डाईट झुंझुनूं में क्रियात्मक अनुसंधान कार्यशाला का तृतीय चरण सफलतापूर्वक सम्पन्न
डाईट झुंझुनूं में क्रियात्मक अनुसंधान कार्यशाला का तृतीय चरण सफलतापूर्वक सम्पन्न
जनमानस शेखावाटी सवंददाता : चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाईट) झुंझुनूं में चार दिवसीय तृतीय चरण क्रियात्मक अनुसंधान कार्यशाला सोमवार को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। प्रिंसिपल सुमित्रा झाझड़िया के मार्गदर्शन और जिला शिक्षा अधिकारी के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में जिले के विभिन्न विद्यालयों के 35 शिक्षक तथा पीरामल फाउंडेशन के सदस्य शामिल हुए।
चार दिन की इस कार्यशाला में प्रतिभागियों ने अनुसंधान प्रक्रिया को व्यवहारिक रूप से समझते हुए शोध के प्रत्येक चरण का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। शिक्षकों ने विद्यालय, कक्षा और समुदाय स्तर की वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित डेटा एकत्र कर अनुसंधान का मजबूत आधार तैयार किया। विभिन्न सत्रों में प्रतिभागियों ने अनुभव साझा करते हुए चुनौतियों और निष्कर्षों पर चर्चा की, जिससे शोध-आधारित शिक्षा की समझ और गहरी हुई।
कार्यशाला का संचालन आईएफआईसी प्रभागाध्यक्ष डॉ. राजबाला ढाका, प्रभारी अलका, ई.टी. प्रभागाध्यक्ष सरिता और पीरामल फाउंडेशन के सीनियर प्रोग्राम लीडर अशगाल खान द्वारा किया गया। वरिष्ठ शोध विशेषज्ञ अमर सिंह पुनिया ने शिक्षकों को शोध दृष्टिकोण, उसकी उपयोगिता और व्यवहारिक पद्धतियों से अवगत कराया।
कनेक्टिंग ड्रीम फाउंडेशन के विनय और जर्मनी के तकनीकी विशेषज्ञ प्रोशांतो ने शिक्षकों से चर्चा कर डेटा संग्रहण व विश्लेषण पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। प्रोशांतो ने कहा कि शोध समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम है और शिक्षकों को तकनीकी दृष्टि के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
अंतिम दिन प्रस्तुति सत्र में सभी प्रतिभागियों ने अपने अनुसंधान विषय, उद्देश्यों, शोध प्रश्नों, डेटा संग्रहण विधियों और अपेक्षित समाधानों पर प्रस्तुतियाँ दीं। विशेषज्ञों द्वारा दिए सुझावों को शिक्षकों ने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया।
प्रिंसिपल सुमित्रा झाझड़िया ने कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP-2020) शिक्षकों को वास्तविक समस्याओं पर शोध कर समाधान विकसित करने के लिए प्रेरित करती है। यह कार्यशाला गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में सार्थक कदम है।
कार्यशाला के दौरान एकत्रित डेटा के वर्गीकरण, विश्लेषण और प्रवृत्तियों की पहचान का कार्य भी शुरू किया गया, जिससे शिक्षकों में साक्ष्य-आधारित निर्णय क्षमता विकसित हुई। प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने शोध कार्य को विद्यालय और पंचायत स्तर तक ले जाएंगे, ताकि जिले में अनुसंधान-आधारित शिक्षा की संस्कृति को बढ़ावा मिल सके।
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