पुष्कर : इंटरनेशनल पुष्कर फेयर में मोहाली (पंजाब) से आए घोड़े की 11 करोड़ की बोली लगी है। दावा है कि ये देश का सबसे ऊंचा घोड़ा है। इस घोड़े का नाम ‘कर्मदेव’ है। इसके पिता द्रोणा और दादा शानदार व परदादा आलीशान है।
घोड़ों में मारवाड़ी नस्ल की अपनी अलग ही पहचान है। ताकत, रफ्तार, सुन्दरता और कद काठी का हर कोई दीवाना है। इसके बावजूद पुष्कर मेले में आया ‘कर्मदेव’ चर्चा का विषय बना हुआ है।
11 करोड़ की लगी बोली
मोहाली से आए घोड़ा विक्रेता गुरु प्रताप सिंह गिल ने बताया- उनके वीर स्टड फार्म में 82 घोडे़ है। यहां पुष्कर मेले में वे 30 घोडे़ लेकर आए है। कर्मवीर के अलावा महंगे घोड़ों में ब्रह्मदेव भी है। जिसकी 11 करोड़ कीमत पिछले साल लग चुकी। इसकी हाइट 70 इंच है और पंचकल्याणक है। कर्मवीर व ब्रह़मदेव दोनों की कीमत 11-11 करोड़ लग चुकी है लेकिन वे इसे बेचना नहीं चाहते। जब ढाई साल के थे तो दोनों ही जोधपुर का रंसी शो जीत चुके है।
72 इंच ऑन स्केल, अभी डेढ़ साल बाकी गिल ने बताया-कर्मदेव के पिता द्रोणा है। दादा शानदार दादा और आलीशान पड़दादा है। इसकी ऊंचाई 72 इंच है। उम्र 4 साल तीन महीने है। अभी डेढ़ साल बाकी है और एक इंच और ग्रो कर जाएगा।
बैलेंस डाइट बॉयल करके देते
गिल ने बताया- इन घोड़ों को बैलेंस डाइट और वो भी बॉयल करके देते है। खान पान व रखरखाव का पूरा ध्यान रखते है। आम दिनों में इसे चने की चूरी, जौ का दलिया, चापड़, विटामिन, कैल्शियम, ब्रूटोन, मूंगफली के पत्ते, ज्वार की कुट्टी, बाजरे की कुट्टी खिलाई जाती है। इसके अलावा सर्दी में तिल का कुट्टा, अलसी, तारामीरा, पंजाब का दाना जई और बाजरा भी खिलाया जाता है। साथ ही इनकी देखभाल के लिए हर समय आदमी रहता है।
हॉर्स स्पेशलिस्ट ने बताई मारवाड़ी नस्ल की खासियत
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक व हॉर्स स्पेशलिस्ट डॉ. नवीन परिहार ने बताया-मारवाड़ी नस्ल के घोडे़ है, वो मालानी के नाम से जाने जाते थे। मालानी एक क्षेत्र है जो बाड़मेर, जालोर, पाली व सिरोही का पार्ट है। वहां की मिट्टी अरब कंट्री से मिलती जुलती है।
जब इन क्षेत्रों में आक्रमणकारी आए और यहां के घोड़ों को देखा तो पाया कि घोडे़ बहुत छोटे थे। ऐसे में वहां से घोडे़ लाकर अपग्रेडिंग की। बाद में इसे नाम देने पर चर्चा हुई और इसका मारवाड़ी नाम दिया गया। इनकी औसत हाइट 60 से 62 इंच मानी गई।
इन घोड़ों की खासियत यह होती है कि यह बुहत सुन्दर होते है और इनमें ताकत भी भरपूर होती है। रफ्तार भी तेज है। इनके कान बहुत सुन्दर व बिच्छू के डंक की तरह होते है। यह माइनस 8 डिग्री व 48 डिग्री यानि की रेगिस्तान से लेकर पहाड़ी तक में आसानी से सफर कर सकते हैं।
साथ ही इन घोड़ों में बीमारी से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा होती है। मौसम बदलाव का भी इन पर ज्यादा असर नहीं होता। यही वजह है कि ये कई विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को ढाल लेते हैं।
अब तक 10 करोड़ से अधिक का कारोबार
पुष्कर के सालाना पशु मेले में पशुओं की खरीद-फरोख्त जारी है। अब तक पशुओं की खरीद-फरोख्त से मेले में 10.33 करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ है। मेला अधिकारी डॉ. सुनील घीया ने बताया कि मेले में विभिन्न प्रजाति के कुल 8 हजार 366 पशुओं की आवक दर्ज की गई। इनमें से अब तक 289 ऊंट तथा अश्व वंश के 826 पशुओं का क्रय-विक्रय हुआ। इससे पशुपालकों के बीच 10 करोड़ 33 लाख 18 हजार 625 रुपए का लेनदेन हुआ।