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स्थान ही प्रधान होता है ।


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स्थान ही प्रधान होता है ।

स्थान ही प्रधान होता है ।

भगवान शंकर की शादी में भगवान विष्णु भी अपने वाहन गरूण जी पर बैठकर गये ।‌ दूल्हे राजा बने भगवान शिव के गले में शेषनाग जो गरूण जी को देखकर फुफकारे मार रहा था । तब गरूण जी ने कहा कि हे नाग देवता इस समय आप भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ा रहे हैं और भगवान शिव दूल्हे राजा बने हुए हैं स्थान प्रधान है इसलिए फुफकारे मार कर इतरा रहे हो । यदि स्थान की प्रधानता न होती तो राम मंदिर की लड़ाई दशकों तक कैसे चली । कहीं दूसरे स्थान पर भी राम मंदिर का निर्माण हो सकता था ।

स्थान की प्रधानता राव सूरजमल की छतरी को लेकर भी है । विदित हो कोटा में एयरपोर्ट बनने को लेकर ऐतिहासिक महत्व की राव सूरजमल की छतरी को तोड़ दिया गया । जैसा कि भाजपा नेता कहते रहे हैं कि इतिहास को दुबारा लिखा जाना चाहिए । क्या इस तरह की ऐतिहासिक धरोहरों को विध्वंस कर नया इतिहास लिखने की तरफ कदम तो नहीं बढा दिये है । किसी भी समाधि या छतरी का निर्माण के पीछे धार्मिक मान्यताए भी होती है । शायद उन सनातन धर्म की मान्यताओं का भाजपा के नेताओं को भान नहीं जो छतरी दूसरे स्थान पर बनाने की बात कर रहे हैं । क्या नई छतरी के निर्माण के साथ आमजन की भावनाओं का जुड़ाव हो पायेगा जो आत्मीय संबंध व लगाव इस ऐतिहासिक छतरी से था ? ऐतिहासिक तथ्यों से यह छतरी करीब 600 वर्ष पुरानी है ।

इस छतरी को विध्वंस करने से एक विशेष जाति की भावनाए आहत हुई हैं । क्या उन भावनाओं के मूल्य इस छतरी को दूसरी जगह बनाने से उन लोगो के दिलों मे पुनः स्थापित किया जा सकता है ? किसी अधिकारी के निलंबन व मामले की लीपापोती क्या उन आहत भावनाओं पर मरहम लगा पायेगी ? ऐतिहासिक धरोहरों को किसी भी कीमत पर बचाया जाना चाहिए । विदित हो झुंझुनूं जिले में भी पुरातत्व विभाग की धरोहर पुरानी हवेलियो को खुर्द-बुर्द करने के मामले प्रकाश में आ रहे है । सरकार को चाहिए कि राजनीति से उपर उठकर ऐसे मामलों पर लगाम लगाए व ऐतिहासिक इमारतों व पुरातत्व विभाग की धरोहर को बचाने के लिए अपनी इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करें ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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