त आप से नाराज़ है, उन्हें माफ करते हुए या माफी मांगते हुए सबकुछ भूलकर एक बार बात करिए। बेशक माफ़ करता इतना आसान काम नहीं है, मन कई आडंबर और तर्क आगे लाएगा, लेकिन साहस के साथ कोशिश करके देखिए। बहुत सुकून मिलेगा, जब आप किसी को माफ करते हुए या माफी मांगते हुए खुले दिल से किसी को गले लगाएंगे। बस अपने ईगो
को थोड़ा सा साईड में रखना पड़ेगा। फिर सब हो जाएगा।
एक छोटा सा काम और भी किया जा सकता है, जो भी आपके चुनिंदा मित्र हैं, उनकी अच्छाइयों की, उनकी खूबियों की एक सूची बना सकते हैं। वो सूची मित्रों से शेयर कीजिए, उन्हें यह अहसास दिलवाईए कि वे कितने अच्छे और कितने महत्वपूर्ण है। अपने ऐसे मित्रों को याद कीजिए, जिन्होंने आपके बिना कहे आपको समझा। आपकी मदद की। एक बात और… मदद करना मित्रता की महत्वपूर्ण कसौटी है। लेकिन यही एकमात्र कसौटी नहीं है। कई बार मैत्री भाव प्रगाढ़ होते हुए भी परिस्थितिवश कोई मदद नहीं कर पाए, तो भी मित्रता में कमी नहीं आए।
दरअसल कोई हमारा सच्चा मित्र हो, ऐसी उम्मीद करने की बजाय पहले खुद सच्चा मित्र बनें। सच्चे मित्र बनने की पहली शर्त यही है कि भाव कुछ लेने का नहीं बस देने का हो। वो किसी काम आएगा, या आगे चलकर ये काम कर देगा, उससे बनाकर रखने में फायदा है, जैसी प्रवृति से ऊपर उठकर बस केवल देने का भावा यानी मैत्री भाव। मैत्री भाव को प्रेम की सर्वोच्च अवस्था कहा गया है।
सच्चे मित्र बनने की एक और कसौटी है कि यदि आपका मित्र कुछ गलत कर रहा है, तो उसे रोकें, बिना यह सोचे कि वो नाराज़ हो जाएगा। उसे गलत रास्ते पर चलने से रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करें। केवल हां में हां नहीं मिलाएं। क्योंकि मित्रता में खुद से ज्यादा सामने वाले व्यक्ति की प्रधानता होती है कि उसके लिए क्या अच्छा है, वह उसे बताएं। आजकल हम क्यों बुरे बनें’ की सोच अधिक हावी है, लेकिन इससे ऊपर उठकर समझाएं कि वह जो कर रहा है, वो गलत है। इसी तरह यदि आपको भी कोई आपकी गलती बताए, तो समझिएगा कि वह आपका सच्चा मित्र है।
तो मित्रता दिवस पर बात कीजिए, अपने मित्रों से और उन्हें बताएं कि वे आपके लिए और इस दुनिया के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। और हां! कोई सच्चा मित्र या झूठा मित्र जैसा कुछ नहीं होता, मित्र सिर्फ मित्र होता हैं, लोग जरूर सच्चे और झूठे हो सकते हैं। मित्र होता है, तो वो सच्चा ही होता है, जहां झूठ है, वहां स्वार्थ है, मित्रता नहीं। जै जै मितरों की.. इन्हीं पंक्तियों के साथ...हिमांशु सिंह, जिला जनसंपर्क अधिकारी, झुंझुनूं
“श्रीकृष्ण विदुर के हुए, श्रीराम विभीषण संग।
कलयुग में आओ दिखाएं, यही मित्रता रंग।”