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कोरोना के बाद पर्यटकों का शेखावाटी के प्रति रुझान बढ़ा, हर साल आ रहे दो लाख से ज्यादा, सालाना 25 फीसदी बढ़ रहे


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कोरोना के बाद पर्यटकों का शेखावाटी के प्रति रुझान बढ़ा, हर साल आ रहे दो लाख से ज्यादा, सालाना 25 फीसदी बढ़ रहे

कोरोना के बाद पर्यटकों का शेखावाटी के प्रति रुझान बढ़ा, हर साल आ रहे दो लाख से ज्यादा, सालाना 25 फीसदी बढ़ रहे

सीकर : सीकर शेखावाटी के पर्यटन स्थल देसी सहित विदेशी सैलानियों को भी रास आ रहे हैं। यही वजह है कि यहां की धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहरों को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या में तीन साल से लगातार बढ़ोतरी हो रही है। टूरिज्म डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार जिले में अगस्त तक 447122 पर्यटक पहुंच चुके हैं। इनमें से 419 विदेशी पर्यटक हैं। विदेशी सैलानियों को सबसे ज्यादा रास खंडेला की प्राचीन छतरी, धोद का दीपपुरा किला, पाटन महल व रामगढ़-फतेहपुर की प्राचीन हवेलियां आ रही हैं।

2020 में कोरोना के कारण पर्यटन काफी कम हो गया था। 2020 में जिले में 57693 पर्यटक पहुंचे। 2021 में ये आंकड़ा 166570 हो गया। 2022 में 461003 व 2023 में 679616 सैलानी सीकर में घूमने आए। अब अगस्त तक ही चार लाख से ज्य़ादा सैलानी सीकर पहुंच चुके हैं। विभाग के अनुसार इस साल ये आंकड़ा पिछले साल से ज्यादा होने की संभावना है। विदेशी सैलानियों का रुझान भी सीकर की तरफ लगातार बढ़ रहा है। 2021 में 16 ही विदेशी सैलानी सीकर आए थे। 2022 में इनकी संख्या 59 व 2023 में 320 रही थी। 2024 में अगस्त तक ही 419 विदेशी पर्यटक सीकर पहुंच चुके हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार कोरोना के बाद पर्यटन उद्योग को वापस पटरी पर लाने के लिए पर्यटन विभाग ने 2022 में ट्रेवल ब्लॉगर्स से शेखावाटी क्षेत्र के पर्यटन स्थलों के प्रचार-प्रसार के लिए अभियान चलाया था। इसके बाद से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिला।

ये हैं शेखावाटी के प्रमुख आकर्षण जो पर्यटकों की पहली पसंद बने हुए हैं

धोद का दीपपुरा किला : इस किले का निर्माता खवास मुकंद को माना गया है। हालांकि इतिहास इसे लेकर मौन है। किले के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही सामने एक बड़ा हॉल नजर आता है। हॉल के बाहर चद्दर लगाकर बरामदा बनाया गया है, जिसे देखकर लगता है कि ये आगंतुकों के स्वागत के लिए बना है। इस हॉल के ऊपर एक और हॉल बना, जिसे शीश महल कहा जाता है। यहां राजाओं की महफिलें सजती और नर्तकियां नृत्य करती थी। मुख्य दरवाजे के पास से ही अन्दर की ओर एक और रास्ता है। उसमें जाते ही घोड़ों की घुड़साल नजर आती है। इसके आकर्षण को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।

खंडेला की छतरियां : खंडेला शेखावाटी का सबसे प्राचीन कस्बा है। यहां बनी छतरियां व बावड़ी करीब 200 साल पुरानी है। खास बात ये है कि यहां 27 छतरियों का एक साथ कलेवर राजस्थान में एक मात्र है। इन कलाकृति को देखने के लिए पर्यटक खंडेला आते हैं। दूसरा खंडेला में ही खंडेलवाल वैश्य का उत्पति स्थल है। यहां देशभर में पहला खंडेलवाल धाम विकसित किया गया। इसमें एक साथ 37 कुलदेवियों के मंदिर भी दर्शनीय स्थल हैं।

रामगढ़ की हवेलियां : रामगढ़ सेठान कस्बा सन 1791 में सेठ चतुर्भुज पोद्दार ने बसाया था। ये कस्बा उन्नीसवीं शताब्दी का भारत के सबसे अमीर नगरों में माना गया था। इसकी भव्य हवेलियां छतरियां और मंदिर भारत की प्राचीन कला और वास्तुशास्त्र का अद्भुत उदाहरण हैं। रामगढ़ सेठान की छतरियां भारत की सबसे बड़ी ऑपन एयर आर्ट गैलेरी है। इसमें रामायण और राधा-कृष्ण की कलाकृतियां बनी हुई हैं। इन्हें देखने के लिए हर साल हजारों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं।

पाटन महल : पाटन महल सीकर-दिल्ली हाइवे पर स्थित है। इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। इसे बादल महल के नाम से भी जाना जाता है। ये समुद्र तल से 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। राव दिग्विजय सिंह ने पहाड़ियों की तलहटी में पाटन महल का निर्माण करवाया था। पाटन महल एक विरासत होटल है। महल में 11 कमरे हैं, जिनकी कलाकृति देखने योग्य है।

ये शुभ संकेत है कि तीन साल में सीकर सहित शेखावाटी के धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों की तरह देशी-विदेशी सैलानियों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। इसकी वजह ये है टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया है। पर्यटकों के रुझान को देखते हुए जल्द ही खाटूश्यामजी व जीणमाता के धार्मिक स्थलों पर सुविधाओं का विस्तार करवाया जाएगा।

-अनु शर्मा, सहायक निदेशक, पर्यटन विभाग

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