डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था बेहाल:शिकायत पर ही कचरा लेने आता है हूपर, गाना भी नहीं बजाता ताकि दूसरों को पता ही नहीं चले
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था बेहाल:शिकायत पर ही कचरा लेने आता है हूपर, गाना भी नहीं बजाता ताकि दूसरों को पता ही नहीं चले

जयपुर : यदि आपने शिकायत दर्ज कराई है तो ही आपके घर पर कचरा लेने हूपर चालक पहुंच रहा है। ऐसी स्थिति के चलते शहर की डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था बेहाल हो गई है। हर रोज तो छोड़िए 8-10 दिन में भी हूपर कचरा लेने नहीं पहुंच रहे हैं।
सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के बाद से स्थिति बदतर हो गई है। पहले 5 दिन हड़ताल के चलते हूपर चालक डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने नहीं आए। सफाई कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हुए भी 7 दिन हो गए फिर भी हूपर घरों से कचरा नहीं उठा रहे हैं। स्थिति यह है शिकायत वाले घर से कचरा लेने हूपर ड्राइवर पहुंच रहा है। इस दौरान वह हूपर का म्यूजिक भी नहीं बजाता है।
केस 1 इस्कॉन मंदिर रोड, धौलाई स्थित अरिहंत नगर निवासी लीना माथुर के बेटे सन्नी ने 8-10 दिन से कचरा नहीं उठाने की शिकायत दर्ज कराई। हूपर ड्राइवर ने उन्हें फोन किया और सिर्फ उनके ही घर से कचरा ले गया। न तो उसने हूपर का म्यूजिक बजाया और न ही आस-पास और कॉलोनी के अन्य घरों से कचरा लिया। जब उन्होंने पूरी कॉलोनी से कचरा ले जाने के लिए कहा तो वह उनकी अनसुनी करके चला गया।
केस 2 जगतपुरा के एयरपोर्ट रोड स्थित नेहा मखानी ने करीब 7 दिन से कचरा कलेक्शन नहीं करने पर नगर निगम शिकायत दर्ज कराई तो हूपर ड्राइवर आया और सिर्फ उनके घर से ही कचरा लिया। ड्राइवर ने म्यूजिक भी नहीं बजाया। जब ड्राइवर से म्यूजिक बजाने और पूरी कॉलोनी से कचरा लेने को कहा तो टाइम नहीं है, यह कह कर चला गया।
कचरा कलेक्शन की गणित
- निगम – ग्रेटर – हूपर – 350, सफाईकर्मी- 2990
- निगम – हेरिटेज – हूपर – 200, सफाईकर्मी- 3500
ठेकेदार फर्म और निगम इन 550 हूपर्स से प्रतिदिन तकरीबन 1350 टन कचरा कलेक्शन का दावा करते हैं, जो हकीकत से परे है। हड़ताल खत्म होने के बाद 7 दिन बाद तक यह कचरा अधिकांश घरों में ही पड़ा है या फिर परेशान जनता ने कचरा कॉलोनियों और मोहल्लों के खाली पड़े प्लाटों में फेंक दिया है।
बदलते रहते हैं ड्राइवर यही नहीं, आए दिन हूपर ड्राइवर बदलते रहते हैं। इससे उन्हें पूरे इलाके की जानकारी नहीं होती। इससे वह कई घरों को छोड़ जाते हैं।