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गणेश जी के हर अंग की पूजा करें


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गणेश जी के हर अंग की पूजा करें

गणेश जी के हर अंग की पूजा करें

लेखक : रामचंद्र तुलसीयान

गणेश जी को रिद्धि सिद्धि और बुद्धि का दाता भी कह कर पुकारा जाता है, गणेश जी सभी दुखों को दूर कर सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं, गणपति जी के कानों में वैदिक ज्ञान, सुड़ में धर्म, दाएं हाथ में वरदान, बाएं हाथ में अन्न, पेट में सुख समृद्धि, नेत्रों से लक्ष्य, नाभि से ब्रह्मांड, चरणों में सप्तलोक और मस्तिष्क में ब्रह्मलोक होता है, जो जातक शुद तन और मन से उनके इन अंगों को दर्शन करता है, उसकी विद्या, धन, संतान और स्वास्थ्य से संबंधित सभी इच्छाएं पूरी होती है, इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली अड़चनो और संकटों से छुटकारा मिलता है।

पूजा में इन चीजों को जरूर करें शामिल
इस बार गणेश उत्सव 7 सितंबर से शुरू हो रहा है और इसका समापन 17 सितंबर अनंत चतुर्थी को होगा इन दिनों भगवान गणेश जी को उनकी मनपसंद चीजों का भोग लगाया जाता है, जिससे बप्पा प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं, इसके अलावा गणेश जी को भव्य रूप से सजाकर स्थापित करते हैं और फिर उनकी पूरी विधि विधान से पूजा की जाती है ऐसे में गणेश पूजा के दौरान पूजा की थाली में कई चीजे शामिल की जाती है,

थाली में शामिल की जाने वाली यह सामग्री अलग-अलग बातों को प्रतीक है अगर यह जरूरी चीज भगवान गणेश जी को अर्पित न की जाए तो उनकी पूजा अधूरी रह जाती है।

  • सारे देवताओं में प्रथम पूज्य देवता माने जाने वाले भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए दुब जरुर चढ़ाएं, पूजन के दौरान थाली में दुब की 3 से 5 गांठें चढ़ाना अनिवार्य माना जाता है, ऐसा करने से बप्पा बेहद प्रसन्न होते हैं और घर में धन की वर्षा होती है।
  • भगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डू बेहद पसंद है, तो गणेश पूजा में सफल बनाने के लिए बूंदी के लड्डू का भोग जरूर लगाए, इससे भक्तों की हरि इच्छा पूरी होती है।
  • मोदक गणपति जी का प्रिय भोग माना जाता है, यही वजह है कि गणेश पूजा के लिए बप्पा को मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है, ध्यान रहे इसका भोग लगाने से बप्पा शीघ्र प्रसन्न होंगे।
  • बप्पा को कच्ची हल्दी जरूर अर्पण करें, बाद में इस हल्दी को घर की तिजोरी में रख दे, इससे पूजा सफल होती है।
  • पुरानो के अनुसार भगवान गणेश ने अपने बाल्यावस्था में सिंदूर नाम के एक राक्षस का सहार किया था और उसका वध करने के बाद असुर के खून को अपने शरीर पर लगा लिया, जिसके कारण उनकी पूजा के समय सिंदूर चढ़ाना जरूरी माना जाता है, वही सिंदूर मंगल का प्रतीक भी माना जाता है।

लेखक : रामचंद्र तुलसीयान

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