झुंझुनूं जिले में स्मार्ट मीटर योजना का विरोध:सुलताना में जुटे 40 गांव के लोग; बोले- 7 दिन में फैसला वापस नहीं लिया तो करेंगे आंदोलन
झुंझुनूं जिले में स्मार्ट मीटर योजना का विरोध:सुलताना में जुटे 40 गांव के लोग; बोले- 7 दिन में फैसला वापस नहीं लिया तो करेंगे आंदोलन

सुलताना : झुंझुनूं जिले में स्मार्ट मीटर योजना का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को सुलताना गांव स्थित पावर हाउस के बाहर विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। यहां हजारों की संख्या में जुटे ग्रामीणों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। ‘स्मार्ट मीटर हटाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले आयोजित जनसभा में 40 गांवों के किसान, मजदूर और आम नागरिक एकट्ठे हुए। उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने चेताया कि अगर योजना को वापस नहीं लिया गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। सुलताना गांव में दोपहर बाद शुरू हुई जनसभा में हजारों की संख्या में लोग जुटे। लोगों ने स्मार्ट मीटर योजना को गरीबों के खिलाफ बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि ये मीटर न केवल गलत रीडिंग दे रहे हैं, बल्कि इनके जरिए मनमाने और भारी बिजली बिल थोपे जा रहे हैं, जिससे किसान और मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
बिलों में 3 से 5 गुना बढ़ोतरी का आरोप
सभा में शामिल किसानों ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिलों में 3 से 5 गुना तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उनका कहना था कि फर्जी रीडिंग और मनमाने यूनिट चार्ज कर बिजली विभाग आम आदमी की जेब काट रहा है। किसान नेता पंकज धनकड़ ने योजना को गरीब और मध्यम वर्ग को आर्थिक रूप से तोड़ने की साजिश बताया। उन्होंने कहा, पहले किसानों को मुफ्त या रियायती दरों पर बिजली मिलती थी, अब स्मार्ट मीटर लगाकर हर महीने हजारों रुपए के बिल भेजे जा रहे हैं। किसान, मजदूर और छोटा दुकानदार अब इन बिलों के बोझ से बुरी तरह दब गए हैं।
जनता को लूटने का नया तरीका
धनकड़ ने कहा कि यह कोई तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि जनता को लूटने का एक नया तरीका है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि यह योजना बंद नहीं की गई, तो सड़क से संसद तक आंदोलन किया जाएगा।
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का भी समर्थन
सभा में कांग्रेस और निर्दलीय प्रतिनिधियों सहित कई सामाजिक संगठनों के लोगों ने भी भाग लिया और ग्रामीणों के साथ खड़े होने का भरोसा दिलाया। कांग्रेस जिलाध्यक्ष दिनेश सुंडा ने सरकार पर जनविरोधी निर्णय लेने का आरोप लगाया। कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने आम जनता को राहत देने के लिए हर संभव कदम उठाए थे। लेकिन वर्तमान सरकार स्मार्ट मीटर जैसे जनविरोधी निर्णयों के जरिए जनता पर बोझ डाल रही है। बिजली जैसी मूलभूत सेवा को महंगी और जटिल बनाकर सरकार आम आदमी से दूर हो रही है। हम इस फैसले के विरोध में जनता के साथ हैं।
कनेक्शन काटने की धमकी
जनसभा में पहुंचे वक्ताओं ने कहा कि झुंझुनूं जिले के कई हिस्सों में बिना सहमति और सूचना के लोगों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। जिन उपभोक्ताओं ने विरोध किया, उन्हें कनेक्शन काटने की धमकी दी जा रही है, जिससे लोगों में भारी आक्रोश है। समिति के सदस्यों ने चेतावनी दी कि यदि शासन-प्रशासन ने 7 दिन के भीतर इस मुद्दे पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की, तो पूरे जिले में क्रमिक धरने, चक्का जाम और बिजली घरों का घेराव किया जाएगा। किसान नेताओं कहा- सुलताना से आंदोलन शुरू हो गया है। यह सिर्फ एक गांव की लड़ाई नहीं है, ये 40 गांवों का जनआंदोलन बन चुका है।
ग्रामीण बोले- नहीं चाहिए स्मार्ट मीटर
जनसभा में शामिल महिलाएं, बुजुर्ग और युवा बोले कि वे किसी भी हालत में स्मार्ट मीटर नहीं लगने देंगे। उन्होंने कहा कि यह योजना गरीबों के साथ अन्याय है और सरकार को इसे तुरंत बंद करना चाहिए। सभा के अंत में क्षेत्रीय कवि महेंद्र गुर्जर ने स्मार्ट मीटर के खिलाफ रचित कविता सुनाकर माहौल को आंदोलित कर दिया। “हम न झुकेंगे, न डरेंगे, अब चुप नहीं रहेंगे” जैसे नारे देर शाम तक गूंजते रहे।
संघर्ष समिति की प्रमुख मांगें और आंदोलन की रणनीति
स्मार्ट मीटर हटाओ संघर्ष समिति की ये हैं मांगें
- स्मार्ट मीटर योजना को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
- पहले से लगे स्मार्ट मीटरों को हटाया जाए।
- उपभोक्ताओं से जबरन सहमति नहीं ली जाए।
- बढ़े हुए बिजली बिलों की जांच कर राहत दी जाए।
- बिजली दरों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।