ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चढ़ाई गई पीएम मोदी की ओर से भेजी गई चादर
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चढ़ाई गई पीएम मोदी की ओर से भेजी गई चादर

अजमेर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शनिवार को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की बारगाह में मखमली चादर एवं अकीदत के फूल पेश किए गए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीक ने दरगाह शरीफ में आस्ताने पहुंच कर चादर पेश की।
मोदी ने चादर के साथ भेजे अपने संदेश में कहा कि आस्था, अध्यात्म एवं ज्ञान की पावन धरा भारत के संतो, पीरों एवं फकीरों ने अपने जीवन, आदर्शों तथा विचारों से जन-जन को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। लोगों में अमन, शान्ति, सद्भावना एवं भाईचारे का संदेश देते हुए उन्होंने हमारी सांस्कृतिक एकता को सशक्त किया। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने हमारी इस महान परम्परा को और समृद्ध किया। गरीब नवाज के मानवता से जुड़े संदेशों और लोकल्याण की भावना ने दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया है।
पीएम ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं
पीएम मोदी ने अपने संदेश में आगे कहा, भारत निर्माण की बात कहते अमृतकाल में गौरवशाली विरासत पर गर्व करते हुए भव्य एवं विकसित भारत की ओर अग्रसर होने का आवाह्न कि या। उन्होंने वार्षिक उर्स पर चादर पेश करते हुए ख्वाजा साहब को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने देशवासियों को उर्स में शरीक होने की शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई कि राष्ट्र उन्नति की नई ऊंचाइयां को छुएगा। प्रधानमंत्री की चादर खादिम सैय्यद सलमान चिश्ती ने पेश कराई और बुलंद दरवाजे पर संदेश सैयद सलमान चिश्ती ने पढ़ा।
इससे पहले चादर पेश करे बाद जमाल सिद्दिकी ने आस्ताने के बाहर सूफीयाना कलाम (कव्वाली) को सुना तथा मुल्क में अमन, चैन, खुशहाली, भाईचारे, मोहब्बत एवं कौमी एकता के लिए दुआ की।
प्रधानमंत्री की चादर पेश करने के दौरान दिल्ली हज कमेटी की चैयरपर्सन कौशल जहां, राजस्थान अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष हमीद मेवाती, पूर्व अध्यक्ष डा. मजीद कमांडो, पूर्व चेयरमैन अब्दुल अहमद नकवी, अल्पसंख्यक आयोग की पूर्व सदस्य मैडम लिलियन आदि अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे। चादर के साथ इन्दौर, जयपुर, अजमेर के अल्पसंख्यक मोर्चा से जुड़े सदस्य उपस्थित रहे। बुलंद दरवाजे पर दरगाह कमेटी की ओर से प्रधानमंत्री की चादर लेकर आए प्रतिनिधिमंडल का दस्तारबंदी कर इस्तकबाल किया गया।