झुंझुनूं में सरकारी कर्मचारियों को साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग:डिजिटल ठगी से बचने के टिप्स दिए, NIC ने दिया सुरक्षित पासवर्ड और 2FA जरूरी
झुंझुनूं में सरकारी कर्मचारियों को साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग:डिजिटल ठगी से बचने के टिप्स दिए, NIC ने दिया सुरक्षित पासवर्ड और 2FA जरूरी

झुंझुनूं : साइबर अपराधों से बढ़ते खतरे और डिजिटल दुनिया में बढ़ती धोखाधड़ी को देखते हुए अब सरकारी विभागों में साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) झुंझुनूं की ओर से साइबर सुरक्षा जागरूकता माह के तहत जिला मुख्यालय पर एक दिवसीय साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
अधिकारियों ने दिए जरूरी सुझाव
कार्यक्रम में जिला सूचना विज्ञान अधिकारी कमलेश सैनी, अतिरिक्त जिला सूचना विज्ञान अधिकारी पूनम महला और साइबर क्राइम सेल से राजेंद्र सिंह ने उपस्थित शिक्षा विभाग के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर और संदर्भ व्यक्तियों को साइबर सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी।
साइबर अपराधों से सतर्क रहने पर ज़ोर
प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों ने बताया कि आज के दौर में साइबर फ्रॉड, फिशिंग स्कैम, केवाईसी अपडेट के नाम पर ठगी, ओटीपी शेयरिंग और ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इन अपराधों का सबसे बड़ा कारण लोगों की अनजाने में की गई लापरवाही है अपरिचित लिंक या कॉल पर कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी, बैंक डिटेल या ओटीपी साझा न करें।
सुरक्षित पासवर्ड और 2FA जरूरी
साइबर क्राइम सेल से राजेंद्र सिंह ने साइबर अपराध के कई ताजा उदाहरण साझा किए। उन्होंने बताया कि ठग अब सोशल मीडिया और ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म के जरिए बहुत चालाकी से जाल बिछा रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से चेतावनी दी कि साइबर अपराधी अब “डिजिटल पुलिस” या “कानूनी कार्रवाई” का डर दिखाकर भी लोगों को ठग रहे हैं। सुरक्षित पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) है जरूरी अतिरिक्त जिला सूचना विज्ञान अधिकारी पूनम महला ने बताया कि साइबर सुरक्षा की शुरुआत व्यक्ति के खुद के डिजिटल अनुशासन से होती है।
- मजबूत पासवर्ड: हर खाते के लिए अलग और मजबूत पासवर्ड बनाएं, जिनमें अक्षर, अंक और विशेष चिन्हों का प्रयोग हो।
- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA): इसे सक्रिय रखना बेहद जरूरी है, ताकि किसी भी प्लेटफॉर्म पर आपका अकाउंट अतिरिक्त सुरक्षा परत से सुरक्षित रहे।
- प्राइवेसी सेटिंग्स: वॉट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया एप्स की प्राइवेसी सेटिंग्स को अपडेट रखना, अनजान लिंक पर क्लिक न करना और संदिग्ध मैसेज को तुरंत रिपोर्ट करना आवश्यक है।
केवल सुरक्षित और विश्वसनीय लेनदेन प्लेटफॉर्म का प्रयोग करें
जिला सूचना विज्ञान अधिकारी कमलेश सैनी ने ऑनलाइन लेनदेन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर जोर दिया।
- सुरक्षित वेबसाइट: ऑनलाइन लेनदेन के समय लोगों को केवल https:// से शुरू होने वाली सुरक्षित वेबसाइटों का ही उपयोग करना चाहिए।
- सतर्कता: फर्जी वेबसाइटें अक्सर असली जैसी दिखती हैं और ऐसे में थोड़ी सी असावधानी बैंक खाते से बड़ी रकम उड़ा सकती है।
सैनी ने स्पष्ट किया कि किसी भी स्थिति में ओटीपी, डेबिट कार्ड की सीवीवी या नेटबैंकिंग पासवर्ड किसी के साथ साझा नहीं करें। उन्होंने बताया कि कई बार ठग सरकारी अधिकारी या बैंक प्रतिनिधि बनकर कॉल करते हैं। ऐसे कॉल आने पर तुरंत कॉल काटकर बैंक की हेल्पलाइन या साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करनी चाहिए।
साइबर अपराध की शिकायत: तुरंत करें रिपोर्टिंग
अधिकारियों ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति साइबर अपराध का शिकार हो जाता है तो वह तुरंत निम्नलिखित माध्यमों से शिकायत दर्ज कर सकता है:
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन: 1930 पर कॉल करें।
- राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल: https://cybercrime.gov.in पर जाकर शिकायत दर्ज करें।
समय पर की गई रिपोर्टिंग से कई मामलों में ठगों के खातों को फ्रीज कर नुकसान को रोका जा सकता है।
शिक्षा विभाग करेगा आगे जागरूकता अभियान
प्रशिक्षण में मौजूद शिक्षा विभाग के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर और संदर्भ व्यक्तियों को निर्देश दिए गए कि वे अपने-अपने ब्लॉक और विद्यालयों में साइबर सुरक्षा पर जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित करें। इन कार्यशालाओं के माध्यम से आमजन, विद्यार्थी और शिक्षक समुदाय को साइबर अपराधों के प्रति सचेत किया जाएगा।