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पूर्व कैबिनेट मंत्री काका सुंदरलाल का निधन:92 की उम्र में जयपुर के SMS अस्पताल में ली आखिरी सांस ली; लंबे समय से थे बीमार


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पूर्व कैबिनेट मंत्री काका सुंदरलाल का निधन:92 की उम्र में जयपुर के SMS अस्पताल में ली आखिरी सांस ली; लंबे समय से थे बीमार

पूर्व मंत्री सुंदरलाल ‘काका’ का निधन:सरकार बनाने के लिए भैरोसिंह शेखावत हेलिकॉप्टर से लेने गए थे, भाजपा ने बेटे का टिकट काटा तो रोने लगे थे

सूरजगढ़ : भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुंदरलाल का 91 साल की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वे 5 सितंबर से जयपुर के SMS हॉस्पिटल में भर्ती थे, जहां शुक्रवार रात 2:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। लोग उन्हें ‘काका’ कहकर बुलाते थे। इससे पहले फेफड़ों में इंफेक्शन और सांस लेने में तकलीफ के कारण उन्हें 23 अगस्त को भी SMS अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इसके कुछ दिन बाद उन्हें छुट्‌टी दे दी गई थी। जयपुर में अपने घर पर 22 अगस्त को उन्होंने अपना 92वां जन्मदिन मनाया था।

सुंदरलाल सात बार विधायक रहे। 1972 में पहली बार कांग्रेस के टिकट से झुंझुनूं जिले की सूरजगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने। इसके बाद कभी निर्दलीय तो कभी कांग्रेस से विधानसभा में पहुंचे। बाद में भाजपा में शामिल हो गए। 2003 में भाजपा के टिकट से जीते। वे 2018 तक भाजपा से विधायक रहे। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इनके बेटे को टिकट नहीं दिया तो रोने लगे थे। बाद में बेटे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।

सुंदरलाल अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए हैं। उनके 6 बेटे और 2 बेटियां हैं।
सुंदरलाल अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए हैं। उनके 6 बेटे और 2 बेटियां हैं।

सुंदरलाल राजनीति में अपने करीब 60 साल के करियर में हमेशा अपनी बात को बेबाक तरीके से कहने और ठेठ देसी अंदाज के लिए जाने गए। इसी कारण लोग उन्हें काका कहते थे।

पंच से शुरू किया राजनीतिक सफर

सुंदरलाल काका का जन्म 22 अगस्त 1933 को झुंझुनूं जिले की बुहाना तहसील के कलवा गांव में हुआ था। बेहद साधारण परिवार में जन्मे सुंदरलाल के पिता झूंथाराम खेती करते थे। 1964 में उन्होंने पंचायत समिति सदस्य के चुनाव से राजनीति की शुरुआत की। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद वे सात बार विधायक रहे और राज्य सरकार में मंत्री भी बने।

उन्होंने कुल 10 बार विधानसभा चुनाव लड़ा, जिनमें से तीन बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वे पांच बार सूरजगढ़ और दो बार पिलानी सीट से विधायक चुने गए।

सुंदरलाल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भी करीबी थे। यही कारण रहा कि वसुंधरा सरकार के दोनों कार्यकाल में वे अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बनाए गए और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया।
सुंदरलाल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भी करीबी थे। यही कारण रहा कि वसुंधरा सरकार के दोनों कार्यकाल में वे अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बनाए गए और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया।

यह भी एक संयोग रहा कि 1977 और 1990 में जब सुंदरलाल चुनाव हारे, तब दोनों ही बार राज्य सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। दोबारा चुनाव होने पर सुंदरलाल फिर से विधायक बन गए।

1998 में भैरोंसिंह शेखावत सरकार में ऊर्जा और मोटर गैराज विभाग में राज्य मंत्री रहे। उन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया गया था। 2007 और 2015 में अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बने।

तस्वीर 2005 में सुंदरलाल के बेटे विनोद की शादी की है। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी इस शादी में शामिल हुई थीं।
तस्वीर 2005 में सुंदरलाल के बेटे विनोद की शादी की है। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी इस शादी में शामिल हुई थीं।

नेपाल में काटते थे लकड़ियां

राजनीति में आने से पहले सुंदरलाल का जीवन काफी संघर्षमय रहा। आजीविका के लिए वे नेपाल में लकड़ी काटने का काम करने गए थे, जहां उन्हें डेढ़ रुपया रोज की मजदूरी मिलती थी।

सुंदरलाल कई बार इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि एक बार वहां उन्होंने किसी कार्यक्रम में एक भजन सुनाया, जिसके लिए उन्हें 300 रुपए मिले। मजदूरी से महीने के 45 रुपए मिलते थे। भजन गाने पर 300 रुपए मिले। हालांकि बाद में काका गांव लौट आए।

पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व सीएम भैरोंसिंह शेखावत से सुंदरलाल के संबंध बहुत गहरे थे। उन्होंने शेखावत की सरकार बनवाने में मदद की थी।
पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व सीएम भैरोंसिंह शेखावत से सुंदरलाल के संबंध बहुत गहरे थे। उन्होंने शेखावत की सरकार बनवाने में मदद की थी।

भैरोंसिंह शेखावत को समर्थन देकर सरकार बनवाई

1993 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आई थी, लेकिन स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था। पार्टी का नेतृत्व भैरोंसिंह शेखावत कर रहे थे। सरकार बनाने के लिए एक-एक वोट कीमती था। भैरोंसिंह शेखावत ने चुनाव परिणाम आने के बाद काका को फोन किया। कहा- लेने के लिए आ जाता हूं, मेरे साथ चलोगे?

