सांस्कृतिक विरासत व राष्ट्र की सेवा का संकल्प
सांस्कृतिक विरासत व राष्ट्र की सेवा का संकल्प

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
झुंझुनूं : यह इतिहास के पन्नों में दर्ज वाक्या है कि 831 ईस्वी में आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने भारत की ही नहीं बल्कि विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय की इमारत को आग के हवाले कर दिया था । इस कुकृत्य से विश्वविद्यालय में रखी करीब तीन लाख से अधिक पुस्तकें व शोध के कागजात जल कर राख हो गये थे । खिलजी यहां तक ही नहीं रूका बल्कि सनातन संस्कृति के धर्माचार्यो को भी मौत के घाट उतार दिया था । खिलजी का मकसद सनातन संस्कृति, ज्ञान और उनके वाहकों को नष्ट करना था । क्योंकि उस आक्रमणकारी को पता था कि सनातन संस्कृति ही भारत की प्रगति व विश्व में धाक का आधार है । इसको नष्ट करके ही भारत को कमजोर किया जा सकता है ।
जिस विश्वविद्यालय को खिलजी ने 1200 साल पहले नष्ट किया उसी विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया । उद्धघाटन के अवसर पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि किताबें जला दिए जाए , ग्रन्थ जल दिए जाए लेकिन ज्ञान ऐसी धरोहर है इसे नहीं जलाया जा सकता है । इस समय जो सनातन संस्कृति पर हमले हो रहे है उनके लिए यह नजीर पेश की है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कि उनके कार्यकाल में यह इरादे धरे के धरे रह जायेंगे । सनातन धर्म पर हमले व खत्म करने की बात खुलेआम हो रही है । ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सनातन संस्कृति की पताका विश्व पटल पर फहराने का काम किया है । जिस तरह से सनातन धर्म व संस्कृति को लेकर उसको नष्ट करने के बयान सुनने को मिल रहे हैं उनके लिए यह सीख है कि 1200 साल के बाद भी उस खंडित सनातन संस्कृति का पुनरुत्थान किया जा सकता है । जिस संस्कृति को मुगल व अंग्रेज शासक ही खत्म नहीं कर पाए तो समझ लेना होगा कि इसकी जड़ें कितनी मजबूत है ।
नरेंद्र मोदी ने जिस परिसर का उद्घाटन किया है उसमे 900 से ज्यादा विधार्थी शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे । इस विश्वविद्यालय में देश के अलावा अनेक देशों के विधार्थी शिक्षा लेने के साथ ही शोधकर्ता भी आते हैं ।
खिलजी ने 1200 साल पहले जिस नष्ट करने की कुचेष्टा की उसको लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल और उनके इरादों को समझ लेना चाहिए कि सनातन संस्कृति पर प्रसार किसी भी सूरत बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । यह उद्धघाटन समारोह नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी का सांस्कृतिक विरासत को बचाने व राष्ट्र की सेवा का संकल्प है ।