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नीट स्टूडेंट के पिता बोले- मेरे बेटे की मौत रहस्य:कहा- मौत 24 से 48 घंटे के बीच हुई, वार्डन ने हाजिरी क्यों नहीं ली, मैं किससे शिकायत करूं


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नीट स्टूडेंट के पिता बोले- मेरे बेटे की मौत रहस्य:कहा- मौत 24 से 48 घंटे के बीच हुई, वार्डन ने हाजिरी क्यों नहीं ली, मैं किससे शिकायत करूं

नीट स्टूडेंट के पिता बोले- मेरे बेटे की मौत रहस्य:कहा- मौत 24 से 48 घंटे के बीच हुई, वार्डन ने हाजिरी क्यों नहीं ली, मैं किससे शिकायत करूं

कोटा : 17 साल के ऋषित ने हॉस्टल के रूम में फंदा लगाकर गुरुवार शाम जान दे दी थी। शनिवार की सुबह स्टूडेंट का परिवार कोटा पहुंचा था। उसके पिता डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने कहा- जब मैं ऋषित के पास था तब वार्डन रोज हाजिरी लेने आते थे। पुलिस कह रही है उसने 24 से 48 घंटे पहले सुसाइड किया, तो वार्डन ने हाजिरी क्यों नहीं ली। रूम में सफाई करने वाला क्यों नहीं आया। उसकी मौत रहस्य है। मैं किससे शिकायत करूं।

पिता ने कहा- अगर शिकायत करूंगा भी तो मुझे क्या फायदा होगा। मेरा बेटा इस दुनिया में नहीं है। मेरा बेटा पढ़ाई में बहुत अच्छा था। मेरा तो एक ही संदेश है। माता-पिता को अपने बच्चों के साथ में रहकर बाहर पढ़ाना चाहिए। बच्चों को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। बच्चा मानसिक रूप से मजबूत हो तभी किसी दूसरे शहर में अकेले छोड़ें। बच्चा मैच्योर नहीं है तो उसके जीवन में भटकाव आ सकता है। किसी भी तरह का निर्णय लेने के लिए वो स्वत्रंत रहता है।

मां मॉर्च्युरी के बाहर खड़ी होकर दूर से ही अपने बेटे का शव देखकर सिसक सिसक कर रोती रही।
मां मॉर्च्युरी के बाहर खड़ी होकर दूर से ही अपने बेटे का शव देखकर सिसक सिसक कर रोती रही।

पिता बोले- उसकी मौत एक रहस्य

पिता पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा- ऋषित की मौत एक रहस्य है और उसी एक साथ चला गया। मुझे खुद को समझ में नहीं आ रहा वो कैसे मरा। उसकी मौत किस कारण से हुई। हमारे प्यार में कोई कमी नहीं थी, ऐसा भी नहीं कि कोई पैसों की कमी हो। फिर उसने ऐसा क्यों किया यह मेरी समझ में नहीं आया।

ऋषित के पिता किसी से शिकायत नहीं करना चाहते। उनका कहना है- बच्चों को बाहर पढ़ाएं तो उनके साथ रहें।
ऋषित के पिता किसी से शिकायत नहीं करना चाहते। उनका कहना है- बच्चों को बाहर पढ़ाएं तो उनके साथ रहें।

कहा- वापस लाने का सोचा था

ऋषित के पिता डॉ. प्रदीप अग्रवाल भागलपुर यूनिवर्सिटी (बिहार) में शैक्षणिक ऑफिसर है। मां आरती अग्रवाल टीचर हैं और बड़ा भाई हर्षित अग्रवाल 2 साल कोटा में रहकर पढ़ाई करने के बाद पटना चला गया।

पिता कहते हैं- 22 जून को बेटे से बात हुई थी। हाल-चाल व पढ़ाई के बारे में साधारण बात हुई थी। वो जिम से आया था और नाश्ता करने जा रहा था। उसने कहा था- बाद में बात करते हैं। उसके बाद उसने मेरा फोन नहीं उठाया ना ही उसकी मां का फोन रिसीव किया। एक उसकी कोचिंग से शिकायत आई थी कि वह आ नहीं रहा है। ऐसे में हम पेरेंट्स ने सोचा भी था कि उसे वापस ले आते हैं। जब उसे वहां रखने का उद्देश्य ही पूरा नहीं हो रहा तो रखने से क्या फायदा। मैं मानता हूं कि पढाई एक शौक है कोई पेशा नहीं है।

पिता का सवाल- वार्डन ने हाजिरी क्यों नहीं ली?

पिछली बार आया था तब भी बेटे (ऋषित) के पास 7 दिन रुक कर गया था। मैंने देखा कि रोज रात में वार्डन आते थे। बच्चे के हाजिरी लेकर जाते थे। पुलिस कह रही है ऋषित ने 24-48 घंटे पहले सुसाइड किया। तो हॉस्टल संचालक ने 26 जून को बच्चों की हाजिरी नहीं ली? अगर 26 को हाजिरी लेते तो उसी दिन पता लग जाता। यहां तक कि रूम की सफाई करने जाते तो भी पता लग जाता।

ये था मामला
ऋषित (17) दादाबाड़ी इलाके के हॉस्टल में रहता था। 12 वीं के साथ साथ नीट की तैयारी कर रहा था। 27 जून की दोपहर डेढ़ बजे तक कमरे से बाहर नहीं निकला था। हॉस्टल स्टाफ ने दरवाजा खटखटाया, आवाज लगाई। ऋषित के जवाब नहीं देने पर पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंचीं। रूम का दरवाजा तोड़ा। ऋषित कमरे में फांसी पर लटका हुआ था। पुलिस के अनुसार ऋषित ने बुधवार 26 जून को फांसी लगाई थी।

 

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