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सादड़ी में अंग्रेजी बबूल की आड़ में हो रही हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई, जिला प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन


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सादड़ी में अंग्रेजी बबूल की आड़ में हो रही हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई, जिला प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन

प्रशासन और वन विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल, पर्यावरणीय असंतुलन की आशंका

सादड़ी (पाली) : सादड़ी नगरपालिका क्षेत्र में विदेशी प्रजाति अंग्रेजी बबूल की अधिकृत कटाई के नाम पर अन्य स्थानीय और संरक्षित वृक्षों – खेजड़ी, खेर, रोंझ और केल्डा इत्यादि की अवैध कटाई का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह स्थिति अब पर्यावरण संतुलन और जैवविविधता पर गहरा संकट बनती जा रही है।

इस गंभीर प्रकरण पर नागरिकों द्वारा पाली जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है। ज्ञापन में बताया गया कि वर्ष 2015 के आदेशों के तहत अंग्रेजी बबूल (Prosopis Juliflora) की कटाई हेतु राजकोट स्थित बजरंग फायरवुड कंपनी को 70 लाख रुपए में ठेका सौंपा गया था, लेकिन अब ठेकेदार द्वारा वैध बबूल के साथ-साथ स्थानीय, संरक्षित और पारंपरिक वृक्षों की भी अवैध कटाई की जा रही है।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि यह कार्य न केवल पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, भारतीय वन अधिनियम 1927 और राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48-ए का भी सीधा उल्लंघन है, जो पर्यावरण संरक्षण को राज्य का कर्तव्य मानता है।

ज्ञापन में तीन प्रमुख मांगे रखी गई हैं:

  • अवैध वृक्ष कटाई को तुरंत रोका जाए।
  • जारी टेंडर को निरस्त कर निष्पक्ष जांच कराई जाए।
  • एक स्वतंत्र निगरानी समिति का गठन किया जाए, जो केवल अंग्रेजी बबूल की छंटाई सुनिश्चित करे और अन्य वृक्षों की सुरक्षा पर निगरानी रखे।

उपरोक्त ज्ञापन की प्रतिलिपि उपखण्ड अधिकारी देसूरी, क्षेत्रीय वन अधिकारी सादड़ी, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पाली व थाना सादड़ी को भी भेजी गई है।

सरकारी नीतियों की खुली अनदेखी:
जब एक ओर राज्य सरकार “हरियालो राजस्थान” और “एक पेड़ माँ के नाम” जैसे अभियानों के ज़रिए वृक्षारोपण को प्रोत्साहित कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजकीय भूमि पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से इन अभियानों की मंशा पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर प्रकरण पर कितनी शीघ्रता से संज्ञान लेता है, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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