सुंदरलाल ने कहा- आ जाओ। तब भैरोंसिंह हेलिकॉप्टर से सुंदरलाल को लेने आए थे। सुंदरलाल भैंरोसिंह शेखावत के साथ जयपुर पहुंचे और उनको अपना समर्थन दिया। बाद में शेखावत के कहने पर ही सुंदरलाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। शेखावत ने ही सुंदरलाल को 1998 में पहली बार मंत्री बनाया। उन्हें ऊर्जा और मोटर गैराज राज्य मंत्री का जिम्मा दिया था।

7 बार विधायक रहे थे

काका सुंदरलाल का जन्म 22 अगस्त 1933 को झुंझुनूं जिले के बुहाना तहसील के कलवा गांव में हुआ था। पूर्व कैबिनेट मंत्री सुंदरलाल ने 22 अगस्त को ही अपना 92वां जन्मदिवस मनाया था। सुंदरलाल 5 बार सूरजगढ़ विधानसभा व 2 बार पिलानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। वे 2 बार कैबिनेट मंत्री, 1 बार राज्य मंत्री व एक बार संसदीय सचिव भी रहे थे। काका सुंदरलाल ने सूरजगढ़ से कांग्रेस की टिकट पर 1972 में पहला चुनाव लड़ा था और पहली बार सूरजगढ़ से विधायक बने थे।

शेखावाटी के दिग्गज नेताओं में थे शुमार

शेखावाटी में काका सुंदरलाल जनाधार वाले नेता माने जाते हैं। वे क्षेत्र के अकेले ऐसे नेता हैं जो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों से विधायक रहे हैं। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले झुंझुनूं जिले में कमल खिलाने का श्रेय काका सुंदरलाल को ही जाता है। वर्ष 2018 के बाद उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया था। इसके बाद उनके पुत्र कैलाश मेघावल को चुनाव मैदान में उतारा गया। लेकिन उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी को बुलंद किया

काका सुंदरलाल की ख्याति थी उनकी खांटी शैली। अपनी हाजिर जवाबी के चलते प्रसिद्ध रहे, जब बीजेपी के पास दलित नेतृत्व का अभाव था, तब शेखावाटी में दलित वर्ग में बीजेपी की पैठ बनाई। मेघवाल बिरादरी को बीजेपी से जोड़ने का काम किया, हार्डकोर कांग्रेस लैंड पर बीजेपी का झंडा फहराने में भूमिका निभाई।

बेटे को टिकट नहीं मिला तो रोने लगे थे

काका हमेशा अपनी बेबाकी के लिए जाने गए और क्षेत्र के साथ ही पार्टी में उनकी खासी पकड़ थी। 2003 के बाद से वे लगातार भाजपा से जुड़े रहे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में ऐसा भी वक्त आया, जब बेटे को टिकट नहीं मिलने के कारण वे रो पड़े और भाजपा से बगावत की।

2023 में विधानसभा चुनाव में बेटे कैलाश मेघवाल को टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया, तब समर्थकों की मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें वे भावुक हो गए थे
2023 में विधानसभा चुनाव में बेटे कैलाश मेघवाल को टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया, तब समर्थकों की मीटिंग बुलाई गई थी, जिसमें वे भावुक हो गए थे

दरअसल, 2018 में अपनी उम्र को देखते हुए सुंदरलाल ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया, लेकिन इसके बदले पार्टी से अपने बेटे कैलाश मेघवाल के लिए टिकट मांग लिया।

पार्टी ने भी उनके कहने पर यह टिकट कैलाश मेघवाल को दे दिया, लेकिन वे हार गए। 2023 में पार्टी ने यहां से राजेश दहिया को टिकट दिया। जिस पर काका काफी नाराज हो गए थे। एक प्रेसवार्ता के दौरान उनकी आंखों से आंसू भी निकल आए थे। इसके बाद उनके बेटे कैलाश मेघवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। हालांकि वे हार गए।

साक्षर थे, लेकिन आरएएस, आईएएस को हराया

सुंदरलाल जमीन से जुड़े नेता थे। उनका देसी अंदाज लोगों को खूब भाता था। यही कारण है कि सात बार अच्छी खासी जीत के साथ विधायक बने। खास बात ये है कि सुंदरलाल केवल साक्षर थे। इसके बावजूद लगातार तीन चुनाव में उन्होंने आरएएस से लेकर आईएएस तक को हराया।

