[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

ओह मां! आखिर तेरी मजबूरी क्या रही?:बच्चा बार-बार रोता था, नींद पूरी नहीं होती थी तो मां ने हमेशा के लिए सुला दिया


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
जयपुरटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

ओह मां! आखिर तेरी मजबूरी क्या रही?:बच्चा बार-बार रोता था, नींद पूरी नहीं होती थी तो मां ने हमेशा के लिए सुला दिया

ओह मां! आखिर तेरी मजबूरी क्या रही?:बच्चा बार-बार रोता था, नींद पूरी नहीं होती थी तो मां ने हमेशा के लिए सुला दिया

जयपुर : बच्चा बिलख-बिलख कर रोना तो दूर, आह भी भर दे तो मां का कलेजा फट पड़ता है, लेकिन रामगंज में 15 और 12 साल के दो बेटों की मां अंजुम ने अपने 1 माह 13 दिन के बेटे उजेफ का गला सिर्फ इसलिए ब्लेड से काट डाला, क्योंकि वह बार-बार रोता था। परिवार का कोई दूसरा सदस्य बच्चे को समय नहीं देता था।

रानू शर्मा, एडिशनल डीसीपी, नॉर्थ
रानू शर्मा, एडिशनल डीसीपी, नॉर्थ

बच्चे के रोने पर नींद पूरी नहीं होती। अंजुम चिड़चिड़ी होती गई। उसने बच्चे को ही खत्म कर देने की ठानी और 2 मार्च को सर्जिकल ब्लेड से उसका गला काट डाला। फिर खुद ही चिल्लाने लगी कि कोई घर में घुसा और बच्चे का गला काट गया। अपनी झूठी कहानी में 17 दिन तक पुलिस को उलझाए रही। पुलिस की सुई बार-बार मां अंजुम पर आकर टिकती रही और आखिर बुधवार को उसने गुनाह कबूल कर लिया।

दो वार किए, ब्लेड धोकर सबूत मिटाया, फिर पछतावा हुआ तो 9 दिन अस्पताल में बच्चे के पास रही; अंजुम ने पुलिस को बताया कि उसके पिता गांव में आरएमपी डॉक्टर हैं। उनकी एक सर्जिकल ब्लेड घर में पड़ी थी। उसने दो बार वार कर दिया। ब्लेड को धोकर अलमारी में रख दिया। बाद में पछतावा हुआ तो अस्पताल पहुंची और लगातार 9 दिन बेटे के पास ही रही।

‘कोई बच्चे का गला काट भाग गया… मां के इसी बयान पर शक हुआ कि खून में कटा गला कैसे दिख गया?’

-रानू शर्मा, एडिशनल डीसीपी, नॉर्थ

2 मार्च को ऑफिस में थी। सूचना आई कि रामगंज के एक घर में सो रहे डेढ़ माह के मासूम का गला रेतकर कोई व्यक्ति भाग गया। कुछ देर बाद मौके पर गए एचएसओ उदय यादव से घटना का अपडेट लिया तो उसने मां के बयान बताए कि कोई गला काट कर भाग गया, लेकिन मकान में रहने वाले 35-40 लोगों में से किसी ने हमलावर के आने-जाने-दिखने की पुष्टि नहीं की। उसके बाद डीसीपी मैडम राशि डोगरा डूडी के साथ मैं मौके पर पहुंची। फिर अस्पताल आई। बच्चे को देखा तो उसके गले पर गहरा कट था। हमला तो लग रहा था।

डॉक्टर ने बताया कि 2 बार वार किया गया है। बिलख रही मां से घटना के बारे में 4 घंटे बातचीत की। मां अंजुम का कहना था कि कोई बच्चे का गला काटकर भाग गया। इसके बाद मैंने थाने से स्टाफ से अपडेट लिया। चूंकि मामला बच्चे का था तो मैं जेहनी तौर पर केस से जुड़ चुकी थी। स्टाफ ने बताया कि मकान के इकलौते गेट के पास परिवार की एक महिला बर्तन साफ कर रही थी। उसने भी किसी को आते-जाते नहीं देखा। तय हो चुका था कि हमलावर घर के अंदर वालों में से ही कोई है। अस्पताल से खबर आई कि बच्चे की हालत नाजुक होती जा रही है।

दिनभर में कुछ नहीं निकला। मैं थककर घर पहुंची। यहां भी बच्चों के साथ बैठी तो मन में उजेफ-अंजुम का ख्याल आता रहा। सोचते-सोचते अचानक मां के बयान पर ध्यान गया। ‘कोई बच्चे का गला काटकर भाग गया’। माथा ठनका। अंजुम को कैसे पता कि गला कटा है? जिस हिसाब से घाव है, कुछ सेकंड में सिर्फ खून ही दिखा होगा। गला कटा है, कैसे? उसे कैसे पता? देर रात तक उधेड़बुन फिर दिमाग में आया कि नहीं, नहीं… कोई मां, बच्चे को… क्यों? नहीं नहीं। अगली सुबह फिर दिमाग केस के उसी एंगल पर जा पहुंचा।

मैडम से शंका भी जाहिर की तो उन्होंने बोला कि अरे नहीं, एक मां क्यों करेगी? फिर भी पुलिसिंग पॉइंट ऑफ व्यू के साथ दोनों केस में इसी लाइन पर आगे बढ़े। मां को ऑफिस बुलाया। बातों-बातों में पूछताछ करती रही। 9वें दिन उजेफ की मौत की खबर आई। हमने कुछ दिन पूछताछ रोक दी फिर भी शक की सुई मां की ओर ही थी। मेरे बार-बार अलग-अलग तरीके से पूछताछ करने पर आखिर बुधवार को अंजुम ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। हत्या का कारण बहुत अजीब था। डिलीवरी के बाद की शारीरिक-मानसिक परेशानी महिला ही समझ सकती है। परेशानियां अपनी जगह मगर कानूनी भूल अक्षम्य है। अपराध की कोई माफी नहीं।

ओह मां! आखिर तेरी मजबूरी क्या रही? मेरा कसूर तो बता? मैं बच्चे की तरह बस रोया ही तो था।

Related Articles