सीकर : भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने विपक्ष द्वारा लाए राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है। घनश्याम तिवाड़ी ने कहा- विपक्ष द्वारा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का कदम पूरी तरह से लोकतांत्रिक परम्पराओं और संवैधानिक मानदंडों का दुरुपयोग है।
सदन की गरिमा पर हमला
तिवाड़ी ने कहा- यह प्रस्ताव न केवल अनावश्यक और आधारहीन है, बल्कि यह सदन की गरिमा और निष्पक्षता पर हमला है। घनश्याम तिवाड़ी ने बताया- सभापति ने हमेशा राज्यसभा की कार्यवाही को संविधान के अनुसार, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संचालित किया है।
विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और राजनीतिक प्रेरित हैं। भारतीय जनता पार्टी हमेशा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संसदीय परम्पराओं का सम्मान करती है।सभापति के खिलाफ इस तरह का कदम राज्यसभा जैसी गरिमामयी संस्था की प्रतिष्ठा को कमजोर करने का प्रयास है।
कांग्रेस को धनखड़ का पद हजम नहीं हो रहा
घनश्याम तिवाड़ी ने कहा वीडियो जारी कर कहा- कांग्रेस पार्टी जानते हुए भी की उनके प्रस्ताव की दुर्गति होनी है, उसके बाद भी वे सदन का समय खराब कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए को दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत हासिल है। कांग्रेस ने केवल इस कारण जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया कि वे किसान परिवार (जाट) से हैं और इस पद पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हैं। कांग्रेस को यह बात हजम नहीं हो रही।
तिवाड़ी ने कहा- कांग्रेस पार्टी ने चौधरी चरण सिंह को कभी भारत रत्न नहीं दिया और न ही उनको प्रधानमंत्री बनने के बाद लोकसभा में आने दिया। इसी प्रकार कांग्रेस ने राजस्थान में जाट समाज (किसान) के विभिन्न नेताओं को अपमानित करने का काम किया, इनमें परसराम मदेरणा और नाथूराम मिर्धा जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं। इसी क्रम में जगदीप धनखड़ भी हैं जो राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के झुंझूनूं जिले के किठाना गांव के सामान्य किसान परिवार में जन्मे हैं।
उनके चैम्बर के कई वकील जज बने
तिवाड़ी ने कहा- धनखड़ ने अपनी योग्यता की छाप सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में वकालत के माध्यम से जमाई। धनखड़ के चैंबर के बहुत से वकील वर्तमान में कई उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश बन गए हैं। तिवाड़ी ने बताया कि जिस समय उन्होंने पश्चिम बंगाल राज्य के राज्यपाल का पद ग्रहण किया उस समय वे देश के वकीलों में सबसे अधिक आय प्राप्त करने वाले वकीलों में से एक थे, परंतु उन्होंने लोकतंत्र में धन का महत्व न समझ कर राज्यपाल का पद स्वीकार किया। उसी योग्यता के आधार पर भारत के दूसरे सर्वोच्च पद पर उन्हें चुना गया।
घनश्याम तिवाड़ी कहा- कांग्रेस पार्टी और विपक्ष का भारत विरोधी जार्ज सोर्स से संबंध उजागर होने पर खिसियानी बिल्ली के खंभा नोचने जैसा कृत्य है। यह प्रस्ताव विपक्ष की हताशा और नकारात्मक राजनीति को दर्शाता है। संसदीय सत्र में रचनात्मक बहस और चर्चा की बजाय विपक्ष केवल अवरोध पैदा करने और सदन की कार्यवाही को बाधित करने का प्रयास कर रहा है।
जब देश कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय की ओर देख रहा है, विपक्ष का यह कदम जनता के हितों के खिलाफ है। यह समय राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने का है, न कि राजनीतिक लाभ के लिए संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने का।