कैथल : आज आजादी आंदोलन के महान योद्धा शहीद ऊधम सिंह के जन्म दिवस 26 दिसम्बर के अवसर पर जन संघर्ष मंच हरियाणा ने क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को याद किया। राज्य प्रधान कामरेड फूल सिंह के नेतृत्व में जन संघर्ष मंच हरियाणा के कार्यकर्ता स्थानीय ऊधम सिंह पार्क में एकत्रित हुए और पार्क में स्थित शहीद ऊधम सिंह व उनके साथी अन्य शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। माल्यार्पण के बाद संकल्प लिया गया कि सांप्रदायिक भेदभाव का विरोध करने वाले और सच्ची आजादी के पक्षधर शहीद ऊधम सिंह के जीवन से प्रेरणा लेंगे और आज देश में मौजूद सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने वाली काली शक्तियों व मेहनतकश जनता विरोधी ताकतों के खिलाफ संघर्ष करेंगे।
जन संघर्ष मंच हरियाणा के राज्य प्रधान कामरेड फूल सिंह ने शहीद ऊधम सिंह के बलिदान को याद करते हुए कहा कि इस महान शहीद का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को महान शहीदों को जन्म देने वाली धरती पंजाब प्रांत के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में हुआ था। सन 1901 में उधमसिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। उधमसिंह के बचपन का नाम शेर सिंह और उनके भाई का नाम मुक्तासिंह था, जिन्हें अनाथालय में क्रमश: उधमसिंह और साधुसिंह के रूप में नए नाम मिले।अनाथालय में उधमसिंह की जिंदगी चल ही रही थी कि 1917 में उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया। वह पूरी तरह अनाथ हो गए। 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शमिल हो गए। उधमसिंह अनाथ हो गए थे परंतु इसके बावजूद वह विचलित नहीं हुए और देश की आजादी तथा जनरल डायर को मारने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहे।
उन्होंने कहा कि शहीद ऊधम सिंह ने 13 अप्रैल 1919 जलियांवाला बाग में जनविरोधी रौलेट एक्ट के विरोध में की जा रही शातिपूर्ण सभा में बेकसूर निहत्थे देश के लोगों को निर्दयता से गोलियों से भूनने के दोषी जनरल ओ’ डायर को 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक में गोली मारकर बदला लेकर जालिम अंग्रेजों के दिल में दहशत पैदा कर दी थी और फांसी होने से पूर्व अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आजाद रखकर देश वासियों को संदेश दिया था कि वे धर्म के नाम पर जनता को बांटने वाली अंग्रेज परस्त शक्तियों- हिंदू महासभा, आरएसएस, मुस्लिम लीग के झांसे में न आएं और अपना भाईचारा बना कर एक होकर जालिम अंग्रेजों से आजादी पाने के लिए अपना संघर्ष करें। 13 मार्च 1940 जालिम माइकल ओ’डायर को मारने पर ऊधम सिंह पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। उनके आखिरी बयान को लंबे समय तक दबाकर रखा गया। उनका बयान गत शताब्दी के आखिरी दशक में सार्वजनिक हुआ जिससे उनकी सोच का पता चलता है कि वे साम्राज्यवाद के कट्टर दुश्मन थे और मजदूरों के पक्षधर थे। उनका संपर्क गदर पार्टी और शहीद भगत सिंह के संगठन से था।
उन्होंने कहा कि शहीदों की कुर्बानियों को बदौलत अंग्रेजों को तो भारत छोड़कर जाना पड़ा था परंतु शहीद भगत सिंह की शहादत के बाद उनकी इन्कलाबी राह पर चलने वाला क्रांतिकारी संगठन न होने के कारण देश का पूंजीपति वर्ग सत्ता हथिया गया और देश में पूंजीवादी राज कायम हुआ, जिसका परिणाम हमारे सामने है। अंग्रेज परस्त कआली सांप्रदायिक घृणित शक्तियों के मनसूबे पूरे हुए और धर्म के नाम पर देश के दो टुकड़े भारत और पाकिस्तान हो गए उसी सांप्रदायिक नफरत का खामियाजा आजतक दोनों देशों की मेहनतकश जनता को भुगतना पड़ रहा है और दोनों देशों के शासक-शोषक वर्ग आज भी इसकी आड़ में अपने आर्थिक राजनीतिक मनसूबे पूरे कर रहे हैं। मुख्य रूप से आजादी का पूरा फायदा पूंजीपतियों को मिला है और देश में अंबानी, अडानी, टाटा, बिरला आदि मुट्ठी भर बड़े बड़े पूंजीवादी घराने पैदा हो गए हैं और दूसरी तरफ मजदूरों मेहनतकश जनता की संख्या और उनकी कंगाली लगातार बढ़ती जा रही है। वे नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। आजादी के बाद बनी सभी सरकारों ने पूंजीपतियों के हितों को आगे बढ़ाया है। जनता महंगाई बेरोजगारी से पीड़ित है परन्तु जनता का असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए देश के बड़े कारपोरेट घराने अंग्रेजों की तरह ही ‘फूट डालो राज करो’ की नीति का प्रयोग कर रहे हैं।
आज ये घृणित सांप्रदायिक राजनीति में अत्यंत माहिर भाजपा- आर एस एस को सरकार की गद्दी पर बैठा चुके हैं। मौजूदा मोदी सरकार जर्मनी के कुख्यात तानाशाह हिटलर के फासीवादी रास्ते पर चल रही है। यह हर तरह की लोकतांत्रिक आवाज को दबा रही है व जनवादी संस्थाओं को एक एक करके अपने नियंत्रण में लेती जा रही है।यह चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक घृणित हिंदुत्व की राजनीति के नाम पर बहुसंख्यक धर्म के लोगों को उकसाकर अल्पसंख्यक धर्म के लोगों के खिलाफ नफरत व हिंसा को बढ़ावा दे रही है। इसलिए वर्तमान स्थिति में देश की जनता को अपना भाईचारा क़ायम करने के लिए आज शहीद ऊधम सिंह की सांप्रदायिक नफरत विरोधी सोच और शहीद ऊधम सिंह के प्रेरणा स्रोत शहीद भगत सिंह की क्रांतिकारी सोच से प्रेरणा लेकर देश के काले अंग्रेजों, पूंजीपतियों और उनके दमनकारी पूंजीवादी शासन, सांप्रदायिक घृणित राजनीति को समाप्त करने के लिए संघर्ष तेज करने की सख्त जरूरत है। तभी मेहनतकश जनता को शोषण दमन से मुक्ति मिलेगी और देश में अमन चैन होगा और सच्चा लोकतंत्र आएगा।