ले आउट प्लान में शामिल गाजसर के किसान की भूमि को मनमाने तरीके से पुनः सर्वे करके सड़क से अलग करने का मामला
चूरू एसडीएम मौके पर पहुंचे और पीड़ित किसानों से वार्ता की

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय से राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 36 चूरू से नोहर वाया गाजसर के निर्माण में भारी अनियमितता सामने आने के बाद आज चूरू एसडीएम बिजेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और पीड़ित किसानों से वार्ता की। इस दौरान उप महा प्रबंधक तकनीकी सह परियोजना निदेशक राजस्थान राज मार्ग प्राधिकरण पी आई यू हनुमानगढ़ दीवेंद्र सिंह सिंघला और तहसीलदार, नायब तहसीलदार सहित पुलिस की टीम मौजूद रही। मिली जानकारी के अनुसार गोपाल राम पुत्र खींवाराम और विकास पुत्र भागीरथ जाति जाट निवासीगण गाजसर की कृषि भूमि इस रोड़ के ले आउट प्लान में शामिल थी। मनमाने तरीके से पुनः सर्वे करके उनकी भूमि को सड़क से अलग कर दिया गया है। आरोप है कि निरीक्षणकर्ता ने जानबूझकर रोही गाजसर को रोड से अलग दिखाकर उनके साथ घोर अन्याय किया है। इतना ही नहीं यह भी आरोप है कि इंजीनियर अमित गहलोत और अन्य संबंधित उच्च अधिकारियों ने हाईवे के नियमों की धज्जियां उड़ा दी है। प्लान के अनुसार पुरानी सड़क के स्थान पर ही पुनः सड़क का निर्माण होना था और दोनों तरफ 50 फुट जगह छोड़नी थी। यहां नायब तहसीलदार महेन्द्र गहलोत और प्राधिकरण के अधिकारियों ने मिलीभगत करके हाइवे नंबर 36 पर गाजसर में इन किसानों के खेतों की तरफ जगह नहीं छोड़ी है। भ्रष्टाचार के आरोपों से बुरी तरह धीरे नायब तहसीलदार महेन्द्र गहलोत ने तहसीलदार सहित अपने उच्च अधिकारियों की आंखों पर उल्टा चश्मा चढ़ा दिया है।
पटवारी नरेंद्र खीचड़ के साथ मिलकर नायब तहसीलदार महेन्द्र गहलोत ने मिथ्या रिपोर्ट बनाकर अपने कर्तव्य के प्रति खुला खिलवाड़ किया है। ऐसे में नायब तहसीलदार महेन्द्र गहलोत के खिलाफ अलग से विशेष जांच होनी चाहिए। पीड़ितों ने बताया कि इस संबंध में चूरू कलेक्टर अभिषेक सुराणा के निर्देश के बावजूद इंजीनियर अमित गहलोत ने रात्रि के समय नायब तहसीलदार महेन्द्र गहलोत की देखरेख में निर्माण कार्य करवाया। इंजीनियर अमित गहलोत पर किसानों से लाखों रुपए वसूल करने का भी आरोप है। बिना रिश्वत के किसानों को भुगतान तक नहीं किया जा रहा है। उच्च स्तरीय जांच होने पर मामले में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है। आज मौके पर एसडीएम बिजेंद्र सिंह ने किसानों से कहा कि मरने के बाद इंजेक्शन लगाने से मुर्दा ठीक नहीं होता। उन्होंने कहा कि किसी भी आपत्ति के लिए अखबारों में विज्ञप्ति जारी की गई थी। आपत्ति दर्ज करवाने के लिए समय भी दिया गया था। इस पर पीड़ित किसान विकास ने कहा कि उनकी तरफ से उस समय आपत्ति दर्ज कराई गई थी। परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां स्पष्टीकरण के दौरान निर्माणाधीन सड़क ले आउट प्लान से बाहर पाई गई है। इस पर एसडीएम बिजेंद्र सिंह ने इंजीनियर को यहां सड़क निर्माण के कार्य को रोकने के निर्देश दिए हैं। पीड़ित किसानों ने आज प्रशासन के साथ हुई वार्ता को विफल बताया है। साथ ही न्याय की माँग की है।