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हाइड्रोसालपिनक्स के कारण होने वाली निःसंतानता का आयुर्वेदिक उपचार – डॉ चंचल शर्मा


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स्वास्थ्य

हाइड्रोसालपिनक्स के कारण होने वाली निःसंतानता का आयुर्वेदिक उपचार – डॉ चंचल शर्मा

हाइड्रोसालपिनक्स के कारण होने वाली निःसंतानता का आयुर्वेदिक उपचार - डॉ चंचल शर्मा

जब किसी महिला के फैलोपियन ट्यूब में किसी प्रकार का द्रव भर जाता है तो ऐसी स्थिति को चिकित्सा शास्त्र में हाइड्रोसालपिनक्स कहते हैं। हाइड्रोसालपिनक्स के मामले में महिला के ट्यूब में सूजन हो जाती है। यही सूजन महिलाओं में निःसंतानता का कारण बन सकती है। यह सूजन ट्यूब के दोनों हिस्सों में से कहीं भी हो सकता है। ज्यादातर मामले में यह अंडाशय वाली तरह होता है लेकिन कई बार यह रुकावट गर्भाशय की तरफ यानि ट्यूब के अंत में भी देखी जा सकती है। जब फैलोपियन ट्यूब में सूजन हो जाती है तो फर्टिलाइज़ेशन नहीं हो पाता और महिला माँ नहीं बन पाती है।

आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि हाइड्रोसालपिनक्स वह स्थिति है जब महिला के फैलोपियन ट्यूब में पानी भर जाता है और उसकी वजह से ट्यूब में सूजन आ जाती है। यह कई कारणों से हो सकता है जैसे योनि मार्ग में होने वाला इन्फेक्शन, पेल्विक इन्फेक्शन, ट्यूबरक्युलोसिस, आदि जैसी बीमारियां जो आपके ट्यूब को प्रभावित करती हैं।

हाइड्रोसालपिनक्स के लक्षण क्या हैं?

निःसंतानता हाइड्रोसालपिनक्स का सबसे बड़ा लक्षण है, इसकी वजह से महिलाओं को माँ बनने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है और यह दर्द पीरियड्स के समय बढ़ कर तीव्र हो जाता है। योनि मार्ग से लगातार असामान्य सा स्राव होता रहता है। ऐसी महिलाओं को सेक्स के समय असहनीय दर्द महसूस हो सकता है। उनके पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।

हाइड्रोसालपिनक्स की जांच कैसे करें?

अल्ट्रासाउंड: अगर आपको इनमे से कोई भी लक्षण महसूस होता है तो उसे नज़रअंदाज ना करें बल्कि जल्द ही नजदीकी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और उनकी सलाह से अल्ट्रासाउंड करवाके बीमारी का सही परिक्षण करें।
एचएसजी: एचएसजी एक ऐसा परिक्षण है जिसे हाइड्रोसालपिनक्स के लिए सबसे सटीक माना जाता है।

हाइड्रोसालपिनक्स का उपचार कैसे करें?

हाइड्रोसालपिनक्स के उपचार के लिए आप एलोपैथिक की गजह आयुर्वेदा का चुनाव कर सकते हैं क्यूंकि इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। इसमें किसी प्रकार की सर्जरी भी नहीं होती है बल्कि सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं से हाइड्रोसालपिनक्स का उपचार किया जाता है जिसके बाद आप नैचुरली कन्सीव कर सकते हैं।

लोकल उपचार- अर्क पत्र से स्वेदन करना, पोटिश लगाना या लवण पोटली से सिंकाई करना
पंचकर्म उपचार – शोधन चिकित्सा
शमन चिकित्सा – आयुर्वेदिक हर्ब्स जो उपचार के दौरान महिला को खाने के लिए दिया जाता है।

आयुर्वेदिक उपचार से 70% मामले में हाइड्रोसालपिनक्स की समस्या ठीक हो जाती है लेकिन इसे पूर्णतः ठीक होने में कितना समय लगेगा यह तो आपके डॉक्टर ही बता सकते हैं। लेकिन डॉक्टर आपकी HSG रिपोर्ट देखने के बाद ही एक निश्चित समय बता पाएंगे।

डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि अगर आप आयुर्वेदिक उपचार से हाइड्रोसालपिनक्स को ठीक करते हैं तो उसकी रिकवरी बहुत अच्छी होती है। आपके फैलोपियन ट्यूब की इलास्टिसिटी भी काफी अच्छी रहती है और इसके बाद आप नैचुरली कन्सीव करके एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकते हैं।

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