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यह कैसा लोकतंत्र जिसमें मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर आंदोलन करना पड़े


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

यह कैसा लोकतंत्र जिसमें मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर आंदोलन करना पड़े

यह कैसा लोकतंत्र जिसमें मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर आंदोलन करना पड़े

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

किसी भी लोकप्रिय सरकार की शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने का पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता प्राथमिकता होनी चाहिए । लेकिन यह विडंबना ही कहेंगे कि झुंझुनूं जिला इन से वंचित सा नजर आ रहा है । आजादी के सतर साल बाद भी पीने के पानी और शिक्षा को लेकर आंदोलन करना पड़े तो यह केसा अमृतकाल है । जिस देश में पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर सरकारें संवेदनशील नहीं लेकिन बात विश्व गुरू बनने की हो रही है कितनी हास्यास्पद स्थिति है । सूरजगढ़ में राजकीय महाविद्यालय को लेकर आंदोलन हो रहा है । पिलानी जो शिक्षा की नगरी के नाम से विख्यात रही है एक भी सरकारी महाविद्यालय न होना बेहद चिंताजनक स्थिति है । एकमात्र महाविद्यालय एमके साबू पीजी महाविद्यालय को संचालकों ने बंद करने का निर्णय लिया है । जिले के नेताओ को इस बात की चिंता नहीं कि इसको लेकर कोई बात सरकार तक पहुंचाएं । सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का स्लोगन तो जगह जगह चिपका रही है लेकिन इस महाविद्यालय में आसपास की बेटियां पढ़ रही है उनको अन्यत्र कहीं महंगी शिक्षा लेने जाना पड़ेगा तो शायद वे महाविद्यालय से विमुख हो जायेगी। विदित हो प्राइवेट संस्थानों में शिक्षा माफिया हावी है और आम आदमी की पकड़ से दूर है।

यही बात पीने के पानी को लेकर हो रही है । जगह जगह इस समस्या को लेकर धरने प्रदर्शन हो रहे हैं । कहने का मतलब है रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था वाली स्थिति हमारी सरकारों की है । इस मानवीय मुद्दे को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए जैसा कि अभी तक होता आया है । कांग्रेस ने जिले की जनता को यमुना नदी का पानी दिलाने को लेकर सता सुख भोगती रही । अब इस मुद्दे पर राजनीति करने की बारी भाजपा की आ गई है । कागजों के खेल में जनता को बरगलाया जा रहा है जबकि यथार्थ के धरातल पर काम शून्य है। आखिर कुंभाराम लिफ्ट परियोजना को लेकर सरकार का क्या स्टैंड है ? सूरजगढ़ के विधायक श्रवण कुमार के विधानसभा में दिये गये वक्तव्य को देखें तो उन्होंने सीधा आरोप भजनलाल शर्मा सरकार पर कुंभाराम लिफ्ट परियोजना के पानी को लेकर लगाया है। उन्होंने कुंभाराम लिफ्ट परियोजना के पानी को लेकर पिछली सरकार द्वारा किए गये टैंडर निरस्त करने का आरोप लगाया।

संवैधानिक पद पर बैठे राजनेताओं को इन मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर राजनीति करने से बाज आना चाहिए व एक दूसरे पर दोषारोपण करने को लेकर सावधानी बरतनी होगी । इसमें भी संदेह नहीं कि सवाल सता में बैठे नेताओं से ही किए जाते रहे हैं और रहेंगे। इस ज्वलंत मुद्दे को लेकर आयुष अंतिमा हिन्दी समाचार पत्र ने जनता की आवाज बनकर तत्कालीन विधायक जेपी चंदेलिया से भी सवाल किये थे और आज वही सवाल भाजपा सरकार से है कि आखिर शिक्षा , स्वास्थ्य व पीने के पानी की समस्या से निजात कब मिलेगी।

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