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झुंझुनूं-नवलगढ़(भोजासर) : पिता पेट्रोलपंप पर सेल्सकर्मी, बेटी ले आई 98.20% अंक:मां अनपढ़ है, बेटी अच्छे से पढ़ सके इसलिए खुद से दूर भेजा, अब आईएएस बनना चाहती है पलक


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झुंझुनूं-नवलगढ़(भोजासर) : पिता पेट्रोलपंप पर सेल्सकर्मी, बेटी ले आई 98.20% अंक:मां अनपढ़ है, बेटी अच्छे से पढ़ सके इसलिए खुद से दूर भेजा, अब आईएएस बनना चाहती है पलक

पिता पेट्रोलपंप पर सेल्सकर्मी, बेटी ले आई 98.20% अंक:मां अनपढ़ है, बेटी अच्छे से पढ़ सके इसलिए खुद से दूर भेजा, अब आईएएस बनना चाहती है पलक

झुंझुनूं-नवलगढ़(भोजासर) : क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कला संकाय के परिणाम में छोटे से गांव से आने वाली एक छात्रा के कुल नंबर में से केवल नौ नंबर ही कटे हैं और छात्रा 98.20 प्रतिशत लेकर आई है। जी हां, प्रदेश के छोटे छोटे गांवों से अब ऐसी प्रतिभाएं निकल रही हैं। जो अभावों, संघर्षों और विपरित परिस्थितियों में रहकर भी अपने सपने पूरे कर रही हैं।

ऐसी ही कहानी है झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ के पास भोजासर गांव की रहने वाली पलक कुमारी की। पलक बेहद साधारण परिवार से आती है। मां बिल्कुल पढ़ी लिखी नहीं है और पिता बहुत ही कम। ऐसे में घर में पढ़ाई का माहौल नहीं था। इसके बावजूद पलक ने ना केवल खुद के सपने पूरे किए बल्कि परिवार वालों की उम्मीदों पर भी खरा उतरी। आइए, इस कहानी को जानते हैं खुद पलक से…

माता-पिता से दूर रहकर की पढ़ाई

मैं पलक बेहद साधारण परिवार से आती हूं। नवलगढ़ के पास हमारा छोटा सा गांव है भोजासर। मेरा परिवार बिल्कुल साधारण, मां संतोष देवी एकदम अनपढ़ हैं और पिता राजेंद्र कुमार थोड़ा बहुत पढ़ना जानते हैं। वे लुधियाना में एक पेट्रोलपंप पर सेल्समैन का काम करते हैं। जो थोड़ा बहुत वे कमाते हैं उसी से परिवार चलता है।

माता-पिता मुझे हमेशा कहते कि बेटा तुझे पढ़ लिखकर हमारा नाम रोशन करना है। सो, मैं पढ़ाई का महत्व जानती हूं, क्योंकि इसी से मेरे माता-पिता के सारे अरमान जुड़े हैं। पढ़ाई के प्रति मेरे लगाव को देखते हुए माता-पिता ने मुझे हमेशा प्रेरित किया, लेकिन वे जानते थे कि परिवार में पढ़ाई का माहौल नहीं है और गांव भी छोटा सा है, इसलिए मेरी अच्छी पढ़ाई नहीं हो सकेगी। इसलिए उन्होंने मुझे खुद से दूर भेज दिया।

मेरे फूफाजी महावीर झांझड़िया ने मुझे पढ़ाने का जिम्मा उठाया। वे मुझे सरस्वती स्कूल बलवंतपुरा में बीरबलसिंह गोदारा के पास लेकर आए। उन्होंने मुझसे कई सवाल पूछे और पढ़ाई में मुझे अव्वल देख, आर्ट्स लेने के लिए प्रेरित किया। मैंने उनसे कहा था कि मैं आईएएस बनना चाहती हूं, इसलिए वे मुझे हमेशा यही कहते कि तुम्हें अभी से पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई करनी होगी। मैंने ऐसा ही किया।

मैं जानती हूं कि मेरे परिवार की स्थिति सही नहीं है, इसलिए पढ़ाई को ही मैंने मेरी सबसे बड़ी ताकत बना लिया। इसमें मैंने कभी किसी भी बात को बाधा नहीं बनने दिया, इसीलिए आज मुझे यह सफलता मिली। जिसमें मेरे माता-पिता और फुफाजी सहित स्कूल का पूरा योगदान रहा।

हिंदी अनिवार्य और अंग्रेजी साहित्य में 9 नंबर कटे

पलक ने हिन्दी में 98, अंग्रेजी में 100, अर्थशास्त्र में 100, भूगोल में 100 और अंग्रेजी साहित्य में 93 अंक प्राप्त किए हैं। यानी उसके केवल हिंदी अनिवार्य और अंग्रेजी साहित्य में ही नौ नंबर कटे हैं।

घर में खुशी का माहौल

पलक के एक छोटा भाई है जिसका नाम प्रवेश है। गुरुवार को जब परिणाम आया तो पलक के घर में खुशियों का माहौल था। मां ने दीपक जलाकर उसकी आरती उतारी और घर पर तो जैसे बधाइयां देने वालों का तांता लग गया। उसके फुफाजी ने बताया कि हमें पलक पर हमेशा से ही विश्वास था और आज उसने पूरे परिवार का नाम रोशन कर दिया।

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