2003 के चुनाव में उन्होंने सूरजगढ़ से चुनाव लड़ा। उनके सामने दूसरे नंबर पर निर्दलीय बाबूलाल खांडा रहे थे, जो जिला कोषाधिकारी के पद से वीआरएस लेकर चुनाव लड़े थे। 2008 में काका ने पिलानी से चुनाव लड़ा, तब उनके सामने कांग्रेस के हनुमान प्रसाद थे, जो रिटायर्ड आईएएस और राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष थे।

इस चुनाव में भी काका ही जीते। इसी प्रकार 2013 के चुनाव में काका के सामने कांग्रेस के जेपी चंदेलिया थे, जो रिटायर्ड आईएएस थे। काका की पकड़ के सामने चंदेलिया को हारना पड़ा।

जब बिना पास कटारिया को ले गए फिल्म दिखाने

सुंदरलाल अक्सर पूर्व गृह मंत्री (वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल) गुलाब चंद कटारिया से जुड़ा एक किस्सा सुनाते थे। बात तब की है जब वसुंधरा राजे प्रदेश की मुख्यमंत्री थी। 2004 में अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘खाकी’ रिलीज हुई थी। जयपुर के प्रसिद्ध राजमंदिर सिनेमा हॉल में सभी मंत्रियों और विधायकों के लिए फिल्म का पूरा शो बुक किया गया था।

सुंदरलाल जब मूवी देखने सिनेमा हॉल पहुंचे, तब तत्कालीन गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया उन्हें गेट पर मिले। सुंदरलाल ने उनसे वहां बाहर खड़े होने का कारण पूछा। तब कटारिया ने बताया कि वे अपना मूवी पास घर भूल आए हैं और बिना पास के अंदर जाना उन्हें उचित नहीं लग रहा।

सुंदरलाल ने उनसे कहा कि आप प्रदेश के गृह मंत्री हैं, आपको कौन रोक सकता है। बहुत आग्रह कर वे कटारिया को अपने साथ अंदर लेकर गए। गेट पर मौजूद कर्मचारी ने पास के लिए रोका। तब कटारिया वहीं ठिठक गए।सुंदरलाल ने गेट कीपर को डपटते हुए बताया कि आज का पूरा शो राजस्थान की सरकार के लिए बुक है। आप सरकार के गृह मंत्री हैं और मैं विधायक हूं।

इसके बाद वे जब अंदर जाने लगे, तभी वहां खड़े अन्य मंत्रियों और विधायकों के निजी सचिव, सिक्योरिटी स्टाफ और ड्राइवर्स ने सुंदरलाल को आवाज लगा कर बताया कि वे भी फिल्म देखना चाहते हैं।

सुंदरलाल ने फौरन वहां खड़े सभी मंत्रियों और विधायकों के स्टाफ को भी फिल्म दिखाने के लिए अंदर ले जाने की व्यवस्था की। कटारिया ने फिल्म शुरू होने के बाद काका से कहा कि आज फिल्म आप ही की वजह से देख पाया हूं, नहीं तो मैं वापस जा रहा था।

सुंदरलाल को राजस्थानी गीत खास तौर पर रागिनी गाने का शौक था। वे अक्सर सार्वजनिक रूप से रागिनी गाते थे।
सुंदरलाल को राजस्थानी गीत खास तौर पर रागिनी गाने का शौक था। वे अक्सर सार्वजनिक रूप से रागिनी गाते थे।

जनता की सुनते थे

2003 में पिलानी विधानसभा क्षेत्र के हमीनपुर गांव के कुछ लोग सुंदरलाल से मिले। सुंदरलाल तब सूरजगढ़ से विधायक थे। ग्रामीणों ने उनको बताया कि पिछले 10 साल से गांव के 50 लोग बिजली विभाग के एक मुकदमे में फंसे हुए हैं और तमाम प्रयासों के बावजूद इससे निकल नहीं पा रहे।

सभी 10 साल से कोर्ट की तारीखों पर जा रहे हैं, पर मुकदमा खत्म होता नजर नहीं आ रहा। ग्रामीणों की परेशानी को समझते हुए सुंदरलाल पहुंचे और विभाग के मंत्री और अधिकारियों से मिल कर मुकदमों का निस्तारण करवाया।

प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पिलानी व सूरजगढ़ से विधायक रहे सुंदरलाल काका जी के निधन पर प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा, जिला कलेक्टर रामावतार मीणा, पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किए। इस दौरान मंत्री गोदारा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा भेजा गया शोक संदेश भी पढ़कर सुनाते हुए संवेदनाएं व्यक्त की। इस दौरान सांसद बृजेंद्र सिंह ओला, पिलानी विधायक पितराम सिंह काला ने भी पुष्प चक्र अर्पित किए।

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